कठिन साधना है साहित्य रचना-राजन कुमार

युधिष्ठिर महतो/धनबाद (झारखंड)। साहित्यिक संस्था गंगोत्री और साहित्य-प्रहरी के संयुक्त तत्वावधान में 25 नवंबर को गंगोत्री की स्थापना दिवस के अवसर पर बिहार के मुंगेर में भव्य सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता आचार्य नारायण शर्मा और संचालन शिवनंदन सलिल ने किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुंगेर विश्वविद्यालय के डीएसडब्लू डॉ भवेश चन्द्र पांडेय तथा विशिष्ट अतिथि मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ संजय कुमार, फिल्म अभिनेता राजन कुमार एवं राजस्थान से पधारे साहित्यकार नीरज दईया उपस्थित थे।

इस अवसर पर चर्चित कहानी लेखिका डॉ मंजू गुप्ता (विभागाध्यक्ष, दर्शनशास्र मुंगेर विश्वविद्यालय), प्रसिद्ध कवि कुमार विजय गुप्त, उर्दू अदब की चर्चित शायरा रख्शां हाशमी और उभरती चित्रकारा प्रियंका कुमारी को डॉ शिवचंद्र प्रताप स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्हें सम्मान स्वरूप अंग वस्त्रम, स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र, मेडल और पुष्पम-प्रत्रम समर्पित किया गया।

इस अवसर पर नगर के जाने माने नागरिक सुनील सिन्हा, मधुसूदन आत्मीय, राजीव कुमार सिंह, सुमन कुमार, विभा रानी, किरण शर्मा, विजय पोद्दार, डॉ रघुनाथ भगत, समाजसेवी जफर अहमद, शायर एहतेशाम आलम, अफसाना निगार, खालिद शम्स, महाकवि विजेता मुद्गलपुरी, अरुण कुमार चौधरी, संजय कुमार, प्रेम कुमार आदि मौजूद थे। आगत अतिथियों का स्वागत साहित्य प्रहरी के कोषाध्यक्ष ज्योति कुमार सिन्हा ने अपने विद्वता पूर्ण भावुक उदबोधन से किया।

इस अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने साहित्य रचना की वर्तमान दिशा व् दशा पर गंभीर चर्चा की। वक्ताओं में डॉ भवेश चन्द्र पांडेय, डॉ संजय कुमार, डॉ नीरज दईया, हीरो राजन कुमार, एहतेशाम आलम, जफर अहमद, डॉ रघुनाथ भगत और अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह प्रमुख थे। इस अवसर पर फिल्म अभिनेता, कवि, हीरो राजन कुमार ने साहित्यकारों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए साहित्य रचना को साधना बताया और वर्तमान प्रचारवादी माहौल में वास्तविक साहित्यकारों के उपेक्षित रह जाने पर गहरी चिन्ता जताई।

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