प्रहरी संवाददाता/मुंबई। भारत का प्रवेश द्वार समझे जाने वाले और मुंबई की पहचान कहलाने वाले ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ की दीवारों में दरारें आ गई हैं। यह मुद्दा केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री किशन रेड्डी ने लोकसभा में उठाया। सौ साल का हो चुका यह भव्य स्मारक सन् 1911 में जॉर्ज पंचम और रानी मेरी के भारत आने की याद में इसे बनाया गया था।
इस स्मारक की नींव 31 मार्च 1913 को पड़ी थी और यह 1924 में तैयार हुआ था। लेकिन अब इस ऐतिहासिक और शानदार स्मारक में दरारें पड़ गई हैं। ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ के स्ट्रक्चरल ऑडिट में यह बात सामने आई है। केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री किशन रेड्डी ने लोकसभा में यह जानकारी दी।
स्ट्रक्चरल ऑडिट में दरारें होने की बात सामने आई
दक्षिणी मुंबई में स्थित गेटवे ऑफ इंडिया केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारक नहीं है। यह महाराष्ट्र सरकार के पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के संरक्षण में है। इसका स्ट्रक्चरल ऑडिट किया गया। इसकी रिपोर्ट में कुछ जगहों पर दरारें होने की बात कही गई।
लेकिन स्मारक की मूल संरचना अच्छी हालत में है। हालांकि जगह-जगह दीवारों से झाड़ियां और लताएं निकल आई हैं। स्मारक की वाटरप्रूफिंग और सीमेंट कंक्रीट के कुछ भाग भी क्षतिग्रस्त हुए हैं।
मरम्मति के लिए 9 करोड़ की निधि मंजूर
पुरातत्व और वास्तुसंग्रहालय विभाग (Department of Archeological and Architecture) की ओर से इसकी मरम्मत के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। गेटवे ऑफ इंडिया का संवर्धन और संरक्षण के लिए 8 करोड़, 98 लाख, 29 हजार, 574 रुपए की निधि मंजूर की गई है। केंद्र सरकार का पर्यटन और सांस्कृतिक कार्य विभाग 10 मार्च को इसे मान्यता दे चुका है।
इस स्मारक को लेकर एक रोचक बात यह है कि जब जॉर्ज पंचम भारत आए थे तब इस स्मारक के बनने की शुरुआत भी नहीं हुई थी। उनके स्वागत के लिए द्वार बनाने के लिए कार्डबोर्ड की संरचना तैयार की गई थी। जब वे भारत से गए तब उनके आगमन की याद में उस संरचना को पक्के तौर पर बनाने की शुरुआत दो साल बाद की गई। इससे बनने में उस वक्त दस साल से ज्यादा का वक्त लगा था।
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