पेड़ो को लगाकर वन तथा पर्यावरण की रक्षा जरूरी-अखिलेश कुमार त्रिपाठी
सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। वर्तमान में झारखंड एवं उड़ीसा राज्य की सीमा पर स्थित सारंडा वन क्षेत्र में चेक डैम का निर्माण सहित हजारो कंटूर बनाए गए हैं। यह कंटूऱ जल संग्रह में उत्कृष्ट भूमिका निभाते हैं। इनमे लबालब पानी भरा रहता है। परिणाम स्वरूप वन क्षेत्र का जलस्तर बढ़ा रहता है।
भविष्य में जिन स्थानों में जंगलों की कटाई की गई है, वहां पर पेड़ लगाई जानी चाहिए। पर्यावरण संरक्षण जानकारी देते हुए गुवा वन क्षेत्र पदाधिकारी अखिलेश कुमार त्रिपाठी ने 3 जनवरी को बताया कि वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण किया जाना नितांत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण मानव को जीवन प्रदान करने में आम भूमिका निभाती है। मुहिम के तहत वन क्षेत्र पदाधिकारी त्रिपाठी ने बताया कि खेती करने के लिए जंगलों को काटने से रोकना चाहिए। जंगल से विभिन्न प्रकार के खाद्य सामग्री, इमली महुआ, फल, पेड़ों की छाल व अन्य सामग्री प्राप्त होती है।
परिणाम स्वरूप ग्रामीण जंगल का महत्व समझते हैं। उनके लिए जंगल सोने का अंडा देने के समान है। उन्होंने कहा कि पेड़ों को काटने से रोकने में ग्रामीणों को पूरी तत्परता से सहयोग करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा के झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला के हद में गुआ खनन प्रक्षेत्र, गुआ रेंज में जंगल की रक्षा के लिए पेड़ो को लगाने के लिए व्यापक पैमाने पर कार्य की गई है। हजारों की संख्या में पौधों को लगाया गया है।वर्तमान मे वन तथा पर्यावरण की रक्षा नितांत आवश्यक है।
वन क्षेत्र पदाधिकारी त्रिपाठी ने रहिवासियों को सचेत करते हुए कहा कि जिनकी आदत ज्यादा खाने पीने व नशा बाजी में होता है, उन्हें हाथियों से बचना चाहिए। सारंडा के वन क्षेत्र में हाथियों से उत्पात ज्यादा से ज्यादा होता रहता है। मानव नुकसान एवं मौत का मुआवजा लेने से ज्यादा अच्छा है, जंगली हाथी से रहिवासी अपना बचाव करें।
जंगल में मिलने वाले भालू से अगर सामना हो जाए तो उनसे बचने के लिए दाएं- बाएं भागे एवं खाने-पीने के सामान, कपड़े व अन्य चीजों को फेंकते रहे जिससे भालू भ्रमित होकर आपका पीछा छोड़ दे। उन्होंने बताया कि जंगल में हाथी मिल जाए तो उससे बचने के लिए ऊंचाई पर चढ़ने के बजाय नीचे की ओर भागना चाहिए क्योंकि नीचे की ओर भागने से हाथी का संतुलन, ऊंचाई से नीचे की ओर आने में बिगड़ता जाता है।
परिणाम स्वरूप मानव अपने प्राण की रक्षा कर सकता है। जंगल के खदान क्षेत्रों में लकड़बग्घा, जंगली सूअर एवं तेंदुआ के पैर के चिन्हों को मिलते ही वन विभाग को सूचना देनी चाहिए।महुआ के चक्कर में जंगल में आग लगाने वाले की सूचना वन विभाग को तुरंत दे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक रूप से कही से भी चिंगारी से टकराने व पत्तों के आग पर गिरने के कारण कभी-कभी आग लग जाती है।
इसकी सूचना वन विभाग को तुरंत दे। यहां के जंगलों में मिलने वाले गिलहरी आने वाले मौसम परिवर्तन की जानकारी देती है।ग्रामीण पानी और हवा की जानकारी गिलहरी के माध्यम से लेते हैं। क्षेत्र में मिलने वाले अजीब जहरीले जीवों, अजगर, गेहुअन सांप से बचना चाहिए तथा इधर-उधर घर के आस-पास ग्रामीणों के माध्यम से इसकी सूचना तुरंत वन विभाग को देनी चाहिए।
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