सरकारी कामकाज में ओड़िया भाषा का धीमा उपयोग पर चिंता

पीयूष पांडेय/बड़बिल (ओडिशा)। ऐसा लगता है कि ओडिशा सरकार के अधिकारियों द्वारा आधिकारिक संचार में ओडिया भाषा के व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने का कदम राज्य में धीमी गति से आगे बढ़ रहा है।

हालांकि ओडिशा राजभाषा (संशोधन) विधेयक 2018 के पारित होने के बाद अधिकारियों ने आधिकारिक संचार के लिए ओडिया भाषा का उपयोग करना शुरू कर दिया था, लेकिन अब यह प्रक्रिया कथित तौर पर काफी हद तक धीमी हो गई है।

जानकारी के अनुसार संशोधन में राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा आधिकारिक संचार में ओडिया के व्यापक उपयोग के लिए गैर-अनुपालन के लिए दंडात्मक प्रावधानों और पुरस्कार का सुझाव दिया गया था। सरकारी कर्मचारी तब ओडिया भाषा में आधिकारिक कार्य कर रहे थे। अब लगता है कि समय बीतने के साथ इन कर्मचारियों के लिए भाषा ने अपना आकर्षण खो दिया है।

इसके अलावा, इस कदम से वांछित परिणाम नहीं मिले हैं, क्योंकि कर्मचारी इसलिए बच रहे हैं कि दंडात्मक प्रावधानों को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। ऐसा ओडिशा भाषा आंदोलन के अध्यक्ष सुभाष चंद्र पटनायक ने 13 अप्रैल को आरोप लगाया।

पटनायक ने कहा कि भाषा का अनुपालन न करना एक संज्ञेय अपराध की तरह होना चाहिए। दंड क्या होना चाहिए, इस बारे में कुछ भी परिभाषित नहीं किया गया है। जब कर्मचारियों को पता चलेगा कि मुख्यमंत्री भाषा के खिलाफ हैं, तो वे उस भाषा का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

ज्ञात हो कि, वर्तमान में गूगल ट्रांसलेशन, माइक्रोसॉफ्ट ट्रांसलेशन और एआई समेत कई उपकरण उपलब्ध हैं। इनका इस्तेमाल अंग्रेजी से ओडिया और ओडिया से अंग्रेजी में पाठ के अनुवाद के लिए किया जा रहा है। हालांकि, ओडिशा सरकार कथित तौर पर आईटी विशेषज्ञों से वांछित सहायता नहीं ले रही है।

अनुवादक बिमल प्रसाद ने कहा कि जो काम आईटी आविष्कार के माध्यम से होना चाहिए था, वह मुफ्त में किया गया है। ओडिशा सरकार ने कुछ भी खर्च नहीं किया है। इसे फंड के साथ अपग्रेड करने के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मैंने ओडिया वर्चुअल अकादमी में राज्य सरकार के लिए काम किया और ओडिया भाषा और लिपि के लिए कुछ भी शुरू नहीं हुआ।

यहां यह उल्लेख करना उचित है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 5 वर्षों में ओडिया और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में 20000 से अधिक फैसले दिए हैं। ओडिशा उच्च न्यायालय भी ओडिया भाषा में फैसले अपलोड कर रहा है। ऐसी परिस्थितियों में, सवाल यह है कि ओडिशा सरकार के विभाग कब काम कर पाएंगे और ओडिया भाषा का पूरी तरह से उपयोग कर पाएंगे?

इस बीच, इस मुद्दे पर ओडिशा सरकार के अधिकारियों से संपर्क नहीं किया जा सका। वरिष्ठ पत्रकार संदीप साहू ने कहा कि ओडिया भाषा के अलावा अन्य भाषाओं का प्रभुत्व बढ़ रहा है, क्योंकि जिनके हाथों में शासन है, वे ओडिया भाषा को महत्व देने की इच्छा शक्ति नहीं दिखा रहे हैं।

अनुवादक डॉ जतिंद्र नायक ने कहा कि जब कोई ओडिया भाषा का उपयोग नहीं करना चाहता है, तो उसे दंड लगाने के बावजूद मजबूर नहीं किया जा सकता। केवल प्रोत्साहन और गुंजाइश ही ओडिया भाषा को बढ़ावा दे सकती है। हम लड़ाई हार रहे हैं क्योंकि हम, ओडिया भाषी अपनी भाषा से दूर होते जा रहे हैं।

 164 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *