भुलाया नहीं जा सकता आंखों देखी एक अविस्मरणीय शवयात्रा-सुरेंद्र प्रसाद सिंह
एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। बिहार विधानसभा में समस्तीपुर जिले (Samastipur district) के विभूतिपुर विधानसभा से छह बार विधायक रहे दिग्गज कम्युनिस्ट सह माले राज्य कमिटी सदस्य कॉमरेड रामदेव वर्मा का पार्थिव शरीर 24 मई को पंचतत्व में विलीन हो गया।
उनके शवयात्रा में शामिल हजारों शवयात्री आश्रूपूर्ण नेत्रों एवं रूआंसे गले से “कॉ वर्मा अमर रहे” के नारे लगाते रहे और कॉ वर्मा शून्य आकाश में विलीन हो गये।
जानकारी के अनुसार कॉ वर्मा का ज्योंही 22 मई की रात्रि करीब 10 बजे पटना में निधन होने की खबर फैली, चहुंओर शोक की लहर दौड़ गई। पटना के माले विधायक दल कार्यालय छज्जूबाग से जो श्रद्धांजलि देने का सिलसिला शुरू हुआ वह कारवां के रूप में आगे बढ़ता ही चला गया।
माले पोलित ब्यूरो सदस्य कॉ धीरेन्द्र झा, कॉ अमर, माले विधायक कॉ सुदामा प्रसाद, कॉ महानंद सिंह, कॉ मनोज मंजिल, कॉ गोपाल रविदास, कॉ अजित कुशवाहा, दिवंगत कॉ वर्मा की पत्नी सह पूर्व विधायक सह माले राज्य कमिटी सदस्य कॉ मंजू प्रकाश, आदि।
उनके पुत्र रोहित की अगुवाई में समस्तीपुर जिला के हद में ताजपुर राजधानी चौक पर शवयात्रा ज्योहीं पहुंचा, पहले से मौजूद सैकड़ों माले समर्थकों ने,”जब तक सूरज-चांद रहेगा कॉ रामदेव वर्मा का नाम रहेगा” के नारों के बीच उनके पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दिया।
तत्पश्चात ताजपुर प्रखंड के माले कार्यकर्ताओं के अगुवाई में मुसरीघरारी एनएच-28 होते हुए शवयात्रा समस्तीपुर शहर के मगरदहीघाट स्थित भगत सिंह स्मारक स्थल पहुंचा। जहाँ पहले से मौजूद भाकपा माले के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के अलावे राजद, कांग्रेस, भाकपा, माकपा आदि दलों के जिला स्तरीय नेताओं ने कॉ वर्मा के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दिया।
आगे-आगे कॉ वर्मा की तस्वीर से सजाये गये चार चक्का वाहन से कॉ वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उद्घोष फिर सैकड़ों मोटरसाइकिल सवार, चार चक्का वाहनों के बीच कॉ वर्मा का शव वाहन का एक झलक पाने को बेताब रहिवासियों का सैलाब सड़क की दोनों ओर खड़े मिलते थे।
मानों गाँव का गांव एवं टोला का टोला सड़क के दोनों ओर कॉ वर्मा का अंतिम झलक पाने को बेताब दिख रहे थे। उजियारपुर के अ़गारघाट चौक पर ईकट्ठे सैकड़ों लोगों ने अंग्रेजी बाजा पर शहीद गीत के धुन पर कॉ वर्मा को माल्यार्पण किया।
कॉ वर्मा का कार्यक्षेत्र शुरू होते ही रोसड़ा, नरहन, खदियाही समेत कम से कम सौ चौक- चौराहे पर खड़े महिला- पुरूषों द्वारा नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि देने का सिलसिला जारी रहा। इस दौरान कई जगह कॉ वर्मा का शव देखकर दर्शनार्थी खासकर महिलाएं फूट-फूक कर रोती दिखी।
इतनी भीड़ देखकर एक ग्रामीण के मुंह से बरबस निकल पड़ा, बाप रे एत्ता भीड़ कहाँ से आ गेलई”। जगह- जगह जनता द्वारा शव वाहन रोके जाने से देर हो रही थी, लेकिन लोग कॉ वर्मा का अंतिम दर्शन हर हाल में करना चाहते थे। अंतिम दर्शन से बंचित कई लोग शव वाहन के पीछे भी दौरते देखे जाते थे।
कॉ वर्मा के जन्मभूमि समस्तीपुर जिला के हद में विभूतिपुर प्रखंड के पतैलिया को जाते शवयात्रा के अंतिम दर्शन को सरकारी कार्यालयों के कर्मी भी अपने कार्यालय के सामने खड़े दिख रहे थे। करीब 140 किलोमीटर की दूरी पूरी कर शव यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पतैलिया की ओर थी।
उपस्थित ग्रामीणों ने सड़क के दोनों ओर खड़े होकर अपने चहेते दिग्गज कम्युनिस्ट को श्रद्धांजलि दे रहे थे। बड़ी भीड़ के बीच काफी कोशिश के बाद शवयात्रा उनके पैतृक घर पहुंची। जहाँ महिलाओं के क्रंदन के बीच “कॉ वर्मा के अरमानों को मंजिल तक पहुंचाएंगे” के नारे लग रहे थे। अपार भीड़ को व्यवस्थित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी। फिर अंतिम दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ।
रहिवासी स्वयं पंक्तिबद्ध होकर अपने नेता का अंतिम दर्शन करने लगे। उधर कॉ वर्मा के घर के पीछे स्थित जमीन पर शवदाह की तैयारी माले नेता कॉ धीरेन्द्र झा, कॉ अमर के नेतृत्व में स्थानीय विभूतिपुर माले प्रखंड कमिटी सदस्य कॉ वर्मा के बड़े भाई रामसागर महतो एवं मंझले भाई रामसुदीन महतो सहित दर्जनों ग्रामीण रहिवासी कर रहे थे।
कक मंजू प्रकाश, रोहित, कॉ वर्मा के भाई आदि से विचार- विमर्श के बाद माले जिला सचिव प्रोफेसर उमेश कुमार की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। श्रद्धांजलि सभा को माले पोलित ब्यूरो सदस्य कॉ धीरेन्द्र झा ने करीब 8 मिनट तक संबोधित करते हुए कॉ वर्मा के पतैलिया के मुखिया बनने से लेकर 6 बार विधायक बनने की संघर्ष गाथा सुनाई।
फिर माले के उक्त 5 विधायकों समेत बेगुसराय सचिव कॉ दीवाकर, दरभंगा सचिव कक बैधनाथ यादव, राज्य कमिटी सदस्य कॉ अभिषेक, कॉ जीतेंद्र कुमार, कॉ बंदना सिंह, कॉ नेयाज अहमद, राजद विधायक आलोक मेहता, माकपा विधायक कॉ अजय कुमार, भाकपा जिला सचिव सुरेंद्र कुमार मुन्ना ने कॉ वर्मा के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त किया।
माले जिला कमिटी के सदस्यों ने कॉ वर्मा के शव पर लाल झंडे डालकर अंतिम विदाई दिया। जसम के राज्य सचिव दीपक सिन्हा के नेतृत्व में कम्युनिस्ट इंटरनेशनल सामुहिक गीत समाप्त होते ही बिना किसी सामाजिक ताना-बाना, ढ़ोंग- आडंबर के कॉ वर्मा के एक मात्र पुत्र रोहित ने अपनी माँ मंजू प्रकाश की ओर देखा और अपने पिता को अग्नि के हवाले कर अपनी माँ को पकड़कर फूट-फूटकर रोने लगे।
हजारों शवयात्री आश्रूपूर्ण नेत्रों एवं रूआंसे गले से “कॉ वर्मा अमर रहे” के नारे लगाते रहे और देखते देखते कॉ वर्मा शून्य आकाश में विलीन हो गये।
भाकपा माले समस्तीपुर जिला स्थायी समिति सदस्य कॉ सुरेंद्र प्रसाद सिंह के अनुसार विभूतिपुर पतैलिया निवासी किसान स्व० रामगुलाम महतो के तृतीय पुत्र 75 वर्षीय कॉ रामदेव वर्मा सामंतवाद विरोध संघर्ष के प्रणेता फेफड़ा के कैंसर रोग से पीड़ित थे। सन् 1978 में कॉ वर्मा सर्वप्रथम ग्राम पंचायत के चुनाव में पतैलिया से मुखिया निर्वाचित हुए थे।
तत्पश्चात वर्ष 1980 में पहली बार विभूतिपुर विधानसभा से विधायक (MLA) चुने गए। वर्ष 2005 तक वे छह बार विभूतिपुर विधानसभा से 30 वर्षों तक विधायक रहने का गौरव हासिल किया। वे राजद के सरकार के समय लोकलेखा समिति के अध्यक्ष पद पर भी थे।
कॉ रामदेव वर्मा वर्ष 2020 में अपनी पत्नी मंजू प्रकाश समेत सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ विभूतिपुर में भाकपा-माले में शामिल होकर पार्टी- संगठन के विस्तार के कार्य को दिशा-निर्देशित कर रहे थे। उनके निधन से समस्तीपुर ही नहीं पूरे बिहार के कम्युनिस्ट आंदोलन को अपूर्णीय क्षति हुई है।
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