एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान के समीप स्थित कालिदास रंगालय में बीते 2 फरवरी से पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव के चौथे दिन 5 फरवरी को रंगीन रुमाल तथा कपास के फूल नाटक का मंचन किया गया। उक्त जानकारी महोत्सव के मीडिया प्रमुख मनीष महीवाल ने दी।
मीडिया प्रभारी महीवाल ने बताया कि कालिदास रंगालय में चल रहे कला संस्कृति एवं युवा विभाग भारत सरकार एवं बिहार सरकार द्वारा प्रायोजित प्रांगण पटना की प्रस्तुति पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव 2024 के चौथे दिन 5 फरवरी को नाट्यभूमि, अगरतला (त्रिपुरा) की प्रस्तुति बंगला नाटक रंगीन रुमाल की प्रस्तुति की गयी।
नाटककार एवं निर्देशक संजॉय कर के निर्देशन में प्रस्तुत नाटक रंगीन रुमाल के कथासार के अनुसार शेक्सपियर के विश्व-प्रसिद्ध नाटक ऑथेलो से प्रेरित उक्त नाटक जाति-प्रथा की विडंबनाओं और उसके द्वंद्वों पर तो चोट करता ही है।
नाटक के पुनर्लेखन के दौरान बंगाल और त्रिपुरा के आपसी सियासी जातीय खींचतान और पारम्परिक विद्वेषों की पृष्ठभूमि में इसे समसामयिक बनाने का प्रयत्न किया गया है। इसमें परस्पर सार्वभौम प्रेम के केंद्रीय तत्व के इर्द-गिर्द घृणा, ईष्या, निर्ममता और छुआछूत के बदलते आयामों के साथ नए विकल्प की तरफ बढ़ने के प्रयास के तौर पर भी देखा जा सकता है।
महीवाल के अनुसार मंच पर बूढ़ी औरत देवलीना की दोस्त आयुष्मिता चक्रबर्ती, मछुआरा, गार्ड, सैनिक नृपेन्द्र सरकार, मछुआरा, कोर्टकर्मी, सैनिक चंद्रसता कर व् चिरंजीत घोष, मछुआरा, कोर्टकर्मी व् सैनिक जॉयशंकर भट्टाचार्जी, रुद्रनारायण सैनिक तन्दन वर्मन, रूपेंद्र कुमार तुहिन शुभ्र भट्टाचार्जी, विष्णुपद चक्रबर्ती, केशवलाल वेबरपीत बकरूर्ती, अघोरी सनि सरकार, आदि।
प्रियंका अनन्या घोष, संबंतिका दत्ता रॉय, अंतरा पॉल, डालिया जेसिका सरकार, निकिता चक्रबर्ती, अतुल चंद्रा, उत्तम दास, देबलीना अनन्या सरकार, नबनिता रॉय जबकि नेपथ्य में संगीत शुभदीप गुहा, मंच विन्यास व प्रकाश परिकल्पना प्रमितांशु दास, प्रकाश संचालन रिनटोन रॉय, ध्वनि संचलन अनन्या घोष, देबर्पित चक्रवर्ती, चंद्रसंता कार, बस्त्र विन्यास सुप्रीति घोष, चंद्रसंता कार, विशेष वस्त्र विन्यास दीपक हई, रूप सज्जा पीजूष कान्ति रॉय, नृत्य संरचना डॉ देवज्योति लस्कर के थे।
महीवाल ने बताया कि कालिदास रंगालय के मुख्य मंच पर दूसरी प्रस्तुति काईट एक्टिंग स्टूडियो मुंबई की कपास के फूल के लेखक एवं निर्देशक साहेब नितीश है। उन्होंने बताया कि उक्त नाटक का कथासार यह कि नाटक कपास के फूल सन् 1947 में हुए भारत पकिस्तान के बंटवारे पर आधारित है। माई ताजो अपने पति रहीम के साथ हिन्दुस्तान के किसी कोने में रह रही है।
वह गाँव की सबसे बूढी औरत है। हर व्यक्ति माई का सम्मान करता है। सिवाय उसके 3 बेटों के, जो उसे छोड़ कर शहर में आजीविका के लिए जा बसे हैं। उसके बाद फिर कभी उसकी तरफ मुड़ कर नहीं देखते हैं। चंदर की बेटी राधा माई के बेहद करीब है। वह रोज उसे खाना और लस्सी लाकर देती है।
सभी आपस में हिल-मिलकर खुशी-खुशी रह रहे थे। किसी को किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं थी। तभी मुल्क के बँटवारे की खबर आती है और एकाएक सभी आपस में बंट जाते हैं। देखते ही देखते आपस का प्यार नफरत में बदल जाता है। सब एक-दूसरे के जान के दुश्मन बन जाते हैं।
इस बबाल के बीच कुछ मौका परस्त इस परिस्थिति का पूरा फायदा उठाने के लिए आमजनों को धर्म-जाति के नाम पर उकसाने का प्रयास करते हैं। चंदर अपने भाई महावीर, पिता रघुबर और दोस्त तनवीर के साथ मिलकर बलवे को टालने की पूरी कोशिश करता है। लेकिन अंततः वह इसमें विफल हो जाता है।
महीवाल ने बताया कि कपास के फूल नाटक में प्रेम, अमन, भाईचारे एवं एकता के महत्व को दिखाने का प्रयास किया गया है। यह नाटक पूर्णतः काल्पनिक है एवं किसी व्यक्ति, धर्म, जाति, संप्रदाय या समाज से किसी भी प्रकार की समानता केवल संगोग मात्र है।
कपास के फूल नाटक के मंच पर माई ताजो अंकिता दुबे, चंदर साहेब नितीश, राधा करिश्मा शर्मा, रहीम चाचा करण ठाकुर, महाबीर आर्यन मिश्रा, रघुबर अभिराजा बडने, बनवारी तनुज उपाध्याय, तनवीर शुभम विश्वास, बलराम सिंह अभिषेक पाठक, अनवर पठान अनिल रागां, जनक सिंह संतोष मंडल, वारिस अली शोहराय के अलावा मीनाक्षी शर्मा, गौतम दां आदि ने किरदार को जीवंत बना दिया है।
महीवाल के अनुसार नाटक कपास के फूल में नेपथ्य में प्रकाश संचालन अर्जुन ठाकुर, संगीत संचालन पंकज गौतम के है। उन्होंने बताया कि आज नुक्कड़ मंच पर मिथिला संस्कृति कला मंच पटना द्वारा परम्परा हाट पर का मंचन किया गया।
इसके लेखक एवं परिकल्प आदर्श वैभव और निर्देशन नितेश कुमार तथा दूसरी प्रस्तुति रंग उमंग, पटना की क्यों करें हम कंप्रोमाइज लेखक एवं निर्देशक सत्य प्रकाश। कहानी कल्प सृजन, मालदा (पश्चिम बंगाल) के निशित मंडल की प्रस्तुति लाइन एक्टिंग का मंचन किया गया। महीवाल ने बताया कि समापन दिवस के अवसर पर 6 फरवरी को असम की प्रस्तुति महानायक लक्षण एवं कोलकाता की प्रस्तुति डालिया का मंचन किया जाएगा।
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