एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिला के हद में सीसीएल कथारा क्षेत्र के विभिन्न परियोजनाओं में कार्यरत मजदूरों के 15 सूत्री मांगों को लेकर 29 दिसंबर को एक्टू से संबद्ध कोल माइंस वर्कर्स यूनियन (सीएमडब्ल्यूयू) कथारा क्षेत्रीय कमिटि द्वारा महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय धरना दिया गया।
धरना के बाद यूनियन द्वारा क्षेत्रीय प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा गया। इस अवसर पर आयोजित सभा की अध्यक्षता व संचालन यूनियन के कथारा क्षेत्रीय अध्यक्ष लीलमोहन महतो ने किया।
मौके पर मुख्य रूप से उपस्थित एक्टू के केंद्रीय पदाधिकारी विकास कुमार सिंह ने कहा कि केन्द्र की वर्तमान मोदी सरकार एवं कोल इंडिया प्रबंधन एक सोंची समझी साजिश के तहत सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को बंद कर उसे धीरे-धीरे बड़े पूंजीपतियों के हाथों बेचने का काम कर रही है।
हर दिन श्रम कानूनों में बदलाव कर कोयला मजदूरों के हक, अधिकारों को छीना जा रहा है। विभागीय मशीनों को ब्रेकडाउन बताकर अनुभवी कामगारों को काम से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब इसके खिलाफ आवाज बुलंद किया जाता है तो प्रबंधन मजदूरों को दूसरे जगह ट्रांसफर करने की चेतावनी देती है।
इससे साफ स्पष्ट है कि सरकार व कोल इंडिया प्रबंधन का कोयला मजदूरों के प्रति मंशा साफ नहीं है। उन्होंने इसके खिलाफ मजदूरों को एकजुटता के साथ आंदोलन करने का आह्वान किया।
क्षेत्रीय सचिव बालेश्वर गोप ने कहा कि कथारा क्षेत्रीय प्रबंधन क्षेत्र के जारंगडीह परियोजना माइंस को विस्तारीकरण में उत्पन्न समस्याओं का मुद्दा बना कर विभागीय कार्य को बंद करने की योजना बना रही है एवं आउटसोर्सिंग के माध्यम से सारा उत्पादन कार्य करना चाहती है।
दूसरी ओर जिन रैयत विस्थापितों के जमीन पर माइंस चलाया जा रहा है उन रैयतों को भी आउटसोर्सिंग कार्य में रोजगार देने से वंचित किया जा रहा है। इसके विरोध में मजदूरों को एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की जरूरत है। सभा को इसके अलावा रघुवीर राय, बालगोविंद मंडल, विस्थापित नेता बालेश्वर यादव, अजय रविदास आदि ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर विस्थापित नेता इस्लाम अंसारी, छत्रु यादव, तिलक महतो, यूनियन नेता डीके मिस्त्री, राजदेव चौहान, पंचानन मंडल, किशोर गोराई सहित संगठन सदस्य व दर्जनों मजदूर मुख्य रूप से उपस्थित थे।
यूनियन द्वारा प्रबंधन को प्रेषित 15 सूत्री मांगों में कोयला मजदूरों का 11वां वेतन समझौता जल्द लागू करने, जारंगडीह परियोजना के आउटसोर्सिंग कार्य को बंद कर विभागीय मजदूरों से काम लेने, दो एकड़ से कम जमीन अधिग्रहण करने वाले रैयत विस्थापितों को आउटसोर्सिंग कार्य में प्राथमिकता देने, जारंगडीह परियोजना माइंस में नई मशीनों को मंगवाकर नियमित कार्य की गारंटी देने, आदि।
कथारा क्षेत्र के आवास आवंटन कमिटि में एक्टू प्रतिनिधि को शामिल करने, क्षेत्र में निजी सुरक्षा गार्डों को पुनः बहाल करने, पांच लाख तक के ठेका कार्य विस्थापितों को आवंटित करने, कथारा कोलियरी स्थित दहिया टोला के वंचित विस्थापितों को जमीन व घर आवंटित करने, सीएसआर फंड की राशि को विस्थापित गांवों में खर्च करने आदि मांग शामिल है।
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