राज्य में केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति जारी रखने की आवश्यकता-मुख्यमंत्री
एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 6 अक्टूबर को नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित वामपंथ उग्रवाद की समीक्षा बैठक में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि नक्सल विरोधी अभियान में राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के बीच बेहतर समन्वय हमेशा बना रहेगा और पूरी उम्मीद है कि हम मिलकर उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई जीतेंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से उग्रवादी संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई में अच्छी सफलता पाई है।
बैठक में सीएम सोरेन ने कहा कि उग्रवाद को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार एक बहुआयामी कार्य योजना के तहत कार्य कर रही है। कहा कि राज्य में वामपंथी उग्रवादी संगठनों के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे हैं। इस अभियान में केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के साथ झारखंड जगुआर और एसएटी जैसे विशेष दल का व्यापक उपयोग किया जा रहा है।
शीर्ष वामपंथी नक्सली नेताओं को चिन्हित कर उनके विरुद्ध संयुक्त रूप से विशेष अभियान चलाया जा रहा है। सीएम ने कहा कि झारखंड में बूढ़ा पहाड़ जैसे दुर्गम स्थान को नक्सलियों में अपना आश्रय स्थल बना रखा था। केंद्र सरकार के सहयोग से इस क्षेत्र को नक्सलियों से मुक्त कर लिया गया है।
उन्होंने कहा कि 12 अक्टूबर 2022 को जिला प्रशासन द्वारा यहां आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वहीं 27 जनवरी को वे स्वयं बूढ़ा पहाड़ जाकर वहां के रहिवासियों से बातचीत की। इस दौरान गहन सर्वेक्षण कराकर इस क्षेत्र की 6 पंचायत के विकास के लिए कार्य योजना तैयार की गई है। इस योजना को लागू करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर प्रधानमंत्री आवास योजना की ओर भी केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने कहा कि झारखंड में अभी भी लगभग 8 लाख सुयोग्य लाभुक इस योजना के लाभ से वंचित है। परंतु केंद्र सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्य सरकार के बार-बार अनुरोध के बाद भी कोई सकारात्मक निर्णय नहीं ले रहा है। कहा कि झारखंड के इन आठ लाख योग्य लाभुकों को उनका हक दिलाया जाए।
सीएम सोरेन ने कहा कि एसआरई योजना से बीमा मद को हटा लिया गया है। सुरक्षा बलों के मनोबल को बनाए रखने के लिए पूर्व की भांति एसआरई मद में बीमा राशि की प्रतिपूर्ति को जारी रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि झारखंड के कोडरमा, रामगढ़ और सिमडेगा जिला को एसआरई जिला की सूची से हटाया गया है।
इन जिलों में प्रतिनियुक्त केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों के ऊपर किए गए खर्च की प्रतिपूर्ति एसआरई योजना से करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार के एसआरई गाइडलाइन के अनुसार भूतपूर्व सैनिकों/ भूतपूर्व पुलिस कर्मियों को ही एसपीओ के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
सुरक्षा कारणों से भूतपूर्व सैनिकों/भूतपूर्व पुलिस कर्मियों द्वारा एसपीओ नियुक्ति में रुचि नहीं ली जा रही है। ऐसे में स्थानीय ग्रामीणों को एसपीओ के रूप में नियुक्त करने हेतु अनुमति की आवश्यकता है।
डीएमएफटी राशि खर्च करने के निमित्त मार्गनिर्देशिका में परिवर्तन से झारखंड को नुकसान
मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि डीएमएफटी की राशि खर्च करने के निमित्त भारत सरकार मार्गनिर्देशिका में परिवर्तन करने जा रही है। जिससे झारखंड को व्यावहारिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरणस्वरूप नए प्रस्तावित मार्गनिर्देश के अनुसार किसी भी खनन क्षेत्र के मात्र 15 किलोमीटर की परिधि में ही राशि व्यय किया जा सकता है। यह झारखंड जैसे जंगलों एवं पहाड़ों से आच्छादित राज्य के लिए संभव नहीं है।
उन्होंने अनुरोध किया कि खनन मंत्रालय को झारखंड सरकार की आपत्ति को संज्ञान में लेते हुए किसी भी प्रकार के परिवर्तन नहीं करने का निर्देश निर्गत करें। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में विकास के निमित्त बैंकों का अपेक्षित सहयोग भी प्राप्त नहीं हो रहा है, जो राज्य के सीडी अनुपात 45 प्रतिशत होने से परिलक्षित होता है। जबकि, राष्ट्रीय औसत करीब 67 प्रतिशत है।
बैंकों के इस असहयोगात्मक रूप से लाखों करोड़ रुपए के निवेश के लाभ से वंचित हो रही है। इसके विपरीत, राज्य के अनुसूचित जनजाति समुदाय के अभ्यर्थियों को छोटे-छोटे ऋण की सुविधा भी बैंक द्वारा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। बैंकों को राज्य के अपेक्षित सहयोग प्रदान करने का निर्देश करें, जिससे उग्रवाद की समस्या पुनः यहां नहीं पनप सके।
सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार के आदिवासी कल्याण मंत्रालय द्वारा झारखंड में अब तक 91 एकलव्य मॉडल रेसीडेंशियल स्कूल स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 28 का निर्माण राज्य सरकार को करना था। जिसके विरुद्ध 21 का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। शेष 7 विद्यालय का संचालन भी हो रहा है।
शेष 14 को इसी वित्तीय वर्ष में चालू करने की योजना है। जबकि 68 का निर्माण कार्य भारत सरकार की एजेंसी द्वारा किया जा रहा है। कहा कि इन ईएमआरएस विद्यालयों की स्थापना उन्हीं प्रखंडो में हो सकती हैं, जहाँ आदिवासियों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक है, बशर्ते न्यूनतम जनसंख्या 20 हजार होनी चाहिए।
झारखंड में केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति जारी रहनी चाहिए।
सीएम सोरेन ने कहा कि यह सही है कि झारखंड में उग्रवाद की समस्या में काफी कमी आयी है, परन्तु इसकी पुनरावृत्ति न हो इसके लिए राज्य में केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति जारी रखने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि राज्य में प्रतिनियुक्त आईजी सीआरपीएफ का कार्यकाल कम से कम तीन वर्ष रखा जाय, ताकि नक्सल निरोधी अभियान में निरंतरता बनी रहे। कहा कि उग्रवाद की समस्या की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए आवश्यक है कि इन क्षेत्रों में विकासोन्मुखी योजनाएँ व्यापक पैमाने पर चलायी जाए।
जिसके लिए राज्य को संसाधन की आवश्यकता पड़ेगी। इस संदर्भ में कहना है कि राज्य सरकार का भारत सरकार के खनन कंपनियों पर करीब एक लाख छत्तीस हजार करोड़ रूपये बकाया है, जिसे उनके द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। खनन मंत्रालय को यथाशीघ्र इस बकाया का भुगतान करने का निर्देश निर्गत किया जाये।
बैठक में मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से जनवरी 2022 से अगस्त 2023 तक कुल 762 नक्सलियों को गिरफ्तार किया किया गया है। इनमे स्पेशल एरिया कमेटी के 3 सदस्य, रिजनल कमेटी के 1 सदस्य, 10 जोनल कमांडर, 16 सब जोनल कमांडर और 25 एरिया कमांडर शामिल हैं।
इसके अलावा 20 नक्सली पुलिस मुठभेड़ में मारे गए हैं। जिनमें स्पेशल एरिया कमेटी का दो, 4 सब जोनल कमांडर और एक एरिया कमांडर शामिल है। इसके अलावा 1160 आईईडी और 76 हथियार भी बरामद किए गए हैं। इस अवधि में 37 नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष समर्पण किया है, जिनमें स्पेशल एरिया कमेटी का एक, रीजनल कमेटी का तीन, 4 जोनल कमांडर, 9 सब जोनल कमांडर आदि।
और 10 एरिया कमांडर शामिल है। सीएम ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम के तहत दुर्गम क्षेत्रों के ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित कर उनका विश्वास जीतने का प्रयास किया जा रहा है। फेस-टू-फेस के तहत वामपंथी उग्रवादियों के असली चेहरे को जनता के समक्ष उजागर किया जा रहा है।
उग्रवादी संगठनों के विरूद्ध चलाये जा रहे इस बहुआयामी अभियान में राज्य को अप्रत्याशित सफलता मिली है। नक्सली संगठनों के प्रभाव क्षेत्र में लगातार कमी हो रही है। अब उनका दायरा राज्य के कुछेक क्षेत्रों में सिमट कर रह गया है।
सीएम ने कहा कि नक्सल विरोधी अभियान में समय-समय पर हेलीकॉप्टर का भी प्रयोग किया जाता है। जिसके खर्च का वहन एसआरई मद से किया जाता था। गृह मंत्रालय द्वारा 2018-2022 तक की अवधि के खर्च की प्रतिपूर्ति में आपत्ति दर्ज की गयी है। अनुरोध होगा कि इस राशि का भुगतान एसआरई मद से किया जाय तथा गृह मंत्रालय, भारत सरकार की अधिकार प्राप्त समिति से पूर्व अनुमोदन की अनिवार्यता को समाप्त किया जाय।
उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित जिलों में कनेक्टिविटी का सुधार करना भी आवश्यक है। इसके लिए भारत सरकार द्वारा सड़कों के निर्माण के लिए आरआरपी तथा आरसीपीएलडब्ल्यूईए नामक योजनाएँ चालू की गयी हैं। इसके तहत् स्वीकृत योजनाओं को ससमय पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।
नक्सल प्रभावित चाईबासा जिला में डीएफएमटी की राशि से बड़ी संख्या में सड़क निर्माण कार्य योजना तैयार की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रथम चरण में 816 अधिष्ठापित मोबाईल टावर के 4जी अपग्रेडेशन का कार्य बीएसएनएल द्वारा किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार टीसीएस से इक्विपमेंट प्राप्त नहीं होने के कारण यह कार्य अवरूद्ध है।
कहा कि द्वितीय चरण में 1184 स्थानों के विरूद्ध राज्य सरकार ने 1173 स्थानों पर भूमि उपलब्ध करा दी है। शेष 11 स्थानों पर भी शीघ्र भूमि उपलब्ध करा दी जायेगी। टावर निर्माण का कार्य बीएसएनएल द्वारा किया जा रहा है।
नक्सली संगठनों के आय स्रोत पर प्रभावी नियंत्रण की हो रही कार्रवाई
मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय एजेन्सियों यथा एनआईए एवं एनसीबी के साथ समन्वय बनाकर नक्सली संगठनों के आय के स्रोत पर रोक लगाने के लिए लगातार प्रभावी ढंग से कार्रवाई की जा रही है। कहा कि राज्य पुलिस द्वारा कुल 28 नक्सली नेताओं की चल-अचल सम्पत्ति को जप्त किया गया है।
सोरेन ने कहा कि अवैध मादक पदार्थ यथा अफीम की खेती एवं तस्करी की रोकथाम हेतु एनसीबी के सहयोग से प्रभावकारी कदम उठाये गये हैं। इस वर्ष लगभग 5,500 एकड़ भूमि से अफीम की खेती नष्ट की गयी है। लेवी के स्रोत यथा खनन, केन्दू पत्ता, विकास कार्यों पर पैनी नजर रखी जा रही है।
संदिग्ध गतिविधि वाले संवेदकों पर भी नजर रखी जा रही है। कहा कि उग्रवादी घटनाओं से संबंधित काण्डों के अनुसंधान एवं अभियोजन को बेहतर बनाने के लिए सभी जिलों में स्पेशल मॉनिटरिंग सेल का गठन किया गया है। राज्य में 2014 से यूएपीए के तहत दर्ज कुल 599 उग्रवाद कांडों में से 426 में अनुसंधान का कार्य पूर्ण कर आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है। 21 संवेदनशील कांडों का अनुसंधान एनआईए को सौंपा गया है।
फरार नक्सलियों की गिरफ्तारी पर इनाम
बैठक में मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि फरार नक्सलियों की गिरफ्तारी हेतु एक लाख से लेकर एक करोड़ रूपये तक की आकर्षक पुरस्कार राशि की घोषणा की गयी है। वर्तमान में 91 फरार नक्सलियों के
विरूद्ध पुरस्कार घोषित है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2022 में 90 एवं वर्ष 2023 के अगस्त माह तक कुल 97 नक्सली हिंसा की घटनाएँ प्रतिवेदित हुई हैं।
नक्सलियों के विरूद्ध प्रभावकारी अभियान के कारण वर्ष 2021 से थाना/पिकेट/पोस्ट पर नक्सलियों द्वारा आक्रमण की कोई घटना प्रतिवेदित नहीं हुई है। जमशेदपुर, दुमका, देवघर, जामताड़ा, गोड्डा, पाकुड़ एवं साहेबगंज में जनवरी 2022 से अभी तक नक्सल हिंसा की कोई घटना प्रतिवेदित नहीं है।
वर्ष 2018 के बाद स्पेशल एरिया कमिटी या ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो की कोई भी बैठक झारखंड में नहीं हुई है। सीएम ने कहा कि पड़ोसी सीमावर्ती राज्यों यथा बिहार, छत्तीसगढ़, बंगाल, उड़ीसा, तेलंगाना एवं उत्तर प्रदेश के साथ बेहतर समन्वय बनाकर ससमय सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है। सूचना आधारित अन्तर्राज्यीय उग्रवाद विरोधी अभियानों का संचालन भी लगातार किया जा रहा है।
इसके लिए जॉइंट कमांड कंट्रोल सेंटर (गया) बिहार का इस्तेमाल किया जाता है। जनवरी 2022 से अगस्त 2023 तक कुल 38 अन्तर्राज्जीय सीमा बैठकें आयोजित की गई है। ईस्टर्न रीजन पुलिस कॉ-ऑर्डिनेशन की बैठक लगातार की जा रही है।
बैठक में मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि शीर्ष नक्सल नेतृत्व एवं उनके परिजनों एवं समर्थकों की गतिविधियों की निगरानी की जा रही है। जमीनी सूचना संकलन हेतु बड़ी संख्या में स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स की तैनाती क्षेत्रों में की गई है। केन्द्र एवं राज्य के विभिन्न एजेन्सियों के बीच आपसी समन्वय स्थापित कर सूचना संकलन की कार्यवाही की जा रही है। वहीं, झारखण्ड राज्य में 129 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन का निर्माण किया जा चुका है एवं 08 थानों के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है।
राज्य में कई नक्सली संगठन प्रतिबंधित
बैठक में मुख्यमंत्री सोरेन ने जानकारी देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा भाकपा (माओवादी) के 05 संगठनों (क्रांतिकारी किसान कमिटी, नारी मुक्ति संघ, झारखंड ए-वन ग्रुप, झारखंड सांस्कृतिक मंच तथा मजदुर संगठन समिति) को प्रतिबंधित किया गया है।
साथ ही ऐसी संस्थायें जो गुप्त रूप से उग्रवादियों का समर्थन कर रहें हैं एवं उग्रवाद उन्मूलन अथवा विकास में बाधा बन रही है, ऐसी संस्थाओं पर निगरानी रखी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनवरी 2020 से अभी तक अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र यथा सरायकेला, आदि।
चाईबासा, खूँटी, राँची के सीमावर्ती क्षेत्र, बुढ़ा पहाड़, कोल्हान एवं पारसनाथ क्षेत्र में 48 सुरक्षा कैम्पों की स्थापना की गई है। इससे उस क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों पर ब्रेक लगी है। रहिवासियों का सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है तथा विकास कार्यों में तेजी आयी है।
100 total views, 1 views today