कब्रिस्तांन का रास्ता नहीं तो दबाएंगे नोटा
मुश्ताक खान/मुंबई। विश्व गुरू भारत के अत्याधुनिक शहर मुंबई (Modern City mumbai) के कुर्ला पूर्व के नेहरूनगर से कसाईवाडा स्थित मुस्लिम कब्रिस्तांन तक मय्यत को ले जाने का कोई रास्ता नहीं है।
इसे लेकर वर्षों से चल रही जनता कि मांग को हर बार दबाया जाता है, बहाने बनाए जाते हैं। लेकिन अब यहां की जनता ने फैसला किया है कि आने वाले हर चुनाव का होगा बहिष्कार या दबाएंगे नोटा का बटन?
तकरीबन 200 सौ साल पूरानी इस कब्रिस्तांन में मय्यत को ले जाने के लिए अब भी लोगों को कुर्ला स्टेशन की सीढ़ियों को पार कर प्लेट फार्म नंबर 8 से गुजरना पड़ता है। जो कि मुंबई जैसे आधुनिक शहर के लिए शर्मनाक है। हम देश की आर्थिक राजधानी में हैं, जंगल राज में नहीं ? नेहरूनगर के डीपी प्लान के मुताबिक रास्ता बन सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को नेहरूनगर स्थित गोल्डन प्लाजा सोसायटी निवासी 64 वर्षीय सिराजुद्दिन शेख कि हृदय गति रूकने से मौत हो गई। शेख यहां के प्रचलित लोगों में से थे। इसी दिन उनके जनाजे की नमाज जागृतिनगर के मदरसे में पढ़ाई गई।
इसके बाद उन्हें दफनाने के लिए कसाईवाडा कब्रिस्तांन ले जाना था। कब्रिस्तांन ले जाने के क्रम में उनके परिवारिक सदस्यों के अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय लोग कांधा देने के लिए जुटे थे। लेकिन यहां फिर वहीं सवाल खड़ा हुआ, मैय्यत को कैसे और कहां से लेजाना है।
गौरतलब है कि कुर्ला पूर्व का यह इलाका सांसद पुनम महाजन के सांसदीय क्षेत्र में है। यहां शिवसेना के विधायक मंगेश कुडालकर हैं। जबकि यह इलाका दो नगरसेवकों के विभाग में आता है।
बताया जाता है कि इन सभी से स्थानीय नागरिकों द्वारा दर्जनों बार पत्राचार किया गया, लेकिन परिणाम शुन्य है। इससे पहले भी लोगों ने कांग्रेस की पूर्व सांसद प्रिया दत्त और राकांपा विधायक (MLA) मिलिंद अण्णा कांबले से यह मांग कर चुके हैं लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
यहां की सांसद, विधायक और नगरसेवक यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि रेलवे द्वारा इस परियोजना को मंजूरी नहीं मिली, इसे चरण मन जा रहा है। ऐसे में विश्व गुरू कहलाने वाले भारत का अत्याधुनिक शहर मुंबई के डीपी प्लान का क्या होगा?
इस कड़ी में दिलचस्प बात यह है कि मुंबई को शंघाई बनाने का सपना दिखाने वाले जन प्रतिनिधियों के वादों का क्या होगा।
उल्लेखनीय है कि विश्व गुरू भारत का अभिन्न अंग खुलने वाले कुर्ला पूर्व के लोगों ने अभी से मन बनाना शुरू कर दिया है कि पत्राचार करने से कोई हल नहीं निकला, अब हम लोग आने वाले सभी चुनाव का बहिष्कार करेंगे या अपना मत नोटा में डालेंगे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हम लोग विश्व गुरू भारत में रहते हैं। यहां के सभी सरकारी टैक्सों को भरते हैं, इसके बाद भी इंसान की आखरी मंजिल के लिए रास्ता नहीं होने का मतलब क्या ? एक ने कहा कहीं हम जंगल राज में तो नहीं?
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