एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। उत्तर भारतीयों का महत्वपूर्ण पर्व चैती छठ व्रत पुरे राज्य में मनाया जा रहा है। इसे लेकर बोकारो जिला के हद में बेरमो कोयलांचल के दामोदर नदी तट से लेकर विभिन्न जलाशयों के किनारे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना की।
चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान के अंतिम दिन 8 अप्रैल को व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। लोक आस्था और सू्र्य उपासना का महान पर्व चैती छठ के तीसरे दिन 7 अप्रैल को पहला अर्घ्य दिया गया।
शाम के समय डूबते भगवान सूरज को नदियों के किनारे जल चढ़ाया गया। दामोदर नदी तट से लेकर विभिन्न जलाशयों के किनारे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अस्त होने वाले भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना की।
इस अवसर पर नदियो के तटों पर छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। छठ पर्व को लेकर गंगा सहित सभी नदियों के घाटों पर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई थी। इसके पहले व्रतियों ने बीते 6 अप्रैल की शाम भगवान भास्कर की अराधना की और खरना किया था।
खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। पर्व के चौथे और अंतिम दिन यानी 8 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालुओं का व्रत संपन्न हो जाएगा।
इसके बाद व्रती अन्न-जल ग्रहण कर ‘पारण’ करेंगे। हिंदू परंपरा के अनुसार, कार्तिक और चैत्र माह में छठ व्रत का आयोजन होता है। इस दौरान व्रती भगवान भास्कर की अराधना करते हैं।
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