“हाक्किंग इज नॉट क्राइम”, सुप्रीम कोर्ट ने दिया टीवीसी बनाने का आदेश
विशेष संवाददाता/मुंबई। मुंबई हाई कोर्ट के आदेशों की धज्जिया उड़ाने वाले मनपा एम पश्चिम के लाइसेंस विभाग के अधिकारी और चेंबूर पुलिस पर अदालती कार्रवाई कब होगी?
करीब तीन चार पीढ़ियों से फेरी का धंधा कर अपना और अपने परिवार की जीविका चलाने वालों को मनपा के भ्रष्ट अधिकारी क्यों बर्बाद करना चाहते हैं? जबकि फेरीवालों से बतौर हफ्ता मोटी रकम भी वसूलते हैं।
इसके अलावा समय समय पर फेरीवालों से कभी पुलिस तो कभी मनपा द्वारा दंडात्मक कार्रवाई की जाती है, जिसका प्रमाण पावती की शक्ल में उनके पास मौजूद हैं। बता दें कि आसमान छूती महंगाई के इस दौर में फेरीवालों की लड़ाई में उतरी जय हिंदुस्तान हॉकर्स यूनियन के साथ मुंबई की अन्य कई फेरीवालों की संस्थाओं ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया है। 2014 से चल रहे फेरीवालों को मनपा द्वारा अवैध करार दिया जाता है, जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में साफ कहा है कि “हाक्किंग इज नॉट क्राइम”
गौरतलब है कि मंगलवार दोपहर एकाएक मनपा एम पश्चिम के लाइसेंस विभाग और अतिक्रमण एवं निष्कासन विभाग के अधिकारियों का एक झुण्ड टेम्बी ब्रिज के निचे चेंबूर पुलिस की टीम के साथ पहुंचा। किसी रणनीत के तहत मनपा के अधिकारियों ने टेम्बी ब्रिज के निचे के फेरीवालों को हटाकर उक्त स्थल का मुआइना करने के साथ -साथ उसे घेरने के लिए मार्किंग करने की कोशिश की, जिसका विरोध फेरीवालों ने किया।
इसके जवाबी कार्रवाई में मनपा के अधिकारियों सहित चेंबूर पुलिस द्वारा सख्ती बरती गई। इस तरह मनपा के अधिकारी अपने मकसद में कामयाब होते दिखे। बहरहाल फेरीवालों ने मनपा के अधिकारियों और पुलिस कर्मियों को 8 अगस्त 2024 के मुंबई हाई कोर्ट के उस आदेश को दिखाया, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि एन जी आचार्य मार्ग, महर्षी दयानंद सरवस्ती मार्ग, टेम्बी ब्रिज, रोड नंबर 1, शरद भाऊ आचार्य मार्ग, चेंबूर पूर्व, पिटीशन नंबर 3132 ऑफ 2014 के आधार पर फेरीवालों को राहत देने की बात है। बावजूद इसके मनपा के अधिकारी और पुलिस द्वारा टेम्बी ब्रिज के निचे धंधा करने वालों को परेशान किया जा रहा है।
माहुल के गोदाम पर होती है फेरीवालों से वसूली
स्थानीय नागरिकों के मुताबिक 1983 में चेंबूर पूर्व को पश्चिम को से जोड़ने के लिए टेम्बी ब्रिज को बनाया गया था। उन दिनों मनपा परिमंडल 5 के डीएमसी (उपयुक्त) चंद्रशेखर रोकड़े के कहने पर सब्जी भाजी वालों के अलावा कई फेरीवाले भी इस ब्रिज के निचे अपना -अपना कारोबार शुरू किया। इस तरह 1987 से अपनी जीविका चला रहे फेरीवालों पर अब एक तरफ मनपा तो दूसरी तरफ चेंबूर पुलिस का डंडा चलना शुरू हो गया। जबकि मनपा के अधिकारी फेरीवालों से बतौर हफ्ता मोटी रकम भी लेते हैं।
इसके अलावा समय समय पर फेरीवालों से कभी पुलिस तो कभी मनपा द्वारा दंडात्मक कार्रवाई भी की जाती है। जिसका प्रमाण पावती की शक्ल में उनके पास मौजूद हैं। इस बात का सबूत टेम्बी ब्रिज पर लगे हुए सीसीटीवी कैमरा और आस पास के दुकानों में लगे कैमरे से मिल सकता है। इन कमरों के 6 या 8 माह के फुटेज निकलने से सारी बातों का खुलासा खुद ब खुद हो जायेगा।
इस कड़ी में एक और भी दिलचप्स बात यह है कि मनपा एम पश्चिम के लाइसेंस विभाग के अधिकारी और अतिक्रमण एवं निष्कासन विभाग के अधिकारी फेरीवालों का सामान लेकर माहुल के गोदाम ले जाते हैं और वहां तोड़ पानी करते है। ऐसे में अगर माहुल गोदाम का सीसीटीवी की जांच की जाये तो भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की पोल खुल सकती है।
टेम्बी ब्रिज के कुछ हिस्से पर ही क्यों होती है कार्रवाई
वर्ष 1987 में चेंबूर पूर्व को पश्चिम को से जोड़ने के लिए बना टेम्बी ब्रिज को पहले चेंबूर फाटक के नाम से जाना जाता था। इस ब्रिज के निचे से मुंबई उपनगरीय रेलवे की हार्बर लाइन भी है, जो नवी मुंबई को जोड़ती है। ऐसे में चेंबूर के पूर्वी छोर से देखा जाये तो लगभग ब्रिज के आधे हिस्से के निचे फल सब्जी भाजी आदि वालों का कब्जा है।
वहीं बीच के हिस्से में सेल कॉलोनी, तिलक नगर को एन जी आचार्य मार्ग से जोड़ने के लिए रोड है। जबकि इस रोड और रेलवे लाइन के बीच तकरीबन 35 से 40 मीटर में सैकड़ों फेरीवाले छोटा -मोटा धंधा कर अपनी जीविका चलाते हैं। वहीं मध्य रेलवे के हार्बर लाइन की दूसरी तरफ “यानि पश्चमी परिसर” में भी सैकड़ों फेरीवाले अपना अपना कारोबार कर रहे हैं, उन लोगों पर मनपा के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते। क्योंकि वहां से भी मोटी रकम बतौर हफ्ता मिलता है।
हाल ही में इस मुद्दे पर शहर मुंबई और उप नगरीय फेरीवालों का कारवां पूर्व सांसद संजय निरुपम के नेतृत्व में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से उनके आवास नंदन वन में मुलाकात की। इस दौरान आजाद हॉकर्स यूनियन – चेंबूर, जय हिंदुस्तान हॉकर्स, घाटकोपर, मलाड यूनियन आदि के करीब दो हजार फेरीवालों ने हिस्सा लिया। इस मुलाकात में 1987 से अपनी रोजी रोटी के लिए संघर्ष कर रहे मुंबई के सभी फेरीवालों ने सीएम को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को भी दिखाया।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को टाउन वाइंडिंग कमेटी बनाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि हाक्किंग इज नॉट क्राइम, इनमें संघर्ष समिति के दयाशंकर सिंह, जय सिंह, मंजूर मकबूल खान, सुभाष मराठे, सलमा शेख, शहीद शेख, आदि मौजूद थे।
Tegs: #Chembur-police-and-municipal-corporation-officials-do-not-obey-the-orders-of-the-high-court
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