सीसीएल का स्वांग कांटा घर सर्वे ऑफ, आक्रोशित व्यवसायों ने दी आंदोलन की चेतावनी

विजय कुमार साव/गोमियां (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में सीसीएल कथारा क्षेत्र के स्वांग कांटा घर पर प्रबंधन द्वारा सर्वे ऑफ की सूचना चिपका दिया गया है। उक्त सूचना के बाद कोयला व्यापार से जुड़े ट्रक ऑनर, डीओ होल्डर, आंदोलनकारी और विस्थापित जोरदार आंदोलन के मूड में है।

इसे लेकर 13 नवंबर को स्वांग कांटा घर के समीप एक बैठक की गई। बैठक में प्रबंधन के अड़ियल रवैया के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी गयी। इस संबंध में लोकल सेल संघर्ष मोर्चा स्वांग कोलियरी शाखा के कार्यकारी अध्यक्ष कृष्णा निषाद ने कहा कि स्वांग कांटा घर से आसपास के सैकड़ों रहिवासी व्यापार से जुड़े हैं।

यहां से अधिकांश रहिवासियों की रोजी-रोटी चलता है और वे रोजगार से जुड़े रहते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में जब स्वांग गोविंदपुर लोकल सेल शुरू किया गया था, तब से यहां कांटा घर स्थापित है। प्रबंधन द्वारा यहां कोयला वजन करने का काम किया जाता रहा है।

अचानक सीसीएल प्रबंधन ने स्वांग कांटा घर में सर्वे ऑफ की सूचना चिपका दिया है। जिस पर किसी तरह का आधिकारिक आदेश नहीं है। इसके साथ ही कांटा घर में जो लोड सेल लगा रहता है उसे खोलकर दूसरे कांटा घर में लगा दिया गया है।

इस संबंध में स्थानीय प्रबंधन का कहना है कि रोड सेल की दूसरे स्थान पर जरूरत थी, इसलिए यहां से खोल कर दूसरे जगह लगाया गया है। हालांकि, कोयला व्यापार से जुड़े व्यवसायियों का मानना है कि प्रबंधन की यह गहरी चाल है। एक साजिश के तहत इस तरह की कार्रवाई की जा रही है। इसे स्थानीय रहिवासी बर्दाश्त नहीं करेंगे। प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन करेंगे।

बैठक में कहा गया कि 14 नवंबर को स्थानीय तथा क्षेत्रीय प्रबंधन को स्मार पत्र दिया जाएगा। साथ ही इसके लिए सतत आंदोलन किया जाएगा। जिसमें धरना प्रदर्शन चक्का जाम शामिल है। बैठक में चंद्रदीप पासवान, मुन्ना सिंह, गौतम कुमार, बलराम प्रसाद, मुबारक अंसारी, सुमन्जय सिंह, राजेश भारती, मृत्युंजय सिंह, मोइन अंसारी, बबली स्वर्णकार, शंकर प्रसाद, मुमताज़ अंसारी, सचिदानंद, दुलाल मजुमदार अन्य लोग मौजूद थे।

इस संबंध में गोबिंदपुर फेज दो के परियोजना पदाधिकारी अनिल कुमार तिवारी ने कहा कि स्वांग कांटा घर बंद नहीं किया गया है। कहा कि अभी कोयले का ऑफर नहीं आया है। जैसे ही ऑफर मिल जाएगा प्रबंधन को कोयला वजन करने के लिए कोई परेशानी नहीं होगी। उनके पास अभी भी कर कांटा घर है।

पीओ तिवारी के अनुसार महज दो ढाई हजार टन का ही कोयला डिस्पैच होता है, इसलिए किसी तरह घबराने की बात नहीं है। जब कभी भी रोड सेल की जरूरत होती है तो उसे अन्य कांटा घर में लगा दिया जाता है, ताकि काम निकाला जा सके।

जैसे ही यहां जरूरत पड़ेगी पूर्व की भांति स्वांग कांटा घर से काम शुरू हो जाएगा। सर्वे ऑफ के संबंध में उन्होंने कहा कि नियमतः 10 साल में कांटा घर को सर्वे ऑफ हो जाना है। यह प्रक्रिया में है इसलिए यह कोई नई बात नहीं है।

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