उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं सीसीएल कामगार-आरसीएमएस

एस.पी.सक्सेना/बोकारो। देश के महारत्न कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड की अनुशंगी ईकाई सीसीएल में कार्यरत श्रमिकों के लिए बनाया गया नियमावली के तहत प्रदत सुविधा के दिए जाने का प्रावधान है।

प्रबंधन अपने ही द्वारा बनाए नियमों को अनदेखा करती रही है। परिणाम स्वरूप यहां कार्यरत श्रमिक प्रताड़ित हो रहे हैं। उक्त बातें राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के सीसीएल सचिव अजय कुमार सिंह (CCL Secretary Ajay Kumar Singh) ने 4 जुलाई को एक भेंट में कही। आरसीएमएस नेता अजय कुमार सिंह ने कहा कि प्रबंधन की इस प्रताड़ना का दंश झेलते हुए श्रमिक को अधिकार से वंचित करने का कुंठित प्रयास है, जो घोर निंदनीय है।

उन्होंने बताया कि उदाहरण के तौर पर सीसीएल कथारा क्षेत्र के जारंगडीह परियोजना में पीआरडब्लू (पीस रेटेड वर्कर) के पद पर कार्यरत श्रमिक करण सिंह जो वर्ष 2013 से लकवा रोग से पीड़ित होने के कारण 2020 तक बीमारी के स्थिति से जूझते रहे, लेकिन उन्हें एनसीडब्ल्यू दस में लागू स्पेशल लीव 1 जुलाई 2016 से फरवरी 2020 तक जो मिलना चाहिए था वह प्रबंधन द्वारा नहीं लागू किया गया।

जिससे उक्त श्रमिक तो परेशान हुए ही, इलाज और पैसे के अभाव में उसका निधन हो गया। उन्होंने कहा कि सीसीईबीएफएस मद की राशि बीमारी की स्थिति में प्रत्येक माह ₹10000 दिया जाना चाहिए था। प्रबंधन द्वारा वह भी नहीं दिया गया।

श्रमिक नेता सिंह ने कहा कि दूसरी ओर कथारा कोलियरी में टेंडल मजदूर के पद पर कार्यरत श्रमिक शंकर सिंह जो लकवा रोग से पीड़ित होने के कारण वर्ष 2015 से इलाजरत हैं। साथ ही विभागीय सीक में है। जहां शंकर सिंह को स्पेशल लीव मद की राशि 1-7- 2016 से 31-7-2018 तक दिया जाना चाहिए था, प्रबंधन द्वारा उन्हें उक्त अधिकार से वंचित रखा गया।

इस तरह की प्रबंधन की कार्रवाई मजदूरों को प्रताड़ित करने वाली है। सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ मजदूरों के उपर मजदूर विरोधी रवैया बर्दाश्त नहीं करेगा। उपरोक्त संबंध में राकोमसं का प्रतिनिधिमंडल कथारा क्षेत्र के महाप्रबंधक एम के पंजाबी तथा एसओ (पी) भरतजी ठाकुर को अवगत कराते हुए निवेदन किया है कि अधिकार से वंचित श्रमिकों को 15 दिन के अंदर न्याय दिए जाने का उचित पहल किया जाना चाहिए।

अन्यथा संगठन पीड़ित शोषित श्रमिकों का आवाज बन कर जिस अधिकारी द्वारा प्रताड़ित किया गया है, उस अधिकारी के खिलाफ संगठन लड़ाई लड़ने को तैयार है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक अशांति की जवाबदेही प्रबंधन की होगी। निर्धारित समय पर समस्याओं का निराकरण हो अन्यथा इसके गंभीर परिणाम होंगे।

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