विजय कुमार साव/गोमियां (बोकारो)। गोमियां के साड़म में कभी बुधनी बाजार था। यह अब इतिहास बनकर रह गया है। अब साड़म से बुधनी बाजार पुरी तरह गायब है। यह वर्ष 1970 से पूर्व तक पुरी तरह गुलजार था। सरकार द्वारा बुधनी बाजार का डाक होता था।
बोकारो जिला के हद में गोमियां प्रखंड के साड़म के होसिर मौजा में पहले कभी बुधनी बाजार लगा करता था। सप्ताह के प्रत्येक बुधवार को लगने वाले बाजार को रहिवासी बुधनी बाजार के नाम से जानते थे। वर्ष 1970 के पूर्व तक सरकार द्वारा बुधनी बाजार का डाक भी होता रहा था।
सरकार द्वारा बाजारों का डाक बंद होने के बाद उक्त बाजार पर से प्रशासन का ध्यान खत्म हो गया। समय बीतता गया और कुछ अतिक्रमणकारियों द्वारा बुधनी बाजार का पुरी तरह अतिक्रमण कर लिया गया। जिस कारण बुधनी बाजार अतीत के पन्ने में गुम होकर रह गया है।
इसे लेकर साड़म-होसिर के रहिवासी सरकार के समक्ष सवालिया निशान लगाते हुए कह रहे हैं कि आखिर कहां गया साड़म का बुधनी बाजार? रहिवासी सरकार से बुधनी बाजार को एक बार फिर से जीवित करने की मांग कर रहे है।
इस संबंध में होसिर के पूर्व मुखिया घनश्याम राम ने बताया कि साड़म बाजार क्षेत्र के होसिर मौजा स्थित खाता क्रमांक 458, प्लॉट क्रमांक 4711 में 1.65 एकड़ एवं प्लॉट क्रमांक 4712 में 09 डिसमिल (कुल 1.74 एकड़) जमीन सैरात की जमीन है।
जिस पर कभी बुधनी बाजार लगा करता था। इस बात का उल्लेख खतियान मे भी है। किंतु आज दबंगो की शातिर चाल के कारण साड़म के होसिर से बुधनी बाजार पुरी तरह से गायब कर दिया गया है।
जानकारी के अनुसार स्थानीय रहिवासियों द्वारा बुधनी बाजार को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराने को लेकर अंचल कार्यालय गोमियां में आवेदन भी दिया गया है। इसी आवेदन के आलोक में गोमियां अंचल के अंचल निरीक्षक लालमोहन दास के जांच प्रतिवेदन के आधार पर अंचल अधिकारी गोमियां के द्वारा अतिक्रमणकारियों को नोटिस भी निर्गत किया गया था, जिसका मामला आज भी विचाराधीन है।
जानकारी के अनुसार अतिक्रमणकारी हुक्मनामा को आधार बनाकर बुधनी बाजार की भू-भाग पर अपने दखल को कानून सम्मत ठहराने की कोशिश में लगे हुए हैं। खास यह कि जमींदारी प्रथा उन्मूलन के बाद भी बाजार का डाक होते रहा है। क्या दबंग इसे झुठला पाएंगे?
इधर अंचल अधिकारी द्वारा बुधनी बाजार के अतिक्रमणकारियों को नोटिस निर्गत करने के बाद से रहिवासी, छोटे फुटकर दुकानदार, सब्जी विक्रेता, मछली विक्रेताओं आदि को उम्मीद जगने लगी है कि कब सरकार बुधनी बाजार से अतिक्रमणकारियों को खदेड़ते हुए एक बार फिर उक्त बाजार को बसाने का कार्य करेंगी।
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