कालिदास रंगालय में बुद्धम शरनम् गच्छामी नाटक का मंचन

एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान के समीप स्थित कालिदास रंगालय में 15 फरवरी की संध्या बुद्धम शरनम् गच्छामी नाटक का मंचन किया गया। उक्त जानकारी कलाकार साझा संघ के सचिव व् मीडिया प्रभारी मनीष महीवाल ने दी।

उन्होंने बताया कि तानेश्वर आज़ाद जन सम्मान समिति पटना की प्रस्तुति बुद्धम शरनम् गच्छामी नाटक में मगध सम्राट विम्बसार के पुत्र अजातशत्रु के जीवन के अनछुए पहलुओं को दर्शाया गया है।
महीवाल के अनुसार प्रस्तुत नाटक बुद्धम शरनम् गच्छामी नाटक का कथासार इस प्रकार है कि सत्ता की लोलुपता सिर्फ वर्तमान काल में ही नहीं बल्कि प्राचीन काल में भी मानव हृदय में विराजमान थी।

इतिहास के पन्नों को अगर पलटा जाये तो यह विदित होगा, कि भगवान बुद्ध की प्रसिद्धि उनके चचेरे भाई देवदत्त को नागवार गुजरती थी। देवदत्त बुद्ध को उनके आश्रम से निष्काषित कर उनके अनुयायियों को अपने अधीन करना चाहता था। परन्तु यह संभव नहीं था।

षड्यंत्र की संरचना कर देवदत्त, राजा विम्बसार के पुत्र अजातशत्रु को अपने कुचक्र जाल में फंसा कर विम्बसार को कैद करवाकर अजातशत्रु को राजा बनने को प्ररित करता है। फलस्वरूप विम्बसार को कारागार में डाल दिया जाता है। देवदत्त को फिर भी शांति नहीं मिलती है और राजा विम्बसार को मौत को प्राप्त न होता देख विम्बसार का भोजन बंद करवा देता है।

प्रस्तुत नाटक के अनुसार भूखा प्यासा विम्बसार फिर भी मौत से संघर्ष करता है। महारानी अपने शरीर पर पकवान भोजन का लेप लगाकर कारागार में जाती है। भूखा विम्बसार पत्नी के शरीर को चाट कर अपनी भूख शांत करता है और मृत्यु की घड़ियों को और आगे धकेल देता है।

कालांतर में देवदत्त, अजातशत्रु के आदेशानुसार कारागार में विम्बसार की हत्या करवा देता है। इसी बीच राजा अजातशत्रु को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। महामंत्री उन्हें पुत्र जन्म की बधाई देते हैं और उन दिनों कि याद दिलाते है जब विम्बसार भी इसी तरह प्रसन्न थे।

तब अजातशत्रु को पश्चाताप होता है। वह पिता की मृत्यु से व्यथित हो शांति की तलाश में बुद्ध की शरण में चला जाता है। प्रस्तुत नाटक से पहले तानेश्वर आजाद रंग सम्मान 2023 राहुल कुमार रवि को देकर सम्मानित किया गया।

प्रस्तुत नाटक बुद्धम शरनम् गच्छामी में मंच पर कलाकार की मुख्य भूमिका में कृष्ण मुरारी (देवदत्त), रवि मिश्रा (बिम्बिसार), सुधीर कमल (अजातशत्रु), रवि बब्लू (महामात्य), प्रिया शर्मा (रानी), रामेश्वर कुमार(प्रहरी क्रमांक एक), विजय महतो (प्रहरी क्रमांक दो), हुकुमदेव यादव (संदेशवाहक), तथा नाई की भूमिका में जय कपूर शामिल थे।

जबकि मंच से परे संगीत डॉक्टर किशोर सिन्हा, संगीत संचालन हर्ष आजाद, प्रकाश संरचना राहुल कुमार रवि, प्रॉपर्टी इंचार्ज आयुष कुमार आजाद एवं राणा सिंह, वस्त्र विन्यास शकुंतला कुमारी तथा विजय महतो, वेशभूषा सरिता देवी तथा उदय कुमार, मंच निर्माण श्याम बिहारी व् ध्रुव देवेश, आदि।

तकनीकी सहायक किशोर आनंद, स्टील फोटोग्राफी मनन कुमार, प्रेक्षागृह प्रभारी रमेश सिंह, उद्घोषक कुमार संजय कांत, मंच संयोजक नागेंद्र कुमार विकल, प्रस्तुति नियंत्रक मिथिलेश सुमन, लेखक सतीश कुमार मिश्र, निर्देशक रवि मिश्रा तथा मीडिया प्रभारी मनीष महिवाल हैं।

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