सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। पश्चिमी सिंहभूम जिला के हद में केन्द्रीय विद्यालय मेघाहातुबुरू में बीते 23 दिसम्बर को सिक्ख धर्म के दसवें गुरू गुरू गोविंद सिंह के चार साहिबजादों के बलिदान को सम्मान देने के लिए वीर बाल दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
इस अवसर विद्यालय की छात्रा रजनी गोठवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरू गोविंद सिंह के छोटे साहिबज़ादों ने अपनी अनुठी शहादत द्वारा एक ऐसी मिसाल कायम की, जिसकी संसार के इतिहास में आज तक कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता। कार्यक्रम में श्रेयांश पंडा और सारांश सीताचंदन द्वारा साहिबज़ादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह का किरदार में लघु नाटक प्रस्तुत की गई।
इस अवसर पर विद्यालय के छात्रों द्वारा लघु नाटक में गुरू गोविन्द सिंह के छोटे बच्चों ने अपनी आस्था की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर करने का अभिनय किया गया। विद्यालय के शिक्षक अंशुल सिरोही ने बताया कि यह दिन साहिबज़ादों की कहानियों को याद करने का दिन है।
साथ हीं यह जानने का भी दिन है कि कैसे उनकी निर्मम हत्या की गई। खासकर जोरावर और फतेह सिंह की। कहा कि सरसा नदी के तट पर लड़ाई के दौरान दोनों साहिबजादे को मुगल सेना ने बंदी बना लिया था।
इस्लाम धर्म कबूल नहीं करने पर उन्हें मात्र 7 और 9 साल की उम्र में कथित तौर पर जिंदा दफन कर दिया गया था। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य डॉ आशीष कुमार ने कहा कि सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के शौर्य और पराक्रम से तो हम सभी भली भांति परिचित हैं।
सच्चाई यह है कि उनके बेटे भी उन्हीं की भांति वीर पराक्रमी थे, जिन्हे 26 दिसंबर 1704 को मुगलों द्वारा शहादत दे दी गई थी। इस तारीख को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2021 में निर्णय लिया गया था। यह दिन सबों को अन्याय के विरूद्ध अपनी आवाज़ को बुलंद करने की सीख देता है।
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