एस.पी.सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। पंजाब के तर्ज पर बड़ा किसान आंदोलन खड़ा करने की योजना के तहत 22 जनवरी को समस्तीपुर जिला (Samastipur district) के हद में ताजपुर प्रखंड के मोतीपुर वार्ड-10 में अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले प्रखंड स्तरीय किसान कन्वेंशन (Farmers convention) का आयोजन किया गया।
सम्मेलन की अध्यक्षता किसान महासभा के प्रखंड अध्यक्ष ब्रहमदेव प्रसाद सिंह तथा संचालन राजदेव प्रसाद सिंह ने किया। बतौर पर्यवेक्षक जिला संयोजक ललन कुमार, बतौर अतिथि भाकपा माले ताजपुर प्रखंड सचिव कॉमरेड सुरेन्द्र प्रसाद सिंह मौजूद थे।
इस अवसर पर उपस्थित दिनेश राय, संजीव राय, जयनारायण दास, ललन दास, श्यामचंद्र दास, अरूण शर्मा, मोतीलाल सिंह, रवींद्र प्रसाद सिंह, राम सकल राय, लाल बहादुर सिंह, प्रमोद कुमार, दिनेश प्रसाद सिंह, महेंद्र साह, परमेश्वर प्रसाद सिंह, रवींद्र राय, कमल सिंह, आदि।
बासुदेव राय, शंकर सिंह, अनील राय, कैलाश प्रसाद सिंह, नंदलाल राय, जयदेव सिंह समेत अन्य किसानों ने अपने- अपने खेती कि विशेषता, कमी- कमजोरी, लागत, बिक्री, कीमत आदि की चर्चा की।
कन्वेंशन को संबोधित करते हुए किसान महासभा के समस्तीपुर जिला संयोजक ललन कुमार ने कहा कि आखिर क्या बात है कि बिहार के किसान किसानी से अपने बेटा- बेटी को उच्च शिक्षा नहीं दिला पाते हैं। किसानी से बेटी की शादी की खर्चे तक नहीं निकाल पाते है।
कितने किसानों ने किसानी से अपने बेटे, बेटियों को डाक्टर, इंजिनियर, आफिसर बना पाये? बिहार के तीन- चार एकड़ वाले किसान के बेटे हरियाणा, पंजाब के किसानों के खेत में कमाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा में बिजली, पानी, खाद, बीज, कृषि यंत्र सस्ते हैं। हमारे यहाँ नकली खाद- बीज, पिड़कनाशी भी किसान को बर्बादी की ओर ले गये।
किसान नेता ने बिहार के किसान की बदहाली के लिए सरकारी नीति को भी जिम्मेवार माना। उन्होंने कहा कि दाखिल- खारिज, एलपीसी, मालगुजारी रसीद तक में किसानों से धूस लिया जाता है। अभी भी अनेकों जगह खेत में जल जमाव है।
उन्होंने कहा कि बिहार (Bihar) के अन्नदाता की आज दयनीय स्थिति है। बिहार में खेती घाटे का सौदा है। यहाँ की मंडी व्यवस्था भी दोषपूर्ण है। एक रुपये का सूई बनाने वाली कंपनी सूई का रेट खुद तय करती है, लेकिन किसान के उत्पाद की कीमत सब्जी व्यापारी तय करते हैं। ऐसे में किसानों का भविष्य नहीं संवरेगा।
कन्वेंशन के अंत में किसान महासभा द्वारा सदस्यता अभियान चलाने, पंचायत (Panchayat) स्तर पर संगठन बनाने, आंदोलन तेज करने समेत अन्य किसानहित से संबंधित निर्णय लिया गया। कार्यक्रम के अंत में दिल्ली किसान आंदोलन में शहीद किसानों को दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गयी।
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