देव गांव के ग्रामीणों ने मंदिर को दिया है विशाल और सुंदर स्वरूप
सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी मकर संक्रांति पर पश्चिमी सिंहभूम जिला के हद में जगन्नाथपुर प्रखंड के रामतीर्थ मंदिर परिसर में बड़ा मेला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर यहां दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंचकर नदी में स्नान किया।
जानकारी के अनुसार मकर संक्रांति के अवसर पर 15 जनवरी की सुबह से ही श्रद्धालुओं का स्नान कर पूजा करने का सिलसिला शुरू हो गया। मौके पर क्षेत्र के समाजसेवी सह राम तीर्थ मंदिर विकास समिति अधिशासी सदस्य निसार अहमद ने ग्रामीणों की अगुवाई करते हुए बताया कि यहां झारखंड के अलावा ओडिशा के मयूरभंज और सुदंरगढ़ से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
भगवान श्रीराम के पदचिह्रों का दर्शन कर खुद को धन्य महसूस करते हैं। उन्होंने बताया कि उक्त मंदिर के पास में ही एक छोटा गांव है देव गांव। यहां के ग्रामीणों ने इस मंदिर की देखभाल के लिए कमेटी बना रखी है। कमेटी ने ही मंदिर को विशाल और सुंदर स्वरूप दिया है।
निसार ने बताया कि प्रत्येक सोमवार को यहां पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पूजा अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।
उक्त तथ्यों को मुस्लिम होते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को अपना आदर्श मानने वाले समाजसेवी निसार अहमद ने स्पष्ट करते हुए बताया कि झारखंड राज्य के पश्चिम सिंहभूम जिले के जगन्नाथपुर अनुमण्डल में बैतरणी नदी तट पर एक शानदार, रामतीर्थ रामेश्वर मंदिर अद्भुत एवं लोकप्रिय मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कई रोचक किस्से मशहूर हैं। यहां भगवान राम के पैरों के निशान मौजूद हैं। इन पैरों का दर्शन कर धन्य हो सकते हैं।
इलाके में ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ जब 14 वर्षों के वनवास पर थे, उस समय भगवान श्रीराम यहां भी पहुंचे थे। तीनों ने बैतरणी नदी के इस तट पर आराम किया था। इसके बाद भगवान राम ने खुद अपने हाथाें से यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। भगवान राम ने इस शिवलिंग की पूजा की थी। कुछ दिनों तक यहां विश्राम करने के बाद भगवान राम नदी पार कर आगे की यात्रा पर निकल गए थे।
समाजसेवी निसार अहमद राम तीर्थ मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष, सनद प्रधान पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा एवं सांसद गीता कोड़ा के साथ साथ ग्रामीणों द्वारा किए जा रहे विकास के प्रति प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वर्तमान झारखंड सरकार द्वारा उक्त पर्यटन स्थल के सुविधाओं में विस्तार किया जाना चाहिए।
झारखंड के पूर्व गर्वनर सिब्ते रजी द्वारा भी मंदिर को उड़ीसा राज्य के चंपुआ से जोड़ने वाली पुलिया का निमार्ण का प्राक्कलन बना पुलिया
निमार्ण में अग्रणी योगदान निभाई है। उक्त मंदिर को सजाने संवारने व विकसित करने में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कोड़ा का योगदान ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुआ है।
राम तीर्थ मंदिर पर परिचर्चा करते समाजसेवी अहमद ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा कहा जाता है कि भगवान श्रीराम यहाँ से जाते समय अपना खड़ाऊं और पदचिह्र यहां छोड़ गए थे। बहुत दिनों बाद पास के देव गांव के एक देवरी को स्वप्न आया। तब इस स्थान के बारे में पता चला। इसके बाद स्थानीय रहिवासियों ने यहां मंदिर का स्वरूप दे दिया।
ग्रामीण बताते हैं कि यहां मंदिर का निर्माण 1910 में कराया गया। यह मंदिर पश्चिमी सिंहभूम जिला के हद जगन्नाथपुर प्रखंड में रामतीर्थ के नाम से मशहूर व चर्चित है। अब यहां चार मंदिर मौजूद हैं। इनमें रामेश्वर शिव मंदिर, सीताराम मंदिर, भगवान जगन्नाथ मंदिर और बजरंग बली मंदिर शामिल हैं। सभी मंदिर देखने में काफी आकर्षक हैं।
यहां का प्राकृतिक वातावरण मन को काफी आनन्द व शांति देता है। अन्य मंदिरों की तुलना में रामतीर्थ मंदिर की अलग पहचान है। सावन, महाशिवरात्रि और मकर मेला, कार्तिक पूर्णिमा पर यहां मंदिर कमेटी की ओर से विशेष व्यवस्था की जाती है। मंदिर भव्य तरीके से सजाए जाते हैं।
बहरहाल उक्त मंदिर झारखंड राज्य में चर्चित होता जा रहा है। भगवान श्रीराम के भक्तो का आवागमन एवं श्रद्धा का केंद्र के कारण काफी लोकप्रिय हो रहा है। यहाँ की वैतरणी नदी पर ध्यान दिया जाय तो इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को नकारा नही जा सकता है। वैतरणी नदी इस क्षेत्र के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा। रहिवासियों के लिए यह व्यवसायिक केन्द्र के रूप में ग्रामीणों को शुभ संकेत दे रहा है।
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