रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। बोकारो जिले में महिला व् बाल अधिकारों के लिए सक्रिय सहयोगिनी के साथ मिलकर बोकारो में बाल अधिकारों की सुरक्षा में प्रमुख भूमिका निभा रहे भुवन ऋभु बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के काम से जुड़े हैं। जहां जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन बाल विवाह व बच्चों की ट्रैफिकिंग की रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर सहयोग व मार्गदर्शन कर रहा है। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक भुवन ऋभु वर्ल्ड ज्यूरिस्ट के अधिवक्ता बनाये गये है। वे पहले भारतीय है, जिन्हें यह महत्वपूर्ण प्रभार दिया गया है।
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) बाल अधिकारों की सुरक्षा के क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा कानूनी हस्तक्षेप नेटवर्क है, जिसके सहयोगी नागरिक समाज संगठन देश के 416 जिलों में काम कर रहे हैं। बोकारो जिले को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने व वर्ष 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए भुवन ऋभु के कानूनी व रणनीतिक दिशा निर्देशों पर अमल कर रहा है।
भुवन ऋभु के कानूनी हस्तक्षेपों का शोषण व उत्पीड़न के लिहाज से संवेदनशील बच्चों के हक में राज्य स्तर पर बोकारो में बाल अधिकार नीतियों पर असर देखने को मिला है। इस वैश्विक मान्यता से बाल अधिकारों की सुरक्षा व बोकारो को 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा।
बाल अधिकार अधिवक्ता व जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के संस्थापक भुवन ऋभु को वर्ल्ड लॉ कांग्रेस की बैठक में वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन (डब्ल्यूजेए) ने प्रतिष्ठित मेडल ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया है। वे यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय हैं। भुवन ऋभु का झारखंड और खास तौर से बोकारो से गहरा नाता रहा है, जहां जेआरसी के सहयोगी के तौर पर स्वयं सेवी संस्था सहयोगिनी बोकारो जिले में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रही है। बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन दुनिया का सबसे बड़ा कानूनी हस्तक्षेप नेटवर्क है, जिसके सहयोगी संगठन देश के 416 जिलों में जमीन पर काम कर रहे हैं।
वर्ष 1963 में स्थापित वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन दुनिया के विधिवेत्ताओं की सबसे पुरानी संस्था है, जिसने न्याय के शासन की स्थापना में अपने योगदान के लिए विंस्टन चर्चिल, नेल्सन मंडेला, रूथ बेडर गिन्सबर्ग, स्पेन के राजा फेलिप षष्टम्, रेने कैसिन और कैरी कैनेडी जैसी ऐतिहासिक हस्तियों को सम्मानित किया है।
जेआरसी के संस्थापक को मिले इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मान पर सहयोगी संगठन सहयोगिनी के निदेशक गौतम सागर ने 6 मई को एक भेंट में कहा कि यह सिर्फ भुवन का व्यक्तिगत सम्मान नहीं बल्कि यह उन सभी के लिए अत्यंत गर्व का पल है जो प्रत्येक बच्चे की सुरक्षा के लिए जमीन पर काम कर रहे हैं। कहा कि वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन ने उनके कार्यों को जो मान्यता दी है, वह हम सभी के संघर्ष और विश्वास का सम्मान है। यह हमारे प्रयासों को नई गति और उर्जा देगा और राज्य सरकार व जिला प्रशासन के सहयोग से हम 2030 तक बोकारो को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
गौतम सागर ने कहा कि हम यह भी सुनिश्चित करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं कि बाल मजदूरी के लिए बोकारो जिले के एक भी बच्चे की ट्रैफिकिंग नहीं होने पाए। यह वैश्विक सम्मान हमारे संकल्प को और मजबूती देता है। साथ हीं बच्चों के लिए एक सुरक्षित और बेहतर दुनिया बनाने के हमारे सपने को नई उर्जा देता है।
ज्ञात हो कि, डोमिनिकन रिपब्लिक में 4 से 6 मई के बीच हुए इस कार्यक्रम में दुनिया के 70 से ज़्यादा देशों से आए लगभग 1500 विधिवेत्ता और 300 से अधिक वक्ता शामिल हुए। इस मौके पर दुनिया की सबसे पुरानी ज्यूरिस्ट संस्था ने भुवन ऋभु को बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए दो दशकों से ज़्यादा समय से किए जा रहे उनके बेहतरीन काम- चाहे वह क़ानूनी लड़ाइयां हों या जमीनी जागरूकता के लिए सम्मानित किया है।
डोमिनिकन रिपब्लिक के श्रम मंत्री एडी ओलिवारेज ऑर्तेगा और वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष जेवियर क्रेमाडेस ने भुवन ऋभु को मेडल ऑफ ऑनर प्रदान किया। इस अवसर पर डोमिनिकन रिपब्लिक की महिला विभाग की मंत्री मायरा जिमेनेज भी उपस्थित थीं।
इस मौके पर जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने 6 मई को कहा कि हमारे संस्थापक को मेडल ऑफ ऑनर जैसा प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलना न सिर्फ हमारे नेटवर्क के लिए ऐतिहासिक क्षण है, बल्कि पूरे देश में बाल अधिकार आंदोलन के लिए मील का पत्थर है।
यह इस तथ्य की एक बार फिर पुष्टि करता है कि बच्चों की आजादी व गरिमा की रक्षा के लिए कानूनी हस्तक्षेप बेहद सशक्त औजार है। वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन की ओर से मिली यह मान्यता पूरे देश में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के हजारों जमीनी कार्यकर्ताओं की अनथक मेहनत का सम्मान है। हमें गर्व है और इससे भी ज्यादा हमें देश के प्रत्येक जिले को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने के अभियान को जारी रखने की प्रेरणा मिली है। हम इस मिशन को और मजबूती से आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भुवन ऋभु के सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में दायर 60 से ज्यादा जनहित याचिकाओं के नतीजे में कई ऐतिहासिक फैसले आए हैं, जिसने देश में बाल अधिकार व बच्चों की सुरक्षा का पूरा परिदृश्य बदल दिया है। ऋभु की याचिका पर वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रैफिकिंग को पहली बार परिभाषित किया।
साथ ही वर्ष 2013 में बच्चों की गुमशुदगी के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का जो ऐतिहासिक फैसला आया, उसने कानूनी तंत्र में गुमशुदा बच्चों के मामलों को देखने का तरीका ही बदल दिया। उनके कानूनी हस्तक्षेपों से बच्चों के ऑनलाइन एवं असल जीवन में होने वाले यौन शोषण को रोकने के लिए कानून बने और उन्होंने बच्चों से बलात्कार व बाल विवाह के खिलाफ कानूनों को मजबूती देने में भी अहम भूमिका निभाई।
भुवन ऋभु ने अपनी पुस्तक व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज में पिकेट रणनीति के जरिए बाल विवाह के खात्मे का समग्र रणनीतिक खाका पेश किया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में जारी दिशा निर्देशों में व्यापक मार्गदर्शिका के तौर पर मान्यता दी है। सहयोगिनी भी इसी रणनीति पर अमल करते हुए बोकारो को वर्ष 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
ऋभु के संघर्षों और उपलब्धियों की मुक्तकंठ से सराहना करते हुए डब्ल्यूजेए के अध्यक्ष जेवियर क्रेमाडेस ने कहा कि ऋभु का दृढ़ता से मानना है कि न्याय लोकतंत्र का सबसे मजबूत खंभा है। उन्होंने पूरा जीवन भारत व पूरे विश्व में बच्चों और यौन हिंसा से पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए समर्पित कर दिया है। उनके प्रयासों ने लाखों-महिलाओं और बच्चों को बचाने के साथ ही एक ऐसा कानूनी ढांचा निर्मित किया है जिससे आने वाली पीढ़ियां भी सुरक्षित रहेंगी। यह पुरस्कार कानूनी हस्तक्षेपों के जरिए बच्चों के लिए एक निरापद और बेहतर दुनिया बनाने के उनके प्रयासों का सम्मान है।
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