एस. पी. सक्सेना/बोकारो। भीम आर्मी भारत एकता मिशन झारखंड प्रदेश कमिटी के आह्वान पर भीम आर्मी बोकारो जिला कमिटी, बेरमो प्रखंड एवं फुसरो नगर कमेटी द्वारा 25 दिसंबर को जिला के हद में बेरमो प्रखंड के अंबेडकर चौक बारीग्राम में मनु स्मृति दहन किया गया।
इस अवसर पर मनु स्मृति दहन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भीम आर्मी बोकारो जिलाध्यक्ष गोवर्धन रविदास ने कहा कि मनु स्मृति दहन प्रति वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने 25 दिसंबर 1927 को महाड़ सत्याग्रह के दौरान महाराष्ट्र के महाड़ गांव में अपने समर्थक के साथ मनु स्मृति को जलाया था।
रविदास ने कहा कि वर्ष 1927 में डॉ अंबेडकर ने महाड़ सत्याग्रह की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य हिंदू धर्म में दलितो को मंदिर प्रवेश करना और वहां सभी के साथ महाड़ तालाब में से पानी पीने का अधिकार दिलाना था। रविदास ने कहा कि आज देश में छुआछूत, भेद-भाव, ऊंच-नीच मान कर लोगों के साथ भेदभाव तिरस्कार किया जाता है।
कहीं ना कहीं यह भारतीय संविधान का अपमान है। उन्होंने कहा कि देश भारतीय संविधान से चलेगा। मनु स्मृति का देश में कोई स्थान नहीं है। इसी तरह झारखंड मे भी लगातार एससी/एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों पर लगातार घटना घटित हो रहा है।
सरकार मौन साधे हुए है। भीम आर्मी मांग करती है कि सरकार कानून का राज स्थापित करे। कानून का डर अपराधियों पर हो। सरकार का डर खत्म हो गया है। सरकार को अपराधियों पर लगाम लगाना चाहिए।
मौके पर जिला उपाध्यक्ष ललन राम, फुसरो नगर अध्यक्ष नकुल रविदास, नगर सचिव बिट्टू कुमार घासी ने कहा कि भीम आर्मी भारत एकता मिशन दबे कुचले, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों की बुलंद आवाज है। भीम आर्मी के संस्थापक एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद, राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह, झारखंड प्रदेश अध्यक्ष संजय रविराज के निर्देश पर बोकारो जिला के तमाम गांव में, हर कस्बों में भीम आर्मी का आवाज बुलंद करने का काम किया जा रहा है।
दलित शोषित मुक्ति मंच के मनोज पासवान ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट में मनु महाराज का स्टेच्यू लगा हुआ है उसे हटाया जाए। वहां लगातार दलितों पर अत्याचार हो रहा है। उस पर सरकार अविलंब रोक लगाये, नहीं तो जोरदार आंदोलन होगा।
मनु स्मृति दहन कार्यक्रम में मुख्य रूप से जिलाध्यक्ष गोवर्धन रविदास, ललन राम, मनोज पासवान, नकुल रविदास, बिट्टू कुमार घासी, अर्जुन रविदास, राजू कुमार राम, गुड्डू कुमार घासी, धर्म घासी, झगरू भुइयां, राजेंद्र हाड़ी, संजय हाड़ी, बीरबल हाड़ी, सुखदेव रविदास आदि दर्जनों शामिल थे।
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