वामन अवतार एवं बाल कृष्ण की झांकी का भक्तों ने किया दर्शन
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में हरिहरक्षेत्र सोनपुर स्थित श्रीगजेंद्र मोक्ष देवस्थानम दिव्य देश के प्रांगण में 21 जुलाई को तेरे द्वार खड़ा भगवान भगत भर दे रे झोली तेरा होगा बड़ा एहसान युग- युग रहेगा तेरा शान भगत भर दे रे झोली भजन के दौरान झूमते भगवद्भक्तों की टोली ने भगवान श्रीहरि विष्णु के श्रीवामन स्वरूप की भव्य झांकी का दर्शन किया।
इस अवसर पर श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम दिव्यदेश पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने कहा कि प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है।
हरिहर क्षेत्र सोनपुर के श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम् नौलखा मन्दिर में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य महाराज ने श्रीगजेन्द्र मोक्ष की कथा में भजन हे गोविन्द राख्यो शरण अब तो जीवन हारे सुनाते हुए कहा कि हमारे ईश्वर तो भक्त के हृदय से पुकारते हीं रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं।
स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने कहा कि भगवान बलहीन भक्त की रक्षा करने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं। बलवान दुष्ट के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि समर्थ बलवान हो परन्तु भक्ति नहीं, तो ईश्वर की कृपा नहीं हो सकता। उन्होंने इस दौरान भगवान के वामन अवतार के सम्बन्ध में विस्तार से बताया।
दंभ और अहंकार से कुछ नहीं होता जीवन में हासिल
उन्होंने बताया कि वामन अवतार के रूप में भगवान श्रीहरि विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंभ तथा अंहकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता। यह भी बताया कि यह धन संपदा क्षण भंगुर होती है। इसलिए इस जीवन में परोपकार करो। उन्होंने कहा कि अहंकार, घमंड, घृणा और ईर्ष्या से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
यदि हम संसार में पूरी तरह मोहग्रस्त और लिप्त रहते हुए सांसारिक जीवन जीते है तो हमारी सारी भक्ति एक दिखावा ही रह जाएगी। कथा के दौरान वामन अवतार की झांकी दिखाई गई जिसमें तेरे द्वार खड़ा भगवान भगत भर दे रे झोली एवं श्रीवामन भगवान तेरी जय हो भक्ति गीत पर श्रद्घालु भाव विभोर हो गये। तत्पश्चात श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। इसमें श्रद्धालु जमकर थिरके।
इस मौके पर पूरा कथा परिसर भगवान श्रीकृष्ण के जयकारों तथा नंद के आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की जय से गूंजायमान हो उठा। कथा के दौरान लक्ष्मणाचार्य स्वामी ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है।
उन्होंने कहा कि जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। कथा व्यास लक्ष्मणाचार्य महाराज ने श्रीकृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं। उसके बाद भी वह अपने माता- पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे।
यह सीख भगवान श्रीकृष्ण से सभी को लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी धन कमाने में लगी हुई है। अपनी कुल, धर्म और मर्यादा का पालन बहुत कम कर रहे हैं। बाल कृष्ण की मनोरम झांकी में समाजसेवी लालबाबू पटेल, संस्थान प्रबंधक नन्द कुमार बाबा, दिलीप झा और नारायणी का योगदान सराहनीय रहा।
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