जारंगडीह दुर्गा मंडप प्रांगण में नौ दिवसीय श्रीराम चरित मानस महायज्ञ का आयोजन
एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिला के हद में बेरमो प्रखंड के जारंगडीह दुर्गा मंडप प्रांगण में बीते 20 मार्च से नौ दिवसीय श्रीराम चरित मानस नवाहन् पारायण महायज्ञ का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यज्ञ में झांसी से पधारी साध्वी अमृतानंदयी (मानस समीक्षा) द्वारा प्रतिदिन श्रीराम चरित्र मानस पाठ और प्रवचन किया जा रहा है।
इसी क्रम में 25 मार्च की देर संध्या पत्रकारों से विशेष बातचीत में साध्वी ने कहा कि बीते 30 वर्षों से वे भारत के विभिन्न राज्यों में जाकर रामचरित मानस पाठ तथा प्रवचन करती रही है। उन्होंने बताया कि यदि देखा जाए तो पूरे देश में धर्म के प्रति सबसे अधिक आस्थावान कहीं है तो वह छत्तीसगढ़ का कई क्षेत्र है, जहां आज भी सनातन परंपरा के अनुरूप वहां के रहिवासियों में धर्म के प्रति अगाद्ब श्रद्धा और भक्ति देखी जा रही है।
इसके अलावे भी बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों में उनके द्वारा प्रवचन किया गया है। जहाँ बड़े पैमाने पर श्रद्धालु गण उपस्थित होकर श्रद्धापूर्वक कथा श्रवण किया है। जिससे धर्म के प्रति रहिवासियों में आस्था बढ़ी है।
वहीं जारंगडीह में आयोजित प्रवचन के क्रम में श्रद्धालुओं की कम उपस्थिति को लेकर उन्होंने कहा कि कली काल में मुट्ठी भर श्रद्धालु भी धर्म प्रचार के लिए उत्तम माने गए हैं। वर्तमान परिवेश को लेकर साधुओं के प्रकार के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि रामायण के अनुसार चाहे जितने प्रकार के साधु हैं उनका उद्देश्य केवल एक ही है। धर्म का प्रचार प्रसार तथा सनातन धर्म की रक्षा करना। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के साथ-साथ हिंदू भी धर्म है, क्योंकि यहां मानव मानव से प्रेम करना सीखाता है, प्रभु भक्ति का रास्ता बताया जाता है। आपसी संबंध बनाता है।
बाहुबली राजा बाली बद्ध प्रसंग को लेकर उन्होंने कहा कि महाबली बाली द्वारा प्रभु श्रीराम द्वारा अपने वध के बारे में जो कारण बताया गया उसके अनुसार बाली पशुवत होने के कारण दोषी नहीं था, बावजूद इसके राजा रूप में किये गए उसके कुकृत्य यथा सुग्रीव की पत्नी तथा पुत्र अंगद की पुत्री पर कुदृष्टि को अपराध मानकर उसका वद्ब उचित था। लेकिन लाख दुराचारी होने के बावजूद प्रभु शरणागत होने के कारण उसका अपराध क्षम्य हो गया। साध्वी ने कहा कि उन्हें जब भी बुलाया जाएगा वे सहर्ष शामिल होंगी।
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