नित्यानंद राय जीते तो जीत की हैट्रिक व् आलोक मेहता के लिए हार होगी हैट्रिक
गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। बिहार में समस्तीपुर जिले का उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र इस बार सबसे हॉट सीट बन गया है। यहां से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में तीसरी बार लोकसभा का यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी ओर महागठबंधन की ओर से राजद के आलोक मेहता भी तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं।
ज्ञात हो कि, नित्यानंद राय और आलोक मेहता दोनों वैशाली जिला के रहिवासी हैं। नित्यानंद हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2000 से 2014 तक विधायक रहे। आलोक मेहता के पिता स्वर्गीय तुलसीदास मेहता जंदाहा से विधायक और बिहार में मंत्री भी रहे हैं। ये कुशवाहा समाज के बड़े नेता माने जाते हैं।आलोक भी अपने समाज के नेता माने जाते हैं।
वर्ष 2015 में आलोक उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भी उजियारपुर विधानसभा से विधायक चुने गए और महा गठबंधन की नीतिश सरकार में राजस्व मंत्री के साथ ही शिक्षा मंत्री भी रहे हैं।
उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्र उजियारपुर, मोरवा, सरायरंजन, विभूतिपुर, मोहद्दीनगर और वैशाली जिले का पातेपुर विधानसभा क्षेत्र भी आता है। वर्तमान में पातेपुर और मोहद्दीनगर क्षेत्र से भाजपा के विधायक हैं, जबकि सरायरंजन क्षेत्र से जदयू के विधायक हैं। वहीं उजियारपुर और मोरवा से राजद के विधायक तथा विभूतिपुर में सीपीआई के विधायक हैं।
उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र का गठन वर्ष 2009 में हुआ, तब से इस लोकसभा क्षेत्र से आरजेडी का अब तक कोई सांसद नहीं बना। सन 2014 के लोकसभा चुनाव में नित्यानंद राय भाजपा से सांसद बने, उक्त चुनाव में आलोक मेहता की हार हुई थी।
2019 के चुनाव में भी नित्यानंद राय भाजपा उम्मीदवार रहे और उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा को पौने तीन लाख वोट से पराजित किया। इस बार वर्ष 2024 के चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि आलोक मेहता पुनः तीसरी बार उजियारपुर लोकसभा से राजद के उम्मीदवार हैं।
उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में यादव और कुशवाहा दोनों की संख्या अधिक है, लेकिन इस क्षेत्र में सवर्ण और अति पिछड़ों की संख्या भी कम नहीं है। बिहार के चुनाव में इस बार वोटरों में ज्यादा गहमा गहमी नहीं है। फिर भी चुनाव में मतदान लालू के समर्थन और लालू के विरोध में ही हो रहा है।
इस बार के चुनाव में महागठबंधन की ओर से काफी जोर लगाया जा रहा है। नित्यानंद राय यादव समाज से आते हैं और केंद्र में राज्य मंत्री भी हैं। फिर भी यादव समाज नित्यानंद राय को यादव समाज का नेता नहीं मानता है और आज भी बिहार में यादव समाज का नेता लालू के बाद तेजस्वी यादव ही हैं।
इस बार लोकसभा चुनाव में नित्यानंद राय को काफी मेहनत करनी पर रही है। उनके प्रचार के लिए हाजीपुर विधायक अवधेश सिंह, लालगंज विधायक संजय कुमार सिंह और पातेपुर विधायक लखेंद्र रोशन उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में डेरा डाले हैं। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी नित्यानंद राय के पक्ष में चुनाव प्रचार कर गए हैं। मोदी के नाम पर और विकास के नाम पर नित्यानंद राय के समर्थन की जनता से अपील की है।
पिछले गत तीन लोकसभा चुनाव परिणामों को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय पुनः इस बार अपनी जीत की हैट्रिक लगाएंगे। अगर ऐसा होता है तो आलोक मेहता के लिए यह हार की हैट्रिक होगी।
ज्ञात हो कि, उजियारपुर में मतदान 13 मई को है। आलोक मेहता वर्ष 2009 तथा 2014 में चुनाव हार गए थे। वर्ष 2019 में उपेंद्र कुशवाहा की यहां हार हुई थी। आलोक मेहता 2019 में चुनाव नहीं लड़े थे। 2024 में तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं।
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