सारंडा वन क्षेत्र का ग्रामीण इलाका विकास से कोसो दूर-बामिया मांझी

सिद्धार्थ पांडेय/चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम)। पश्चिम सिंहभूम जिला के हद में सारंडा के उग्रवाद प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं का कार्य विभिन्न एजेंसी द्वारा की जा रही है।

ग्रामीणों का आरोप है कि यहां कई योजना अपूर्ण है। लेकिन फिर भी उसी क्षेत्र में दुबारा एवं तीबारा विकास योजना का कार्य चल रहा है। एजेंसी बाहर के हैं। ग्रामीणों से कार्य को पूर्ण करने की बात करते हैं, तो कार्यरत एंजेसी बात करने से भागते हैं। वे किसी की नहीं सुनते हैं। उक्त बाते मनोहरपुर के पूर्व जिला परिषद सह झामुमों केन्द्रीय सदस्य बामिया मांझी ने 15 जनवरी को कही।

उन्होंने कहा कि अभी भी सारंडा वन क्षेत्र का ग्रामीण क्षेत्र विकास से कोसों दूर है। कहा कि देखा जाय तो ग्राम पंचायत छोटानागरा में जलमीनार कार्य अधूरा है।धरमरगुटू, जोजोपी, राकाडबुरा तथा सारंडा के दिकुपोंगा जक्शन और उसरूईयां के बीच निर्माणाधीन पुलिया 2 साल से अधूरा है। पुलिया निर्माण कार्य के एजेंसी का कोई अता -पता नहीं है।पुलिया बनना इस क्षेत्र के लिए बहुत जरूरी है।

पूर्व जिप सदस्य ने कहा कि सारंडा वन क्षेत्र के 20 से 25 गाँव के ग्रामीण पगडंडी पथ में चलते हैं। गंगदा पंचायत के ग्राम घाटकुड़ी से कासिया, पेचा एवं जोजोगुटू सीमा तक बनने वाले पक्की पथ भी अधूरा छोड़कर एजेंट भाग गया है। सारंडा में दर्जनो योजना अपूर्ण रह गया है। उन्होंने कहा कि चिंता का विषय यह है कि सारंडा के उच्च आधिकारी भी मौजूद है। वे सब कुछ देख रहे हैं । यहाँ की प्रशासनिक स्थिति भी मामले में मौन साधे है।

जिप सदस्य ने कहा कि उक्त विकास मामलों को लेकर ग्रामीण घेराव प्रर्दशन करते हैं तो उनपर केस व मुकदमा किया जाता है। कहा कि सारंडा के ग्रामीण रहिवासियों को विभिन्न समास्याओं से वंचित किया जाता रहा है। समुचित यातायात का पथ नहीं रहने के कारण यहां बच्चों के लिए उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं है।

गरीब अभिभावक के बच्चे के लिए विशाल जन समास्या स्वास्थ्य है। सारंडा के ग्रामीण भगवान भरोसे रहते हैं। यहां कोई इलाज की सुविधा नहीं, इसलिए अधिकतर बच्चों की मृत्यु होती रही है। उन्होंने कहा कि सारंडा उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में झारखंड ग्रुफ ऑफ लौह अयस्क की खदान किरीबुरु, मेघाहातुबुरु, गुआ एवं चिड़िया में संचालित है।

इसके अतिरिक्त टाटा विजय 2 घाटकुड़ी, बड़ाजामदा खदान संचालित हो रही है। लेकिन खदान क्षेत्र के राजस्व निकटवर्ती ग्राम में विकास कार्य शून्य है। खदानों से प्रत्येक वर्ष हजारों करोड़ रुपये जिले को प्राप्त होती है। सीएसआर के अन्तर्गत के गाँव में भी विकास नहीं हो सका है। नौकरी व रोजगार नहीं है। युवा पलायन कर रहे है।

विभिन्न स्थानों यथा बोकारो, बंगाल, उड़िसा, छत्तीसगढ़ के मजदूर गुआ, किरीबुरु, मेघाहातुबुरु, चिड़िया, टाटा विजय 2 खदान, नोवामुंडी टाटा में कार्यरत हैं। बाहरी जन इन क्षेत्रो में लाभ ले रहे है, जबकि यहां के लोकल विभिन्न मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।इसके लिए कठोर कदम उठाने का प्रयास किया जा रहा है।

 

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