एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड के दलित, आदिवासी, मूलवासी समाज के साथ धोखा देने का काम किया है। उनको दलित, आदिवासी, मूूलवासी समाज के प्रति एक शब्द बोलने का अधिकार नहीं है।
उपरोक्त बातें झारखंडी सूचना अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष सह आदिवासी मूलवासी जन अधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने 9 जुलाई को कही। उन्होंने कहा कि बीते 8 जुलाई को भारतीय जनता पार्टी कार्यालय घेराव को लेकर बाबूलाल मरांडी द्वारा कहा कि यह सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम है।
उस बयान की प्रतिक्रिया में नायक ने कहा की उन्हें झारखंडी समाज के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले झारखंडी नामधारी संगठन के प्रति बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है। क्योंकि बाबूलाल का कोई राजनीतिक स्टैंड अभी तक स्थिर नहीं रहा है।
नायक ने कहा कि जब मरांडी राज्य के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने डोमिसाइल आंदोलन का आग लगाकर पूरे झारखंड को जलाने का काम किया था। बाद में डोमोसाइल पर जनता से माफी मांगने का काम किया था। जहां तक दलित के आरक्षण का सवाल है तो उन्होंने 14 प्रतिशत आरक्षण को 10 में करने का काम किया था। तब उन्होंने यह भी कहा था कि कुतुब मीनार से कुद कर मैं मर जाऊंगा मगर भारतीय जनता पार्टी में कदापि नहीं जाऊंगा।
वे आखिर आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी के ही गोद में बैठने का काम किए, जिससे उनकी राजनीतिक स्टैंड का पता चलता है। उन्होंने कहा कि मरांडी के मुख्यमंत्रीत्व काल में जितना दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यकों पर जुल्म हुए। जितनी गोलीकांड हुई उतनी किसी की भी सरकार में अब तक नहीं हुआ।
नायक ने साफ शब्दों में चेतावनी भरे लफ्जों में कहा कि बाबूलाल मरांडी आप अपने राजनीतिक स्टैंड में कभी आज तक स्थिर नहीं रह सके तो आपको दूसरों को नसीहत देने का अधिकार कदापि नहीं है। उन्होंने यह भी कहा की चाहे किसी की भी सरकार हो हम सभी गैर राजनीतिक संगठन के रूप में कार्य कर रहे हैं। झारखंड तथा झारखंडी समाज के हक और अधिकार के लिए सदैव संघर्षरत रहे हैं।
चाहे किसी की भी सरकार हो। अगर दलित, आदिवासी, मूलवासी समाज के अधिकारों का हनन होगा तो हम आंदोलन करने से पीछे नहीं हटने का काम करेंगे। हम किसी भी सरकार के तलवे चाटने वाले लोग नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आज भी वे किसी पार्टी का तलवा चाटने का काम नहीं करते हैं।
कहा कि हम झारखंडियो का एकमात्र उद्देश्य झारखंडी समाज के हक और अधिकार की लड़ाई के प्रति प्रतिबद्धता होना रहा है। आज भाजपा शाषित सभी प्रदेशों में दलित, आदिवासी, मूलवासी के ऊपर जो जुल्म हुए हैं वह किसी से छुपा नहीं है।
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