विकलांग महिलाओं की पहचान व् अधिकार मुद्दे पर जागरूकता जरूरी-कल्याणी

विश्व विकलांग दिवस पर सहयोगिनी द्वारा कार्यक्रम का आयोजन

रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। विकलांग महिलाओं की पहचान तथा अधिकार मुद्दे पर 3 दिसंबर को गैर सरकारी संस्था सहयोगिनी द्वारा बोकारो जिला के हद में बोकारो-पेटरवार पथ पर स्थित बहादुरपुर में विश्व विकलांग दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जिला के हद में जरीडीह, कसमार, पेटरवार, चास प्रखंड की 60 विकलांग महिलाएं उपस्थित थी।

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सहयोगिनी की सचिव कल्याणी सागर ने कहा कि 25 नवंबर से 10 दिसंबर के बीच महिला हिंसा के खिलाफ 16 दिवसीय जागरूकता अभियान का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है। आज विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर विकलांग महिलाओं के अधिकार तथा उनकी पहचान के विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

उन्होंने कहा कि विकलांग महिलाओं के साथ गांव से लेकर परिवार सभी जगह हिंसा होता है, जिसकी रोकथाम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के दौरान विकलांग महिलाओं का संगठन निर्माण बनाने पर चर्चा किया गया।

संबोधित करते हुए रिसोर्स पर्सन एसबी पांडेय ने कहा कि सरकार तथा गैर सरकारी स्तर पर विकलांगों के विकास को लेकर विभिन्न प्रकार की योजनाएं हैं। जिसका लाभ सभी विकलांग उठा सकते है। इस संबंध में निचले स्तर तक जागरूकता कार्यक्रम करने की जरूरत है।

सहयोगिनी के निदेशक गौतम सागर ने कहा कि जेंडर आधारित हिंसा विकलांग व्यक्तियों, विशेषकर युवा महिलाओं और जेंडर विविधता के पहचान के व्यक्तियों को भेदभाव, शोषण के विभिन्न रूपों का असमान रूप से सामना करना पड़ता है। यह स्थिति तब और जटिल हो जाती है जब इसमें जेंडर, जाति, विकलांगता, और अक्सर सामाजिक-आर्थिक स्थिति या सांस्कृतिक हाशिए की जटिलता जुड़ जाती है।

इसके अतिरिक्त, सुलभ सहायता प्रणालियों, कानूनी सुरक्षा और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील प्रतिक्रियाओं की कमी इनके लिए उपलब्ध मदद या न्याय तक पहुँच को सीमित कर देती है, जिससे उनकी हाशिए की स्थिति और गहरी हो जाती है। सहयोगिनी की कोऑर्डिनेटर कुमारी किरण ने कहा कि नारीवादी आंदोलन समावेशी बनने के अपने प्रयास में विकलांगता न्याय के प्रश्न से जूझ रहा है। वहीं, विकलांगता अधिकार आंदोलन में गैर-समावेशन की चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं।

इसके अलावा, अक्सर समुदायों में विकलांगता समावेशन पर किया जा रहा कार्य, जिसमें नागरिक समाज द्वारा किए गए प्रयास भी शामिल हैं, अभी भी चैरिटी मॉडल पर केंद्रित है। जहाँ व्यक्ति के अधिकार और विकलांगता न्याय पर दृष्टिकोण अक्सर अनुपस्थित होता है। इस तरह के मॉडल में जेंडर आधारित हिंसा पर विचार करना उस व्यक्ति द्वारा अनुभव किये गए सभी चुनौतियों को अनदेखा करता है।

इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता सूरजमनी देवी ने कहा कि आँकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि विकलांग महिलाओं के जेंडर आधारित और विकलांगता विरोधी हिंसा का सामना करने का खतरा कहीं अधिक है, फिर भी हमारे पास विकलांगता-केंद्रित प्रतिक्रियाओं की पर्याप्त कमी है।

आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से अनिल कुमार हेंब्रम, विनीता देवी, रवि कुमार राय, संगीता देवी, प्रतिमा सिंह, सोनी कुमारी, अभय कुमार सिंह, बिंदु देवी, खेतको पंचायत की मुखिया अनवरी खातून, रितिका कुमारी, मनीष शर्मा, जी. स्वामी, सनी कुमार, प्रकाश महतो आदि उपस्थित थे।

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