किसान आंदोलन की तरह शहादत देकर भी हक की लड़ाई लड़ेंगी आशा-बंदना सिंह
एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। आशा कार्यकर्ताओं के आंदोलन के दौरान सीवान के मैरबा की मृत आशा कार्यकर्ता सरस्वती देवी को श्रद्धांजलि देने के साथ ही 17 जुलाई को 6ठे आंदोलन जारी रहा। इस दौरान समस्तीपुर जिला के हद में रेफरल अस्पताल ताजपुर के समक्ष आशाकर्मी अपने राज्यव्यापी अह्वान के तहत हड़ताल पर डटी रही। इस दौरान अस्पताल के मुख्य द्वार को बंद कर आशाकर्मियों ने धरना दिया।
जानकारी के अनुसार महिला संगठन ऐपवा एवं भाकपा माले के कार्यकर्ता मौके पर आहूत धरना में शामिल होकर आशा आंदोलन के साथ एकजुटता प्रकट किया। इस अवसर पर ऐपवा के समस्तीपुर जिलाध्यक्ष बंदना सिंह, भाकपा माले के ताजपुर प्रखंड सचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, अधिवक्ता अनील कुमार, प्रभात रंजन गुप्ता, मो. एजाज, ऐपवा के कुमारी रंजू ने आशा कार्यकर्ताओं के साथ सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
यहां आशा संघ की सुनीता प्रसाद की अध्यक्षता में सभा का आयोजन किया गया। सभा को तारा देवी, शोभा देवी, संगीता देवी, सुधा देवी, लालपरी देवी, सीमा कुमारी, मुन्नी देवी, सरिता कुमारी, अर्चना वर्मा समेत बड़ी संख्या में आशा कार्यकर्त्ताओं ने संबोधित किया।
धरना को संबोधित करते हुए महिला संगठन ऐपवा के जिलाध्यक्ष बंदना सिंह ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं को पारितोषिक नहीं, मासिक मानदेय समेत आशा को राज्य कर्मी का दर्जा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ता व फैसिलिटेटरों की मांग जायज है। इसे अविलंब सरकार पूरा करे, अन्यथा महिला संगठन ऐपवा भी आशा के समर्थन में आंदोलन चलाने को बाध्य होगी।
माले नेता सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि बीते 16 जुलाई को धरना के दौरान आशाकर्मी सरस्वती देवी बीमार हो गई थी। उन्हें ईलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका। माले नेता ने मृतक सरस्वती देवी के परिजन को 5 लाख रुपये मुआवजा एवं परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की सरकार से मांग की है।
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