प्रहरी संवाददाता/बोकारो। बोकारो जिला के हद में नावाडीह उपरघाट पेंक-नारायणपुर थाना क्षेत्र के कोठी रहिवासी 46 वर्षीय नंदलाल महतो का शव 13 जनवरी को मुंबई से पैतृक गांव कोठी पहुँचा। शव पहुंचने के बाद मृतक के परिजनों के हृदय विदारक चीत्कार से पूरा माहौल गमगीन हो गया।
जानकारी के अनुसार मृतक नंदलाल का शव जैसे ही उनके घर पहुंचा तो क्या बूढ़े, क्या नौजवान एकाएक उसके घर के तरफ दौड़ पड़े। नंदलाल की पत्नी इंदिया देवी और उनकी बुढी माँ का रो-रोकर बुरा हाल था। जिसका इलाज पिछले तीन दिन से गाँव में चल रहा है। वे लगातार अचेत हो जा रही थी। जिनको आस-पास की महिलाओं द्वारा सम्भाला जा रहा था। पति के खोने के गम में वह किसी की नही सुन रही थी। उनके एक ही शब्द सभी को रुला रहा था कि हम केकर बिगाडले रहनी हा, अब हमनी के केकरा सहारे रहब। पत्नी, पुत्र, पुत्री और माँ की बिलाप सुन कर उपस्थित जन भी अपने आंसू को नही रोक पाए।
बता दे कि मृतक नंदलाल की तबीयत अचानक बिगड़ गयी थी। उसे बेहतर इलाज के लिए स्थानीय साथियों द्वारा एमजीएम हॉस्पिटल कलम्बोलि में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान बीते 10 जनवरी को मौत हो गयी। वह मिनी वेन में चालक का काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था। मृतक अपने पीछे पत्नी, 3 विवाहित बेटियां व एक अविवाहित पुत्र के साथ बुढी माँ को बिलखता छोड़ गया है।
बताया जाता है कि विलखते परिजनों ने शव को पैतृक गाँव कोठी मंगवाने के लिए सरकार से गुहार लगाई थी, परंतु सरकार की ओर से कोई मदद नही मिलने पर गाँव के प्रवास कर रहे मजदूरों से शव को गांव भेजने में मदद की अपील की। मृतक का परिवार बेहद गरीब है। इस कारण मुंबई में रह रहे झारखंड के प्रवासी मजदूरों ने चंदा जुटाया और शव को घर भेजने का फैसला लेकर ट्रेन से 13 जनवरी को पैतृक गाँव कोठी भेजने में कामयाब रहे।
वही झारखंड के प्रवासी मजदूर दिलीप महतो, हुलाश महतो, धनेश्वर महतो, योद्धि महतो, डेगलाल महतो, दिनेश महतो, रवी कुमार इत्यादि कई मजदूरों ने शव को गांव भेजने में आर्थिक सहयोग के साथ काफी मदद की है। प्रवासी मजदूरों के हितार्थ मे कार्य कर रहे समाजसेवी भुनेश्वर कुमार महतो ने घटना पर दु:ख प्रकट करते हुए कहा कि झारखंड के प्रवासी मजदूरों का मौत के मुंह में समा जाने की यह पहली घटना नहीं है।
इससे पहले भी कई प्रवासी मजदूरों की मौतें देश एवं विदेशों में हो चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों के साथ किसी तरह का हादसा व किसी तरह का समस्या आती है, तो झारखंड के विधायक, सांसद व मंत्री किसी तरह की मदद नहीं करते हैं। मदद के नाम पर सिर्फ आश्वासन दिया जाता है। महतो ने मृतक के परिजनों से मिलकर ढाढस बंधाया।
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