धरती पर पापियों, अत्याचारियों के नाश के लिए ईश्वर का अवतरण-अनुराधा

प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। जब जब धरती पर पापियों व अत्याचारियों का दमनात्मक नीति चरम सीमा लांघा है, तब तब परम सत्ता ईश्वर का अवतरण धरती पर होता रहा है। यह उक्ति है मानस माधुरी अनुराधा सरस्वती की।

श्रीराम चरित कथा वचिका अनुराधा 13 मार्च को पेटरवार प्रखंड के हद में अंगवाली के मैथानटुंगरी स्थित धर्म-संस्थान में आयोजित श्रीरामचरित मानस महायज्ञ के द्वितीय रात्रि प्रवचन कर रही थीं।उन्होंने भगवान शंकर एवं माता पार्वती के बीच हुए मार्मिक संवाद का बेवाक विश्लेषण करते हुए प्रभु श्रीराम की अवतरण प्रसंग पर सटीक व्याख्यान किया।

कहा कि मां पार्वती ने इस संबंध में भोलेनाथ से सवाल किया। भगवान शंकर ने अपने जवाब में कहा कि धरती पर आतातायियों द्वारा जब जब अत्याचार, व्यभिचार चरम सीमा लांघ कर धर्म की हानि पहुंचाई जाती है।

ब्राह्मण, देवता, गौमाता सहित धरती के प्राणी कष्टों का सामना करते हैं। तब परम सत्ता ईश्वर को किसी न किसी रूप में अवतार लेना पड़ता है। आज भी ऐसा ही है, लेकिन आमजन यह जान नही पाते। जो एक दुर्भाग्य की बात है।

कथावाचिका अनुराधा ने प्रवचन के दौरान कहा कि भगवान श्रीराम ने धरती पर जन्म लेकर अत्याचारी रावण सहित अनेकों दैत्यों का नाश किया और वेदों की रक्षा की है। ब्राह्मण धरती के देवता हैं। गौमाता हमे आजीवन दूध पिलाती हैं।

धरती माता की गोद में सभी का भरण पोषण होता है। यदि आज के मानव समाज अपने धर्म को भूलकर इन सबका सम्मान नही कर पाता है तो सम्पूर्ण विश्व को प्रलय की आंधी से कोई भी शक्ति बचा नही सकती।

इस अवसर पर संगीतमय प्रवचनों के दौरान वाद्ययंत्रों में गायक पवन पांडेय, चंद्रमणि शुक्ला, आशुतोष शर्मा, सुरेंद्र यादव शामिल थे। इसके पूर्व मानस पाठ के दौरान दोपहर में व्यास अनिल पाठक एवं समूह ने प्रभु श्रीराम की जन्म प्रसंग के मौके पर सोहर गान प्रस्तुत किए। व्यासमंच पर समिति द्वारा खुशियां मनाते हुए मिठाइयां बांटी गई। बीते रात शिव-पार्वती विवाह के दौरान शंकर भगवान की बारात की अनुपम झांकी भी निकाली गई थी।

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