एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिला के हद में कथारा दो नंबर स्थित बिहार कोलियरी कामगार यूनियन (बीसीकेयू) सह भाकपा माले कार्यालय में 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती एवं कॉमरेड गुरूदास चटर्जी का शहादत दिवस मनाया गया।
इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओ ने कहा कि आज अंबेडकर को याद करना समय की सबसे बड़ी जरूरत है, क्योंकि जो राजे, महाराजे, सामंत, जमींदार समाज में अपना वर्चस्व स्थापित कर गरीब, गुरबों, मेहनतकश जनता को गुलाम बनाकर रखती थी, आजादी मिलने के बाद उनका बर्चस्व समाप्त हो गया था। नये निजाम को चलाने के लिए संविधान की स्थापना की गई थी। जिसके द्वारा आम जनता इस देश की मालिक बन गई थी।
बराबरी और समानता का राज्य स्थापित हुआ और इसके वास्तुकार डॉ भीमराव अंबेडकर थे। जिन्होंने ऐसा संविधान बनाने में अपनी महती भूमिका निभाई जिससे देश में लोकतंत्र और स्वशासन स्थापित हो सका। जिससे अमीर-गरीब, बड़े-छोटे सभी बराबर हो गये थे।
वक्ताओं ने कहा कि आज हमारे सामने चुनौती है कि जो ताकतें आजादी के पहले राजा जमींदार बनकर गरीबों को अपने जूते तले रौंदते थे, अब वो उनके सामने सीना तान कर चलने लगे। इसलिए पूर्व के राजे रजवाड़े फिर से समाज पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए धर्म का सहारा लेकर बराबरी का संदेश देनेवाले संविधान को बदलकर पूर्व की तरह मनुस्मृति को लागू कर मेहनतकश जनता को गुलाम बनाना चाहते हैं।
कहा गया कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने जिस भारत का सपना देखा था, वह जातिविहीन, वर्गविहीन, लिंग-समानता और धर्म निरपेक्षता पर आधारित था। उन्होंने जीवन भर शोषण और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया। चाहे वह छुआछूत के खिलाफ आंदोलन हो, महिलाओं के अधिकार की बात हो। लेकिन आज अंबेडकर के विचारों और सपनों पर एक संगठित हमला हो रहा है। हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को थोपने की कोशिशें की जा रही हैं, जो सीधे-सीधे संविधान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे पर चोट है।
कहा गया कि आज हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात हो रही है। यह हिन्दू राष्ट्र कैसा होगा कहने की जरूरत नहीं है। हिन्दू राष्ट्र में दलितों को फिर से आगे हांडी और पीछे झाडू बांधकर चलना होगा। शिक्षा ग्रहण करने पर शंबूक की तरह सिर काट दिया जाएगा। कहा गया कि बाबा साहेब ने स्वयं कहा था कि हिन्दू राष्ट्र ब्राम्हणों का राज है, जहां दलितों के लिए गुलामी के शिवाय कुछ नहीं मिल सकता। इसलिए उन्होंने अंततः बौद्ध धर्म अपनाया, क्योंकि बौद्ध धर्म वैज्ञानिकता का दर्शन है।
मानवता का दर्शन है। आज ज़रूरत है कि हम बाबा साहेब को केवल एक व्यक्ति के रूप में न देखें, बल्कि एक मानवता के दर्शन के रूप में देखें। उनके विचारों को सामाजिक, राजनीतिक संघर्ष का हिस्सा बनाएं। हिंदू राष्ट्र नहीं, बल्कि बाबा साहेब का समानता और लोकतंत्र पर आधारित भारत का भविष्य होना चाहिए। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हमें एकजुट होकर बाबा साहब के संविधान को बचाना है, जिससे देश में लोकतंत्र कायम रहे।
वक्ताओं ने कहा कि कॉमरेड गुरूदास चटर्जी बाबा साहेब के बताए रास्ते पर चलते हुए गरीबों की लडाई लड़ रहे थे। कोयला माफियाओं के खिलाफ जोरदार अभियान चला रहे थे। इसलिए महेन्द्र सिंह की तरह उनकी भी आज के दिन हीं 2001 में हत्या कर दी गई थी। हमें आज प्रण लेना है कि हम बाबा साहेब के बताये रास्ते पर चलते रहेंगे और कॉ गुरूदास चटर्जी की तरह भ्रष्टाचारियों और अपराधियों के खिलाफ अपनी जान की बाजी लगाकर लड़ते रहेंगे।
सभा में मुख्य रूप से भाकपा माले झारखंड राज्य कमिटी सदस्य केशो सिंह यादव, विकाश कुमार सिंह, बोकारो जिला कमिटी सदस्य बालेश्वर गोप, बालगोविंद मंडल, बालेश्वर यादव, माले एवं मजदूर नेता उत्तम कुमार, डीके मिस्त्री, राजदेव चौहान, नारायण केवट, हेमंत प्रजापति, चीनालाल तुरी, सुरेन्द्र घासी, संदीप कुमार, प्रेम कुमार, जयनाथ महतो, पुटूचंद गोप, जगेसर मुंडा, रामधन यादव, राधेश्याम पासवान, इन्द्रनाथ यादव, नेमचंद यादव सहित दर्जनों उपस्थित थे।
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