पांच साल बाद कमरे आलम के परिजनों को ढूंढ कर किया गया सुपुर्द
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण सेवा कुटीर छपरा ने हाल के दिनों में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। डिप्रेशन के शिकार शिवहर जिला के हद में हेरौता ग्राम रहिवासी कमरे आलम उर्फ अक्षय की सेवा कुटीर में लगातार तीमारदारी के बाद डिप्रेशन से बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की।
बताया जाता है कि पिछले पांच साल से अपने परिवार से बिछड़े कमरे आलम उर्फ अक्षय को जब सब कुछ याद आ गया तो सेवा कुटीर ने उसके परिवारजन को सूचित कर बुलवाया गया और 4 जून को उन्हें उनके परिवारवालों के सुपुर्द कर दिया गया। यह सारण सेवा कुटीर की बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
बताया जा रहा है कि सेवा कुटीर सारण में आवासित लाभार्थी कमरे आलम उर्फ अक्षय शिवहर जिला के हद में ग्राम हेरौता का स्थायी रहिवासी हैं। उसे बीते वर्ष 2024 के 14 अगस्त को छपरा बाईपास में भीख मांग कर अपना जीवन यापन करते सेवा कुटीर के क्षेत्र समन्वयक ने देखा। लगातार दो-तीन दिन तक सर्वे किया गया और उससे बातचीत की गई।
बातचीत के क्रम में समझ में आया कि किसी चीज को लेकर वह डिप्रेशन में चला गया है। तीन दिन बाद उसे सेवा कुटीर में केयर टेकर की मदद से लाया गया। सेवा कुटीर के नियमानुसार स्नान कराकर कपड़ा पहनाकर अक्षय को सेवा कुटीर में आवासित किया गया।
बताया जाता है कि डिप्रेशन में होने के कारण वह अपना पता भी सही सही नहीं बता पा रहे थे। लगातार मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराकर और समय-समय पर दवा देकर उसे डिप्रेशन से बाहर निकाला गया। इस दौरान वह धीरे-धीरे अच्छे से बातचीत करने लगा। बातचीत के क्रम में अक्षय ने अपने घर का पता बताया और उस पता पर प्रशासनिक मदद लेते हुए क्षेत्र समन्वयक द्वारा कमरे सलाम उर्फ अक्षय के परिजन से बात की गई। इसके बाद 4 जून को उसके परिजन छपरा सेवा कुटीर में भेंट की। अक्षय से मिल कर परिजनों ने उसके बारे में सारी बात बताये।
परिजनों के अनुसार अक्षय लगभग 10 वर्षों से दिल्ली में सिलाई का कार्य करता था। अचानक वर्ष 2020 में कोरोना महामारी का प्रकोप पुरे देश में फैल गया। उस दौरान किसी चीज को लेकर अक्षय डिप्रेशन में चला गया और शिवहर आने के क्रम में वह रास्ता भटक गया। लगभग 5 वर्ष घर से बाहर रहा। इस दौरान कोई सूचना घरवालों की नहीं मिली। घर वाले काफी खोज बिन किए लेकिन कोई सूचना नहीं मिली, लेकिन छपरा सेवा कुटीर के क्षेत्र समन्वयक ने 5 वर्ष बाद फिर उसके परिजन को खोजा और मिलवाया। यह सारण सेवा कुटीर की बहुत बड़ी उपलब्धि है।
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