नफरत का माहौल इस कदर कि रघुपति राघव.. पर गायिका को माफी मांगना पड़ा-मीना
मनुस्मृति को आतुर भाजपा संविधान व् अंबेडकर को बर्दाश्त करना नहीं चाहती-मंजू
एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। समस्तीपुर शहर के मीनाक्षी उत्सव पैलेस धरमपुर में 29 दिसंबर को झंडोत्तोलन के बाद शहीद वेदी पर माल्यार्पण के साथ अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला ऐसोसिएशन (ऐपवा) का दो दिवसीय राज्य परिषद की बैठक शुरू किया गया।
बैठक की अध्यक्षता ऐपवा राज्य अध्यक्ष सोहिला गुप्ता एवं संचालन राज्य सचिव अनीता सिन्हा ने की। बैठक को संबोधित करते हुए ऐपवा के राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि हमारे देश के संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जिस तरह से संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के खिलाफ बयान दिया यह महिलाओं के लिए अपमानजनक स्थिति है।
उन्होंने कहा कि इस देश में हिंदू कोड बिल लाने वाले अंबेडकर थे, जिससे महिलाओं को संपत्ति का अधिकार, हिंदू धर्म में बहु-विवाह के खिलाफ महिला हित की बात करना, महिलाओं को वोट देने का अधिकार, तलाक हासिल करने का अधिकार आदि के लिए अंबेडकर हमेशा प्रयासरत थे। उन्होंने कहा कि आरएसएस के तथाकथित जो हिंदू महासभा से जुड़े थे, हिंदू कोड का विरोध किए थे। आज हमें जो अधिकार मिला है, वह इस संविधान की देन है। अंबेडकर की देन है। इसे बचाने के लिए इस बैठक से ऐपवा संघर्ष का निर्णय लेगी।
उन्होंने कहा कि बिहार के अंदर इस कदर नफरती माहौल बनाया जा रहा है कि जहां गांधीजी का प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम… ईश्वर अल्लाह तेरे नाम गाने पर गायिका देवी से माफी मंगवाया जाता है। उन्होंने कहा कि भाजपा आज देश को कहां ले जा रही है, जहां अंबेडकर पर अपमानजनक टिप्पणी की जाती है। भजन गाने पर गायिका से माफी मंगवाया जाता है। यह सब कर रहे हैं देश में सत्ता में बैठे दल।
उन्होंने कहा कि देश में महिलाओं के अधिकारों पर जो हमले हो रहे हैं, उस पर बात कर के अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन का रूपरेखा बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि बगल के राज्य झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली आदि में महिलाओं के लिए योजना चलाया जा रहा है, लेकिन बिहार में ऐसी कोई योजना नहीं है। ऐपवा मांग कर रही है कि बिहार में सभी महिलाओं को 3 हजार रुपए महीना सशक्तिकरण राशि सरकार दें। बिहार में जो भी स्वयं सहायता समूह है, ये महिलाओं के लिए कोई ठोस काम नहीं कर पा रही है।
सिर्फ दिखावे के लिए समूह को कुछ काम मिल जा रहा है, लेकिन समूह से जुड़े डेढ़ करोड़ महिलाओं को कहीं रोजगार नहीं मिल रहा है। समूह से जुड़े महिलाओं को कर्ज नहीं मिल रहा है। जरूरतमंद महिलाएं कर्ज के लिए माइक्रो फाइनेंस कंपनीयों के महंगे ब्याज के मकड़जाल में फंसते जा रहे हैं। कर्ज की बोझ में दबी महिलाओं द्वारा आत्महत्या तक की घटनाएं सामने आ रही हैं।
ऐपवा राज्य उपाध्यक्ष मंजू प्रकाश ने कहा का महिला का शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार का प्रश्न और सबसे बढ़कर उनका सुरक्षा और सम्मान का प्रश्न, संविधान प्रदत्त अधिकार का प्रश्न आदि पर दो दिनों तक बहस-मुहासिब कर ऐपवा आंदोलन का रूख अख्तियार करेगी।
बैठक में बिहार के 25 से अधिक जिले की महिला कार्यकर्ता भाग ले रही हैं। समस्तीपुर जिला ऐपवा जिलाध्यक्ष बंदना सिंह, सचिव मनीषा कुमारी, सह सचिव प्रमिला राय, नीलम देवी आदि बैठक में शामिल होकर जिले में चलाये गये आंदोलन का रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिस पर बहस-मुहासिब कर अगले दिन 30 दिसंबर को आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।
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