अधिवक्ता कि जिरह के सामने नहीं टिका कंपनी की दलीलें
प्रहरी संवाददाता/मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) रेंट कंट्रोल अधिनियम कोर्ट, कोकण विभाग ने एक बुजुर्ग को न्याय देते हुए, उनका घर उन्हें लौटा दिया है। दरअसल मुंबई के मलाड इलाके में फ्लैट न. 1602, 16 फ्लोर, आदि।
श्री बालाजी आशीर्वाद को. ऑपरेटिव हाऊसिंग सोसायटी लिमिटेड फ्लोट न. 308-309 ऑफ़. मित्तल कॉलेज, मलाड पश्चिम में स्थित है। जहां बुजुर्ग पति (मधुसदन) और पत्नी (लातवन्ति) का एक सपनों का घर है ।
पति-पत्नी अपने खर्च के लिए अपना घर भक्ति भूपेंद्र सोनी नामक व्यक्ति को दिया जो MS. Shelters unlimited Sole proprietorship company का मालिक है। इस कंपनी के मालिक ने बुजुर्ग पति-पत्नी को ये बताया की यह कंपनी लोगों को कुछ दिनों ठहरने के लिए घर की व्यवस्था कराने का कार्य करती है।
इतना ही नहीं अपनी कंपनी का कार्य दिखा कर बुजुर्गों से भक्तिभूपेंद्र सोनी ने हेवी डिपॉजिट पर घर ले लिया और समय-समय पर बुजुर्गों से पैसों का तालमेल रखने लगा।
कुछ दिनों बाद बुजुर्गों को किराये पर दिए हुवे घर की पुनः जरूरत पड़ी तो बुजुर्गों से भक्तिभूपेंद्र सोनी से कहा की आप अपना डिपॉजिट वापस ले लीजिये हमें हमारा घर जैसा था वैसा वापस कर दीजिये।
लेकिन सोनी के नियत में खोट आने के कारण उसने बुजुर्गों से कहा की आप कानूनन एक महीने पहले हमें नोटिस (Notice) दीजिये तब हम कुछ सोचेंगे। बुजुर्ग आश्चर्यचकित हो गए की अचानक सोनी के व्यवहार में बदलाव देख कर पति पत्नी दंग रह गए?
सोनी के कहने पर बुजुर्गों ने लीगल नोटिस भेजा किन्तु तब भी सोनी ने उनका घर उनको वापस नहीं लौटाया। अपना घर पुनः वापस पाने के लिए और अपने क़ानूनी हक़ के लिए बुजुर्ग “एडवोकेट विवेक बूसा” के पास पहोचे जिन्होंने लीगल नोटिस भेजा था।
बुजुर्गो के घर के लिए “एडवोकेट विवेक बूसा” ने रेंट कण्ट्रोल एक्ट लॉ कोर्ट, कोकण डिवीज़न का दरवाजा खटखटाया तथा कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई कर बुजुर्गों के हक़ में फैसला सुनाया और उनका आशियाना फिर उन्हें लौटाया गया, बुजुर्गों ने न्यायधीश का आभार माना।
“एडवोकेट विवेक बूसा” के अनुसार बुजुर्गों का आशियाना दिला कर हमें बहुत खुशी हुई। इस कार्य में कोर्ट के साथ- साथ मलाड पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक” धनंजय तुकाराम लिगडे” व उनकी टीम ने पूरा सहयोग दिया।
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