अधिवक्ताओं द्वारा केंद्र के अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 वापस लेने की मांग

प्रहरी संवाददाता/कसमार (बोकारो)। बोकारो जिला व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ताओं ने 20 फरवरी को कोर्ट परिसर मे केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 को वापस लेने की मांग करते हुए एक स्वर से इस संसोधन का विरोध किया।

इस अवसर पर इंडियन एसोशिएशन ऑफ लॉएर्स के नेशनल कौंसिल मेंबर अधिवक्ता रणजीत गिरि ने अधिवक्ताओ को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार जब अधिवक्ता पर हो रहे हमले अपराध नहीं रोक पा रही है, तो एडवोकेट को ही रोकने चल दिये। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में वकीलों द्वारा न्यायालयों के बहिष्कार और हड़ताल पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है।

साथ ही वकीलों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही और निलंबन का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक द्वारा बीसीआई यानी बार काउंसिल ऑफ इंडिया की स्वायत्तता पर खतरनाक हमला किया गया है। अब बीसीआई में केंद्र सरकार द्वारा नामित सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक द्वारा विदेशी कानूनी फर्मों के प्रवेश को अनुमति दी जा रही है। वकीलों पर मुवाक्किलो को मुआवजा देने की जिम्मेदारी थोपी जा रही है।

कहा कि डीपीएस में वकीलों की आवाज दबाने की यह साज़िश आर्टिकल 19 और 21 पर हमला है, जो संविधान द्वारा प्रदत्त है। कहा कि विधेयक में वकीलों को अनुचित जुर्माना देने का प्रावधान किया गया है, जिसमें वकील पर 3 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। कहा कि झूठी शिकायतों पर वकीलों को कोई सुरक्षा नहीं दी गई है। वकीलों को तुरंत निलंबित करने का प्रावधान किया गया है।

इस विधेयक द्वारा न्याय प्रणाली में वकीलों की भूमिका को कमजोर किया जा रहा है और अनुशासनात्मक कार्यवाही का डर दिखाकर उनकी आजादी छीनने की साजिश की जा रही है। उन्हें सरकारी गुलाम बनाने की साजिश की आधारशिला रखी जा रही है। कहा कि आज भी सरकारी जुल्म, ज्यादतियों, गलत नीतियों और गलत कानूनों का विरोध वकील ही करते हैं। संविधान और कानून के शासन को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।

इसलिए सरकार एक साजिश के तहत उनकी इस आजादी को छीन लेना चाहती है। उनकी आवाज को बंद कर देना चाहती है, ताकि सरकार की संविधान विरोधी, कानून विरोधी और जन विरोधी नीतियों का नाममात्र का भी कोई विरोध ही ना कर सके। इसलिए इस भयंकर हमले के आलोक में कानून के शासन और संविधान के रक्षक वकीलों के लिए यह जरूरी हो गया है कि समस्त वकील एकजुट होकर अपनी आजादी और अधिकारों पर किये जा रहे इस हमले का मजबूती के साथ विरोध करें।

इस अवसर पर अतुल कुमार, सुनील कुमार, दीपक कुमार, मोहन लाल ओझा, उमाकांत पाठक, राजेश कुमार, सुनील राजहंस, श्याम कुमार चौबे, श्याम मिश्रा, चंद्रशेखर कुमार, पंकज दाराद, सुरेंद्र साह, धनंजय लायक, जितेंद्र कुमार महतो, अंकित ओझा, संजीत कुमार सिंह, अमर देव सिंह, फटिक चंद्र सिंह, करुणा कुमारी, दीप्ति कुमारी, मोहम्मद अंसार, गोपाल सिंह, डी पी मंडल, संतोष सिंह, खुर्शीद आलम, अनंत पांडेय, विष्णु प्रसाद नायक, रंजन कुमार मिश्रा, नितीश नंदी, राजश्री, वंशिका सहाय, दीप्ति सिंह, रीना कुमारी, राणा प्रताप शर्मा, विजय कुमार, अजीत ठाकुर, अमरेश कुमार, ओम प्रकाश लाल, अखिलेश कुमार, मो. हसनैन आलम समेत सैकड़ो अधिवक्तागण मौजूद थे।

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