एस. पी. सक्सेना/बोकारो। विश्व जैन संगठन के अध्यक्ष संजय जैन के बयान का आदिवासी सेंगेल अभियान ने कड़ी निंदा की है।
आदिवासी सेंगेल अभियान के बोकारो जोनल संजोजक आनंद टुडू ने 13 फरवरी को स्थानीय एक निजी होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह बात कही। उन्होंने कहा कि संजय जैन का यह वक्तव्य कि पारसनाथ पर करोड़ों वर्षों से जैन मंदिर है हास्यास्पद है।
साथ ही आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू का बयान गिरीडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ आदिवासियों का मरांग बुरू है। आदिवासियों का ईश्वर है। राम मंदिर के तर्ज पर आन्दोलन कर इसे वापस पाना है को ग़लत व अलोकतांत्रिक कहा है।
टुडू ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन जब सही था, बावरी मस्जिद ध्वस्त कर राम मंदिर बनाना सही है तो उसी के तर्ज पर आदिवासियों का आन्दोलन ग़लत कैसे हैं? जब भारत देश का संविधान एक है तो सबके लिए आधिकार भी समान है।
यह कहना कि जैन समाज अहिंसात्मक जरुर है लेकिन नपुंसक नहीं तो, उन्हें आदिवासियों के इतिहास को पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिदो मुर्मू, वीर बिरसा मुंडा, तिलका मुर्मू के इतिहास को पढ़ना चाहिए।
अंग्रेजों से लड़ कर भारत आजाद होने से लगभग एक सौ साल पहले (22.12.1855) संताल परगना दिशोम पाकर आदिवासी आजाद हो चुके थे। इसलिए पारसनाथ पहाड़ आदिवासियों का मरांग बुरू है। आदिवासियों का ईश्वर है। जैनों ने इसको अवैध रूप से कब्जा किया है। हम हर हाल में इसे जितेंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में आदिवासी सेंगेल पेटरवार प्रखंड सुरेश टुडू, प्रखंड संजोजक जीतराम मुर्मू, शिवलाल सोरेन, रूपलाल सोरेन, पवन मुर्मू फुलेस्वर मुर्मू आदि उपस्थित थे।
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