एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर (बिहार)। जिला प्रशासन मुजफ्फरपुर द्वारा जिला समाहरणालय में 5 फरवरी को राजकीय सम्मान के साथ आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री जयंती समारोह मनाया गया। जिसका विधिवत उद्घाटन जिलाधिकारी (डीएम) सुव्रत कुमार सेन द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में गया जिले के कवि अरविन्द कुमार, कवि, साहित्यकार बिहार विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष डॉ सतीश कुमार राय पूर्व विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग, बिहार विश्वविद्यालय डॉ पूनम सिन्हा एवं प्रथम सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय विछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ भगवान लाल सहनी ने की।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में कवि, साहित्यकार शास्त्री जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के सहचर डॉ संजय पंकज उपस्थित थे।कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन गोपाल फलक ने किया।
इस अवसर पर उद्घाट्नकर्ता के रूप में जिलाधिकारी सुव्रत कुमार सेन ने समाज के सकारात्मक सोंच एवं सम्यक समाज के निर्माण में साहित्य के महत्वपूर्ण भूमिका को इंगित किया। उन्होंने आचार्य शास्त्री जैसे साहित्यकारों के साहित्यिक कृति को संरक्षित करने में नई पीढ़ियों को जोड़ने का आग्रह किया। साथ हीं अगले वर्ष इस समारोह को विस्तार करने पर जोर दिया।
समारोह में कवि अरविन्द कुमार ने कविवर शास्त्री के संस्मरण को सुनाते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के सृजन के चित्र खीचें। सतीश कुमार राय ने आचार्य शास्त्री के काव्य शिल्प, रचनात्मकता विम्बों की चर्चा की। डॉ पूनम सिन्हा ने शास्त्री जी के शब्द सिल्वी शिल्प, वाक्य विन्यास तथा उनकी रचना पर अन्य प्रभावों की चर्चा की।
संजय पंकज ने उनकी अनेक रचनाओं को और उनके शिल्प विधान, प्रासंगिकता, लयात्मकता और उनके व्यक्तित्व के अनछुए पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। भगवान लाल सहनी ने अपने अध्यक्षीय उदगार में उनके समाजवादी विचार धारा और काव्य शिल्प पर प्रकाश डाला।
समारोह के द्वितीय सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता पूर्व विभागाध्यक्ष अंग्रेजी विभाग बिहार विश्वविद्यालय डॉ देवव्रत अकेला ने की।
इस सत्र की पहली रचना विजय शंकर मिश्र ने माँ तो केवल माँ होती है से कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उसके बाद कैमूर जिले से आये कवि मनोज कुमार ने मुझे दिल में बसाने हमारे दिल में आने का मार्ग बताओ, श्यामल श्रीवास्तव ने बताओ और क्या लोगे, मुजफ्फरपुर की युवा कवियित्री सविता राज की गजल आंसुओं का इक समंदर पास है, और ये बहती रही हैं बेटियां ने जमकर तालियां बटोरी।
कवि सम्मेलन में पंकज कर्ण ने थामना चाहता हूँ जब मशाल हाथों में, बात घर-बार की आ जाती है सुनाई। चांदनी समर ने ऐसा नहीं शहर में उस सा नहीं कोई सुनाई। सतीश कुमार साथी ने मुझे मेरी औकात पता है सुनाई। डॉ सोनी का देखा मैने ख्वाव नया भी सराही गई।
श्यामल श्रीवास्तव ने माँ मेरी है सुनाई। लालबच्चन पासवान् ने लघु
जिदंगी है मान भी जाओ सुनाई। पंकज कुमार वसंत ने इस बुरे वक्त में पास आये कोई सुनाई। डॉ भावना ने तेरे घर सुख नौकर ये हो हो सुनाई। अविनाश भारती ने शहर की बात सुनाई। हेमा सिंह ने चांदनी की गोद में प्रस्तुत की।
इस अवसर पर गोपाल फलक की रचना ख्यालों की ये दीप जगमगाते रहे काफी सराही गई। अरविन्द कुमार ने सो रहें हैं तो शहर में पाँव मोड़ कर सुनाई। समारोह के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन नगर दण्डाधिकारी रविशंकर शर्मा ने किया। इस अवसर पर वरीय उप समाहर्ता अर्चना कुमारी, वरीय उप समाहर्ता जुली पांडेय आदि उपस्थित थे।
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