ममता सिन्हा/तेनुघाट (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में तेनुघाट व्यवहार न्यायालय के आदेश के बाद भी अभियुक्त पुत्र अपनी मां के अंतिम संस्कार में भाग नहीं ले सका। जिसका मलाल उसके परिजनों को है।
बता दें कि, आरोपी संदीप मुंडा तेनुघाट ओपी थाना क्षेत्र के सरहचिया पंचायत के तेनुघाट दो नंबर कॉलोनी निवासी है। मुंडा एक मामले में पिछले 9 सितंबर 2022 से तेनुघाट जेल में बंद है। बताया जाता है कि बीते 17 जुलाई को उसकी मां दशमी देवी का निधन हो गया। इसके बाद अभियुक्त मुंडा की बहन कुंती देवी ने वकील के माध्यम से औपबंधिक जमानत की अर्जी कोर्ट में लगाई।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने मुंडा को अपनी माँ के अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए इजाजत दे दी, लेकिन याचिका कर्ता का कहना है कि जेल प्रशासन की लापरवाही के कारण मुंडा अपनी माँ के अंतिम संस्कार में भाग नहीं ले सका।
अभियुक्त की बहन ने क्या कहा
जेल में बंद आरोपी मुंडा की बहन कुंती देवी ने बताया कि उसकी मां का निधन बीते 16 जुलाई की देर रात हो गई। मुंडा घर का छोटा बेटा है। मां से बहुत प्यार करता था। इसलिए जब उसे इसकी जानकारी मिली तब वह रात मां के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहता था।
लिहाजा कुंती ने न्यायालय से पंद्रह दिनों के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने की प्रार्थना की। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने मुंडा को सिर्फ मृत माँ के दाह संस्कार में शामिल होने की अनुमति दी। इस संबंध में कुंती देवी ने बताया कि अनुमति मिलने के बाद भी जेल प्रशासन ने गार्ड नहीं होने की बात कहकर सन्दीप को अंतिम संस्कार में भाग नहीं लेने दिया। जब जेल प्रशासन ने संदीप को नहीं जाने दिया तब देर रात को ही दशमी देवी का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
इस संबंध में तेनुघाट उप कारा के जेलर नीरज कुमार ने बताया कि न्यायालय से अभियुक्त मुंडा को उसकी मां के अंतिम संस्कार के लिए ले जाने का आदेश मिला था, लेकिन जेल में पर्याप्त गार्ड नहीं रहने के कारण उसे अंतिम संस्कार में नहीं ले जाया जा सका।
जेलर के अनुसार इस संबंध में बोकारो एसपी को भी पत्र लिखकर गार्ड उपलब्ध कराने की मांग की गयी थी। बावजूद इसके गार्ड उपलब्ध नहीं हो पाया। सुबह में जब स्थानीय पुलिस बल के साथ ले जाने के लिए तैयार हुआ तब संदीप ने जाने से मना कर दिया।
जेलर ने बताया कि दरअसल संदीप की बहन का कहना है कि जब रात को ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। तब सुबह संदीप का आने का कोई मतलब नहीं था। इसलिए उसने अपनी माँ के अंतिम संस्कार में शामिल होने से मना कर दिया।
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