एस.पी.सक्सेना/बोकारो। झारखंड राज्य (Jharkhand state) बने 20 साल 7 माह होने के बाद भी राज्य के लगभग 30 हजार चतुर्थवर्गीय सरकारी कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। यहाँ जो भी सरकारें आती है, वादा तो पहले खूब करती है मगर जब सरकारें बन जाती है तो सभी वादे भूल जाती है। जो भी सरकारें आती है, वो केवल तृतीय वर्ग के पदों पर कार्यरत कर्मियों को समय समय पर सभी लाभ देते है।
उसमें प्रोन्नति भी शामिल है। झारखंड के बहुत से विभागों में कार्यरत चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी जो तृतीय वर्ग में कार्यरत कर्मचारियों से ज्यादा दक्ष एवं ज्यादा पढ़े लिखे हैं, फिर भी उनको सरकार कर्मचारी नहीं मानती, तथा उनको किसी प्रकार का कोई सुविधा नहीं दिया जाता है। इसी कारण आज वर्तमान समय में झारखंड के लगभग 30,000 कर्मी अपने प्रोन्नति की आस लगाए बैठे हैं।
उक्त जानकारी झारखंड राज्य चतुर्थवर्गीय कर्मचारी संघ के महामंत्री सपन कुमार कर्मकार ने 22 जून को दिया। उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य बनने के बाद राज्य के लगभग 30 हजार चतुर्थवर्गीय सरकारी कर्मचारियों का भविष्य उज्जवल होने की उम्मीद थी। मगर विडम्बना यह कि उनकी स्थिति में सुधार तो दूर, संयुक्त बिहार के समय में मिलने वाली तृतीय वर्ग के पदों पर प्रोन्नति से भी वंचित कर दिया गया है।
चतुर्थवर्गीय कर्मियों के पद प्रोन्नति से संबंधित पूर्व के नियमों को शिथिल कर चतुर्थवर्गीय कर्मियों के उज्जवल भविष्य को अंधकारमय कर दिया गया है। साथ ही सेवा नियमावली में सुधार की प्रक्रिया को लटकाकर रखने के कारण पदोन्नति के लम्बे इन्तजार में योग्यताधारी कर्मियों की उम्र सीमा भी पार कर रही है। जिससे चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों में निराशा के साथ-साथ रोष भी व्याप्त है। इस हेतु संघ द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राज्य के अहर्ता प्राप्त चतुर्थवर्गीय सरकारी कर्मचारियों की ओर से ध्यान आकृष्ट कराते हुए विनम्रता पूर्वक एक मांग पत्र भेजा गया है, जिसकी एक प्रति उपायुक्त बोकारो को भी दिया गया है।
उन्होंने बताया कि उक्त मांग पत्र के पूर्व संघ द्वारा अपने कई मांग पत्रों के माध्यम से मुख्यमंत्री का ध्यानाकर्षण करने का प्रयास के बावजूद मानवीय संवेदना के आधार पर इन बिन्दुओं पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाना काफी दुःखद है। संघ द्वारा विनम्रतापूर्वक मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा गया कि चतुर्थवर्गीय कर्मचारी को अनुभव एवं योग्यता के आधार पर एकमुश्त तृतीय वर्ग (लिपिकीय संवर्ग) के पद पर प्रोन्नति का आदेश संबंधित विभाग को देकर पुरे राज्य के चतुथवर्गीय कर्मियों के साथ न्याय दिलवाने की कृपा की जाय, ताकि समुचे सेवा अवधि में प्राप्त योग्यता के आधार पर प्रोन्नति का लाभ प्राप्त कर चतुर्थवर्गीय कर्मी सेवानिवृत्त हो सकें।
संघ के महामंत्री सपन कुमार कर्मकार ने कहा कि वर्ग 4 से वर्ग 3 में प्रोन्नति देने के निमित्त संयुक्त सचिव, कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग झारखंड सरकार के पत्रांक 3035 दिनांक 05 सितम्बर 2005 द्वारा उपायुक्त, हजारीबाग/लोहरदगा को प्रेषित पत्र में कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग पटना, बिहार के पत्रांक 335 दिनांक 16.09.1992 को लागू होना उल्लेख किया गया है।
कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग, बिहार, पटना का ज्ञापन सं.-7027/92 का.-335 दिनांक 16 सितम्बर 1992 में उल्लेख है कि वर्ग 3 के जिन-जिन पदों के 25 प्रतिशत पदों (रिक्तियों) को चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों से सीमित प्रतियोगिता परीक्षा से भरने की व्यवस्था है। उन पदों के 50 प्रतिशत रिक्तियों को न्यूनतम योग्यता, अनुभव आदि रखनेवाले चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों से सीमित प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर भरा जायेगा। परन्तु वरीयता को अधिमान्यता दी जायेगी।
वरीयता एवं योग्यता की अधिमानता 60ः40 के अनुपात में निर्धारित की जायेगी। यदि पिछले कई वर्षों तक कोई परीक्षा ही आयोजित नहीं की गयी तो वरीयता के आधार पर प्रोन्नति करने पर विचार किया जायेगा। जहाँ परीक्षा की व्यवस्था नहीं है, वहाँ वरीयता एवं न्यूनतम योग्यता के आधार पर प्रोन्नति प्रदान की जायेगी। साथ ही कहा गया कि सरकार के सचिव, वित्त विभाग, झारखंड सरकार के पत्रांक 1859 दिनांक 02.09.11 में उल्लेख किया गया है, कि षष्ठम् केन्द्रीय वेतन आयोग के अनुशंसा के अनुसार समूह घ के केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए अनुशंसा की गई :-
*” While a separate running pay band, designated as-1S scale, is being recommended for posts belonging to Group ‘D’, however, the same shall not be counted for any purpose as no future recruitment is to be made in this grade and all the present employees begining Group ‘D’ who possess the prescribed qualifications for entry level in Group ‘C’, will be placed in the Group ‘C’ running pay band straight away with effect from 01.01.2006.
Other Group ‘D’ employees, who do not possess the prescribed qualifications, are to be retrained and thereafter upgraded and placed in the Group ‘C’ running pay band. Till such time they are retrained and are redeployed, they will be placed in the -1S scale. The Commission clarifies that -1S pay scale is not regular or a permanent pay scale. Insofar as the present employees are concerned, the scale will oparate only till the time all the existing Group ‘D’ staff is placed in the Group ‘C’ running pay band. ”
सचिव, वित्त विभाग, झारखंड सरकार के पत्रांक 1859 दिनांक 02.09.11 के कंडिका 3 में उल्लेख है कि केन्द्रीय वेतन आयोग की अनुशंसा हु-ब-हु लागू किये जाने पर राज्य में समूह घ की अवधारणा समाप्त हो जायेगी, जिससे राज्य में अकुशल व्यक्तियों को रोजगार के अवसर में कमी आयेगी जो उचित नहीं होगा, उल्लेख किया गया है।
कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग, झारखंड अधिसूचना 27 मार्च, 2010 के द्वारा झारखंड राज्य लिपिक/लिपिक-सह- टंकक/टंकक/अन्य लिपिकीय सेवा संवर्ग नियमावली, 2010 अधिसूचित है, जो सचिवालय एवं संलग्न कार्यालयों को छोड़कर राज्य के सभी विभागों के अधीन सभी क्षेत्रीय कार्यालय (समाहरणालय सहित) के लिए लागू है। उक्त नियमावली में लिपिकीय संवर्ग में मूल कोटि के पद निम्नवर्गीय लिपिक पर 85 प्रतिशत सीधी नियुक्ति से तथा 15 प्रतिशत समूह-घ के अर्हताधारी कर्मियों की सीमित प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से नियुक्ति का प्रावधान का उल्लेख किया गया है।
वित्त विभाग, बिहार सरकार के पत्रांक 2937 दिनांक 31.03.11 द्वारा बिहार सरकार द्वारा उच्च स्तरीय समिति द्वारा समूह घ के संबंध में वेतन समिति एवं वित्त विभाग के संकल्प सं0-630 दिनांक 21.01.10 एवं 1981 दिनांक 23.08.2010 में संशोधित करते हुए विसंगतियों पर अनुशंसा करते हुए निम्नलिखित संशोधन का निर्णय लिया गया है :-
दसवीं उत्तीर्ण समूह घ के कर्मी का वेतन बैंड 1 एवं ग्रेड पे 1800 अनुमान्य होगा तथा इन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। दसवीं अनुतीर्ण(नन मैट्रिक) समूह घ के कर्मी को पे बैंड 1 एस0 ग्रेड पे0-1650- अनुमान्य होगा। इन्हें पे बैंड 1 एवं ग्रेड पे-1800/-एवं वेतन वृद्धि की स्वीकृति प्रशिक्षणोपरांत की जाएगी। भविष्य में इस समूह के पद की नियुक्ति की शैक्षणिक योग्यता दसवीं उत्तीर्ण होगी। समूह घ के वैसी कर्मी जो लिपिक के पद पर नियुक्ति की अर्हता रखते हों उन्हें बिना किसी परीक्षा के वरीयता के क्रम में लिपिक संवर्ग में नियुक्त किया जायेगा।
कर्मकार ने कहा कि झारखंड सरकार के अधीन कार्यरत लगभग 30 हजार चतुर्थवर्गीय सरकारी कर्मचारी, जटिल सेवाशर्त के कारण प्रोन्नति के लाभ से वंचित हैं। हमारे इतने विशाल संख्या के बीच कई अनुभवी एवं योग्य कर्मी रहने के बावजूद संयुक्त बिहार के समय के सेवाशर्त को फेरबदल कर तृतीय वर्ग का मिलने वाला प्रोन्नति से वंचित रखना हमारा एवं झारखंड का दुर्भाग्य है। झारखंड में कई योग्य चतुर्थवर्गीय कर्मी पद प्रोन्नति के बगैर सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिससे हम सभी में निराशा व्याप्त है। चतुर्थवर्गीय कर्मी अपने दायित्वों का निर्वहन अपने वरिष्ठ के कंधे-से-कंधा मिलाकर पूरे निष्ठा से कर रहे हैं।
चाहे राष्ट्रीय पर्व, आम चुनाव, चाहे कोरोना (कोविड-19) महामारी चाहे अन्य कठिन कार्य क्यों न हो। हमारी सहभागिता सदैव निष्ठापूर्वक रही है। हमारे वर्षों के अनुभव का लाभ झारखंड को होता तो हमें अपार हर्ष होता। साथ ही कुछ कर्मियों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता। इस बिन्दु पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
490 total views, 1 views today