विधान परिषद सदस्य के नेतृत्व में 5 सदस्यीय जांच दल जांच करने पहुंचा फैक्ट्री

मौत की सूचना प्रबंधन द्वारा पुलिस से नहीं छुपाया जाता तो यह घटना नहीं होती-शशि

एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। भाकपा माले एवं ऐक्टू की संयुक्त 5 सदस्यीय जांच दल 16 दिसंबर को विधान परिषद सदस्य सह ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव शशि यादव के नेतृत्व में समस्तीपुर के सरसौना फैक्ट्री कांड की जांच करने पहुंचा। जांच दल में ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार, ऐक्टू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एस. के. शर्मा, खेग्रामस जिला सचिव जीबछ पासवान, भाकपा माले राज्य कमिटी सदस्य बंदना सिंह एवं ताजपुर प्रखंड भाकपा माले सचिव सुरेंद्र प्रसाद सिंह के अलावा आसिफ होदा, प्रभात रंजन गुप्ता, शंकर महतो, मो. क्यूम के नेतृत्व में सरसौना अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री पर पहुंचा।

जानकारी के अनुसार फैक्ट्री मैनेजर से मिलकर जांच टीम ने मृत मजदूर सूर्यकांत राम की मौत, सदर अस्पताल ले जाने एवं चिकित्सक द्वारा मजदूर को मृत घोषित करने के बाद पुलिस अभिरक्षा से शव किस परिस्थिति में सेफ्टी मैनेजर द्वारा लेकर फरार होने, फैक्ट्री न ले जाकर फैक्ट्री से करीब 15-20 किलोमीटर की दूरी पर वैशाली के डभैत चौर ले जाने, मृतक के भाई की पिटाई करने, पुनः शव फैक्ट्री लाने पर हंगामा पर पुलिस लाठीचार्ज करने, भीड़ में शामिल असामाजिक तत्वों द्वारा पुलिस पर पथराव करने, मामले में 152, 153 एवं 154 /24 तीन मुकदमा दर्ज कर निर्दोष को नामजद करने आदि विभिन्न विंदुओं पर बातचीत की।

जांच टीम ने घटनास्थल फैक्ट्री के इंफ्रास्ट्रक्चर एवं प्रदूषण रोकने की व्यवस्था का भी निरिक्षण किया। तत्पश्चात टीम ने सरसौना वार्ड-13, नूराचक, मुर्गियाचक आदि से गिरफ्तार रहिवासियों के परिजनों एवं स्थानीय ग्रामीणों से भी मुलाकात कर विस्तृत जानकारी प्राप्त की। पुलिस ने लड्डू लाल सिंह, ममता देवी आदि जिनके घर में घूस कर पुलिस ने महिला- पुरुष की पिटाई की, उनसे एवं उनके परिजनों से भी मुलाकात की। स्थानीय ग्रामीणों ने निर्दोष लोगों का नाम एफआईआर में दर्ज करने, 150 अज्ञात के नाम पर पुलिस द्वारा परेशान करने तथा पिटाई करने की शिकायत की।

जांच टीम का नेतृत्व कर रहे विधान परिषद सदस्य सह ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव शशि यादव ने बताया कि पुलिस प्रशासन एवं फैक्ट्री प्रबंधन पूरी तरह घटना के लिए जिम्मेवार हैं। कहा कि यदि मजदूर की मृत्यु की खबर पुलिस प्रशासन को दे दिया जाता। अस्पताल से शव लेकर अन्यत्र फेंकने के ख्याल से सेफ्टी मैनेजर नहीं फरार होता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती। उन्होंने सख्त लहजे में एफआइआर से निर्दोष का नाम हटाने, गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने इस मामले को लेकर सड़क से सदन तक संघर्ष चलाने, वरिय पुलिस अधिकारियों से मिलकर वार्ता करने की जानकारी दी।

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