कसमार के सिंहपुर मंडप थान में मनाया गया भोगता परब

आग में कूद व् पीठ पर कील से छेदकर खूंटे से झूलकर‌ बुढ़ाबाबा के प्रति दिखाई आस्था

रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। छोटानागपुर क्षेत्र में बृहद रूप से मनाया जाने वाला भोगता परब कसमार प्रखंड के कई मंडप थानों में प्रथा व परंपरानुसार मनाया जा रहा है। पूर्ण रूप से मौरखी घाट कमान का इस परब में‌ हूबहू मृत्यु एवं जन्म संस्कार के नेग निभाये जाते हैं।

जानकारी के अनुसार बोकारो जिला के हद में कसमार प्रखंड के सिंहपुर स्थित बाइसी मंडप थान में भी 14 अप्रैल को भोगता पर्ब धूमधाम से मनाया गया। बताया जाता है कि एक हप्ताह पूर्व धूमइल देने के बाद बीते 12 अप्रैल को संजत के दिन भगतिआ गण नाई से बाल-दाढ़ी व नाखून कटायें। तालाब में नहाने के बाद भगतिआ द्वारा लौटन सेवा एवं दंडवत करते मंडप थान तक पंहुचे और पाट पूजा किया। उसके बाद फलाहार किया।

इससे पूर्व पाट भगतिआ द्वारा पाट को गाजे बाजे के साथ बाइसी स्तर के सभी गांवों में घुमाया गया। वहीं पाट में कांटी वर्ष के प्रतीक चिन्ह स्वरूप लोहे की कील ठोकने की परंपरा निभाई। इसके बाद दूसरे दिन 13 अप्रैल को उपवास रख कर पाट पूजा, डंड दिआ, अरग दिआ, चाउंअर डला, ढांक सुदधू करा, भगता खूंटा लाना, गाजन आदि नेग संपन्न कराया गया।

उसके बाद बान लेने की प्रथा निभाई गयी। कोई भगतिआ जिभा बान लिये तो भगतिआ साहि बान लिये। तीसरे दिन 14 अप्रैल को पारण को भगतिआ, आग में कूदने एवं पीठ पर लोहे की हूक से छिदवा कर उच्चे डांग-खुंटे के सहारे झूलने की परंपरा निभाई। इस दौरान पीठ में छेद करते समय एक विशेष प्रकार का गीत देइया करि देगा माइ हे, तोर बिनु केउ नाइ हे… गाया गया। इस अवसर पर यहां मुर्गा-मुर्गी की बली भी दी जाती है।

बताया जाता है कि चौथे दिन 15 अप्रैल को परब का अंतिम दिन होगा। जिसे नारता भी कहा जाता है। इस दिन पुनः नाई से बाल, दाढ़ी व नाखून कटवा कर छूत मिटायेंगे। फिर वही तालाब से नहा-धोकर आने के बाद कांटा फुड़ाने की परंपरा निभाते हुए बुढाबाबा को बकरा की बली दिया जायेगा।

पुरख विश्वास के अनुसार उस वीर राजा की मृत्यु एवं पुनजीर्वित होने के पश्चात पूरे बाइसी में छुआ-छूत हो गया था। कुड़मालि संस्कृति में मान्यता है कि किसी के मृत्यु और जन्म के कुछ दिन बाद बलि देकर खून देखा जाता है।

इसके बाद भोज भात खाया जाता है। भोगता परब में परपंरानुसार व प्रथानुसार सिंहपुर गांव के महतो को पाट खूंटा आदि की व्यवस्था नेइया को पूजा पाठ, फुल सुसारी को फल-फूल की व्यस्था, कमार को कील ठोकने एवं हुक लगाने, डोम को ढाक बजाने का जिम्मा सौंपा गया है।

इस रात्रि को छउ नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें हजारों दर्शकों की भीड़ उमड़ी। भोगता परब को सफल बनाने में प्रथानुसार गांव के महतो यथा सुफल महतो, ध्रुव महतो, नेइया जीतेंद्र पाहन एवं अशोक पाहन, फुलसुसारी मनोज सिंह एवं दीपक सिंह, पाटढ़ोआ धीरेन महतो एवं बिपीन महतो, पाटझाला एवं हूकछेदा फेकन करमाली, ढांक बाजवा गुजन डोम आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

इस दौरान समाजसेवी सुजीत कुमार, रंजीत साव, घनश्याम नायक, शकंर महतो, रामकिशुन महतो, कालीचरण कालिंदी, लालू कालिंदी, अधीर शर्मा, लखन साव, बिनोद महतो, मानू महतो, कमलेश्वर महतो आदि मौजूद रहे।

मड़प थान में जेबीकेएसएस सुप्रीमो व गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी टाईगर जयराम महतो, गोमियां विधायक डॉ लंबोदर महतो आदि कई गणमान्य भी पंहुचे और आदिहड़ बुढ़ाबाबा के दरबार में मत्था टेककर क्षेत्र की मंगलकामना की‌। वहीं मधुकरपुर, मंजूरा, हंसलता, अजैया गांव में भी भोगता परब मनाया गया।

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