एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। लोक आस्था का पर्व चैती छठ के दूसरे दिन 13 अप्रैल की संध्या छठ व्रतियों ने खरना का प्रसाद बनाकर पूजा की। इसके बाद श्रद्धालुओं के बीच खरना का प्रसाद वितरण किया गया। इसके साथ ही 36 घन्टे का निर्जला उपवास भी व्रतियों का शुरू हो गया है।
अस्ताचलगामी सूर्य को 14 अप्रैल की संध्या बेला में अर्घ्य दिया जाएगा। जबकि 15 अप्रैल को उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। चैती छठ को लेकर घाटों की सजावट की गई है।
चैती छठ पर्व को लेकर रहिवासियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। चैती छठ के गीतों से गांव से लेकर शहर तक गुलजार है। ज्ञात हो कि, 13 अप्रैल को छठ व्रतियों ने रात्रि में रसियाव और रोटी खाकर खरना किया।
छठ व्रतियों ने खरना के साथ निर्जला व्रत रखकर पर्व की शुरुआत की। निष्ठा का यह पर्व भक्ति भाव से मनाया जाता है। इसे लोक आस्था का पर्व कहा जाता है। चैती छठ को लेकर पूजा सामग्री व फल की महगाई बढ़ गई है।
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