भाजपा के स्थापना दिवस पर दिखाई गई फिल्म वीर सावरकर
प्रहरी संवाददाता/मुंबई। स्वतंत्रता सेनानी के जीवन पर आधारित फिल्म वीर सावरकर में अंग्रेजों की क्रुरता, कालापानी की सजा एवं देश के लिए उध्वस्त हुआ देशभक्तों का परिवार के दृश्य देखकर सिनेमा घर में बैठे हर एक व्यक्ति के आंखों से उस यातना एवं दर्द को देखा और समझा जा सकता था।
दो भाषाओँ में बनी फिल्म वीर सावरकर के युवा निर्माता- निर्देशक सोनू कुंतल के कठिन परिश्रम का नतीजा है। कयास लगाया जा रहा है कि यह फिल्म देशवासियों की आंखे खोल देगी। हिंदी और मराठी भाषा में बनी फिल्म वीर सावरकर के रिलीज होते ही देश और दुनिया के नागरिकों में बहस छिड़ गई है। वहीं इस फिल्म ने अंधेरीवासियों की आंखे नम कर दी।
देश के लिए क़ुरबानी देने वाले स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर बनी फिल्म ‘स्वतंत्र वीर सावरकर’ का विशेष शो अंधेरी पूर्व स्थित पीवीआर संगम सिनेमा में शहीद भगत सिंह विचार मंच के साहेब सिंग संधू एवं सरबजीत सिंग संधू द्वारा भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस पर दिखाया गया। इस मौके पर स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर प्रमुख अतिथि के तौर पर उपस्थित थे।
इसके अलावा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, पूर्व उपमहापौर अरुण देव, संतोष केलकर, मुरजी पटेल, अशोक यादव, संध्या यादव, बलबीर नेगी उपस्थित थे। इस फिल्म के दर्शकों की अलग -अलग रे है। दिल पिघलाने वाली इस फ़िल्म में अबतक बताए गए सभी उन आधे-अधूरे सच, धारणाओं और राय से प्रेरित तंत्र को नेस्तनाबूद करने का ज़िक्र सरबजीत सिंग संधू ने किया।
गौरतलब है कि ठीक लोकसभा चुनाव से पहले इस फिल्म को रिलीज किया गया है। क्या यह फिल्म लोकसभा चुनाव का रुख मोड़ सकती है, इस मुद्दे पर भी न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी बहस छिड़ गई है, चूंकि भारत सहित विश्व के अन्य कई देशों में 22 मार्च 2024 को एक साथ 800 सिनेमा घरों में रिलीज हुई थी।
महज 50 दिनों में बनी इस फिल्म के रिलीज को दो बार टाला जा चूका है। युवा निर्माता- निर्देशक सोनू कुंतल ने फिल्म वीर सावरकर को पेश कर आजादी के दीवाने या यूं कहें कि इतिहास के उन पन्नों को खोला दिया है, जो दर्शकों को झकझोर कर रख दिया है।
Tegs: #Can-a-film-change-the-course-of-lok-sabha-elections
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