प्रधानमंत्री और अल्पसंख्यक मंत्री गंभीर
संवाददाता/ नई दिल्ली। देश के सभी मदरसों के शिक्षा को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के कुछ सदस्यों ने केंद्रीय मदरसा बोर्ड गठित करने की पैरवी की है। उनका मानना है कि सरकार इससे जुड़े कदम उठाने से पहले मुस्लिम समाज के सभी तबकों से सुझाव ले। चूंकि मौजूदा एनडीए सरकार के पिछले तीन साल के कार्यकाल में राष्ट्रीय स्तर पर मदरसा बोर्ड के गठन को लेकर कोई पहल नहीं की गई।
बताया जाता है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के समय केंद्रीय मदरसा बोर्ड गठित करने का प्रयास किया गया था, लेकिन कुछ प्रमुख मुस्लिम संगठनों और इस्लामी शिक्षण संस्थाओं के विरोध के कारण सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे। जबकि पिछले साल के आखिर में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने देश में संचालित मदरसों के शिक्षा को मुख्यधारा में लाने के लिए सात सदस्यीय विशेषज्ञ दल का गठन किया था। इस समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी है, जिसमें उसने कई सिफारिशें भी की हैं।
विशेषज्ञ समिति के संयोजक और मौलाना आजाद शिक्षा प्रतिष्टान के सदस्य सैय्यद बाबर अशरफ ने कहा की केंद्रीय मदरसा बोर्ड बनाना मदरसों के हित में होगा। लेकिन ऐसा कोई कदम उठाने या कानून बनाने से पहले मुस्लिम समाज के सभी तबकों से सुझाव लेना चाहिए।
वहीं समिति के कुछ सदस्य इसके पक्ष में हैं। अशरफ ने कहा की मदरसों के आधुनिकीकरण को लेकर कुछ दिक्कतें देखने को मिली हैं। मदरसा चलाने वाले कुछ लोग मदरसों के लिए सरकारी मदद चाहते हैं, लेकिन किसी तरह का दखलअंदाजी नहीं चाहते, जो कि संभव नहीं?
विशेषज्ञ समिति के एक अन्य सदस्य ने कहा, समिति में कुछ सदस्यों ने मदरसा बोर्ड की पैरवी की है। अगर सरकार इस दिशा में कोई पहल करती है तो यह अच्छा होगा। वैसे सरकार बिना किसी मदरसा बोर्ड के भी मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए काम कर सकती है। इतना जरूर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी मदरसों की बेहतरी को लेकर गंभीर हैं।
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