IPS ऋषि कुमार शुक्ला को बने सीबीआई चीफ

साभार/ नई दिल्ली। पिछले 3-4 महीनों में तमाम नाटकीय घटनाक्रमों के बाद सीबीआई को आखिरकार नियमित बॉस मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली हाई पावर्ड कमिटी ने आईपीएस अधिकारी ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई का नया डायरेक्टर नियुक्त किया है। 1983 बैच के आईपीएस ऑफिसर शुक्ला मध्य प्रदेश के डीजीपी भी रह चुके हैं। अभी वह मध्य प्रदेश पुलिस हाउजिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन थे। 10 जनवरी को आलोक वर्मा को डायरेक्टर पद से हटाने के बाद केंद्र सरकार ने एम. नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर नियुक्त किया था। तभी से सीबीआई डायरेक्टर का पद खाली था। एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति में देरी पर नाखुशी जाहिर की थी।

बता दें कि सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति करने वाली हाई पावर्ड कमिटी में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शामिल होते हैं। ऋषि कुमार शुक्ला का कार्यकाल 2 साल का होगा। इससे पहले, पिछले साल नवंबर में सीबीआई का अंदरूनी घमासान तब सतह पर आ गया जब तत्कालीन डायरेक्टर आलोक वर्मा और तत्कालीन स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने एक दूसरे के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोप लगाए थे।

अस्थाना के खिलाफ तो सीबीआई ने केस भी दर्ज कर लिया, जिसके बाद मामला और गंभीर हो गया। बाद में केंद्र सरकार ने दखल देते हुए वर्मा और अस्थाना दोनों को जबरन छुट्टी पर भेज दिया और एम. नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर नियुक्ति कर दिया। केंद्र ने दोनों अफसरों को छुट्टी पर भेजे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट को तब बताया था कि सीबीआई के दोनों शीर्ष अफसर ‘बिल्लियों की तरह लड़’ रहे थे।

वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर जनवरी में कोर्ट ने उन्हें बतौर सीबीआई डायरेक्टर बहाल करने का आदेश दिया। हालांकि, बाद में पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली हाई पावर्ड कमिटी ने 2-1 के बहुमत से लिए गए फैसले में वर्मा का सीबीआई से बाहर तबादले का आदेश दिया, जिसके बाद वर्मा ने नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया था।

इस तरह, ऋषि कुमार शुक्ला को ऐसे वक्त में सीबीआई की कमान मिली है जब यह प्रमुख जांच एजेंसी लगातार ऐसी वजहों से चर्चा में है, जो उसकी साख के लिए ठीक नहीं हैं। उनके पास अगुस्टावेस्टलैंड स्कैम, कोयला घोटाला, 2जी घोटाला, यूपी का अवैध खनन घोटाला, सारदा व रोजवैली चिटफंड घोटाला और पी. चिदंबरम व भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ जांच जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों से निपटने की चुनौती होगी।

 


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