रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण संस्थान द्वारा संचालित नशामुक्ति अभियान के संयोजक लक्ष्मण शर्मा की अध्यक्षता में 23 मार्च को बोकारो जिला के हद में चास के रामनगर कॉलोनी में नशा मुक्ति से सबंधित एक बैठक का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर क्षेत्र के रहिवासियों को नशा से होने वाले नुकसान एवं इससे बचाव से होने वाले फायदों को बताते हुए संयोजक लक्ष्मण शर्मा ने कहा कि नशा नाश का द्वार है। उन्होंने कहा कि नशा से न सिर्फ हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि इससे हमारी सोंच दूषित होती है। जिससे हमारे कर्म भी गलत दिशा में होने लगते हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 80 प्रतिशत जघन्य अपराध, 75 प्रतिशत दुर्घटना, 60 प्रतिशत जानलेवा बीमारियां नशे की लत की वजह से होती हैं।
शर्मा ने कहा कि आजकल बच्चों और कम उम्र के नौजवानों में शराब, तंबाकू, गुटखा के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। यह अत्यंत ही चिंतनीय है, क्योंकि इससे न सिर्फ उनके स्वास्थ्य एवं कार्य क्षमता पर घातक असर पड़ता है, बल्कि एक कमजोर, दिशाहीन के साथ ही अपराध प्रवृत्तियों से युक्त समाज का निर्माण होने लगता है। जो उसके परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए भारी नुकशानदेह है।
महिलाओं में भी बढ़ रही नशा की प्रवृत्ति भी चिंतनीय है, क्योंकि इससे उनके स्वास्थ्य पर तो बुरा असर पड़ता ही है। साथ ही प्रजनन क्षमता और पेट में पल रहे बच्चों के भी समुचित विकास एवं स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है। कहा कि नशा करने वालों के घर की आर्थिक, स्वास्थ्य एवं सामाजिक स्थिति भी बिगड़ जाती है, जो घर में कलह, अशांति और हिंसा का भी कारण बन जाता है। नशा पर रोक लगाकर बहुत हद तक अपराध पर रोक लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि नशापान पर रोक लगाकर एक्सीडेंट की संख्या घटाई जा सकती है तथा एक स्वस्थ, सबल और सकारात्मक सोच से परिपूर्ण राष्ट्र के निर्माण में सहयोग मिल सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को इन नशीले पदार्थों की बिक्री से जितना टैक्स प्राप्त होता है, कहीं उससे ज्यादा इससे होने वाले नुकसानो की भरपाई पर खर्च करना पड़ता है।
नशा के कारण अस्पतालों, दवाइयों, दुर्घटनाओं और अपराधों के नियंत्रण पर होने वाले बेवजह खर्च के नुकसान का अगर आकलन किया जाय तो सरकार तथा परिवार का आधा से अधिक व्यय इसमें ही हो जाता है। जिसे इस नशा पर रोक लगाकर बचाया जा सकता है और विकास के अन्य कार्यों में उस धन और ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है।
नशा सेवन पर अपना धन खर्च कर अपने लिए बीमारियां, परिवार के लिए आर्थिक तबाही, समाजिक सम्मान में गिरावट और बाल बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना यह कहां की समझदारी है? उन्होंने कहा कि जो ये कहते हैं कि नशा गम भुलाने के लिए करते हैं तो ये सुन लें कि नशा गम कम नहीं करता बल्कि कई तरह से नुकसान पहुंचाकर गम को कई गुणा बढ़ा देता है।
कहा कि बैठक के माध्यम से स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण संस्थान द्वारा सबों से निवेदन किया जाता है कि नशा रूपी राक्षस से अपने को बचाएं तथा दूसरों को भी इससे होने वाले नुकसान से अवगत कराकर इसे छुड़ाने का प्रयास करें। तभी हम अपना, अपने परिवार का, समाज का और राष्ट्र का भला कर सकते हैं।
आईए हम सभी मिलकर इस नशा रूपी राक्षस से बचें और दुसरो को बचाने का संकल्प लें। केंद्र और राज्य सरकारों से भी अपील है कि नशा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएं और अपने नागरिकों को इसके दुष्प्रभाव से बचाएं। साथ ही इसके कारण देश को हो रहे भारी नुकसान से भी बचाएं।
बैठक में लक्ष्मण शर्मा, लिला देवी, उमिॅला देवी, सुरेश कुमार, रिशु सिन्हा, प्रतिमा देवी, अप्पू कुमारी, सुनिता सिंह, रजनी सिंह, अनिकेत वर्मा आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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