एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। इलेक्शन कमिश्नर अरुण गोयल ने किस कारण इस्तीफा दे दिया है। भाजपा नेताओं को देश की जनता को बताना चाहिए।
उक्त बातें संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रभारी झारखंड व् छत्तीसगढ़ विजय शंकर नायक ने मुख्य चुनाव आयुक्त के इस्तीफा देने पर 10 मार्च को कही।
उन्होंने कहा कि जब इलेक्शन कमिश्नर गोयल का कार्यकाल वर्ष 2027 तक थी तो उनका अचानक इस्तीफा देना शंका पैदा करता है। नायक ने कहा कि यह वही अरुण गोयल हैं जिसे भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव आयुक्त बनाया था।
वह वॉलंटरी रिटायर होने से 24 घंटा के अंदर उन्हें चुनाव आयुक्त बनाया गया था। जब उनकी नियुक्ति का मामला सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाए थे। 24 घंटे के अंदर फाइल बन जाती है, पुट अप भी हो जाती है और नियुक्ति भी हो जाती है।
नायक ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अरुण गोयल के बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट तक दरवाजा खटखटाने का काम किया था। उनकी नियुक्ति को जायज ठहराया था। कहा कि जब गोयल भाजपा का ही आदमी था। ऐसे में आज पूरा देश में यह सवाल उठ रहा है। देश की जनता यह जानना चाह रही है कि केंद्र सरकार ने अरुण गोयल को कौन सा ऐसा लोकसभा चुनाव मे हेराफेरी कार्य करने के लिए बाध्य किया कि उनका आदमी कर नही पाया और उसने इस्तीफा देना ही बेहतर समझा।
नायक ने कहा कि यह वही भारतीय जनता पार्टी है, जिसने अनिल मसीह को चंडीगढ़ के मेयर इलेक्शन मे प्रजाइटिंग अफसर बनाया था। जिसने सीसीटीवी कैमरा के सामने इंडिया एलाइंस के आठ वोट को, जो इंडिया एलाइंस को वोट पड़े थे। खुद कलम से डिफेक्ट किए थे। अनिल मसीह ने सुप्रीम कोर्ट में यह बात माना कि उसने वैलेट पेपर पर गलत तरीके से निशाना बनाए थे।
जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये लोकतंत्र की हत्या है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जिस तरह अनिल मसीह से भारतीय जनता पार्टी ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में इलेक्शन में चोरी का कार्यं करवाने की कोशिश कराइ थी, क्या ऐसा ही काम अरुण गोयल से भी करवाने की कोशिश की गयी?
नायक ने जोर देते हुए कहा कि आज मैं भारतीय जनता पार्टी को चैलेंज कर रहा हूं कि वे पूरे देश को यह बात बताएं की अरुण गोयल ने इस्तीफा क्यों दिया? ऐसे इलेक्शन कमिश्नर जो उनका आदमी था, जो एक ऐसा आदमी की उनके नियुक्ति करने के लिए भाजपा सुप्रीम कोर्ट तक गई थी।
ऐसा क्या कह दिया गया, कौन सा गलत काम करने के लिए कह दिया गया कि लोकसभा चुनाव में उनका अपना आदमी तक वह कार्य नहीं कर पाया और 2027 तक कार्यकाल होने के बावजूद उसने इस्तीफा देने का काम किया।
नायक ने साफ शब्दों में कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में स्वच्छ और लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव अब नहीं कराए जा सकते हैं। क्योंकि अब तीन मेंबर समिति में बचे सिर्फ एक मुख्य चुनाव आयुक्त। ये सब कुछ तब हो रहा है, जब देश के सबसे बड़े चुनाव में बस हफ्ते बचे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा बदले गए नियम के अनुसार चुनाव आयुक्त को कौन नियुक्त कर सकता है?
सिर्फ़ प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के मंत्री। इसके बाद चुनाव की पारदर्शिता कितनी संभव है, इसका सबूत तो खुद प्रधानमंत्री और भाजपा का ट्रैक रिकॉर्ड है। चुनाव आयोग कुछ आखिरी संस्थानों में से है, जिनसे लोकतंत्र की रक्षा की उम्मीद है। ऐसी आकस्मिक घटनाएं इसके विपरित सोचने पर विवश करती हैं।
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