निःशुल्क शिक्षा से 2030 तक बाल विवाह समाप्ति संभव-गौतम सागर

सहयोगिनी ने राजनीतिक दलों से इसे चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का किया आग्रह

रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। सहयोगिनी संस्था द्वारा 8 मार्च को कसमार प्रखंड के हद में बहादुरपुर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं द्वारा कहा गया कि 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा बाल विवाह को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, क्योंकि शिक्षा और बाल विवाह के बीच विपरीत संबंध है। कहा गया कि यह प्रमुख खोज बाल विवाह के खिलाफ देश की लड़ाई में गेम चेंजर बन सकती है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जारी भारत में लड़कियों के लिए विवाह की आयु बढ़ाने में शिक्षा के संबंध और भूमिका की खोज नामक शोध पत्र का हिस्सा है बाल विवाह मुक्त भारत अभियान। जो 160 गैर सरकारी संगठनों का एक गठबंधन है। उनके रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत 2030 तक बाल विवाह को समाप्त करने और इस अपराध को समाप्त करने के लिए अंतिम बिंदु तक पहुंचने की राह पर है। अगर मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा वास्तविकता बन जाती है तो इसे गति और दिशा मिल सकती है।

इस संबंध में बाल विवाह मुक्त अभियान के जिला प्रभारी व् सहयोगिनी के निदेशक गौतम सागर ने सहयोगिनी कार्यालय बहादुरपुर में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि हालांकि केंद्र और राज्य सरकारें बाल विवाह को समाप्त करने के लिए सख्त रुख दिखा रही है।

18 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को शामिल करने के लिए मौजूदा शिक्षा के अधिकार में यह एक संशोधन बाल विवाह को समाप्त करने की गति को तेज कर सकता है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट के प्रमुख शोधकर्ता पुरुजीत प्रहराज का यह कथन है।

सहयोगिनी निदेशक ने कहा कि बाल विवाह मुक्त भारत अभियान देश भर के 160 गैर सरकारी संगठनों का एक गठबंधन है, जो बाल विवाह के उच्च प्रसार वाले 300 से अधिक जिलों में सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। संगठन का लक्ष्य वर्ष 2030 तक देश से इस सामाजिक अपराध को समाप्त करना है।

उन्होंने बताया कि पिछले छह महीनों में ही देश भर में काउंसलिंग के माध्यम से 50,000 बाल विवाह रोके गए हैं, जबकि लगभग 10,000 बाल विवाहों पर कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है। विशेष रूप से, 2030 तक कम उम्र, बाल और जबरन विवाह का उन्मूलन भी संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के तत्वावधान में देशों द्वारा की गई एक वैश्विक प्रतिबद्धता है।

बोकारो में पेपर जारी करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के गठबंधन सहयोगी सहयोगिनी ने मांग की कि इस सामाजिक अपराध को समाप्त करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की इच्छा शक्ति और कार्रवाई सराहनीय है। परिणाम देने वाली है। इसके लिए मजबूत कदम उठाए जाएं।

उन्होंने कहा कि बाल विवाह के खिलाफ इस लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। सहयोगिनी निदेशक ने जोर देकर कहा कि 18 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों की शिक्षा मुफ्त और अनिवार्य बनाई जाएगी। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों से आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस महत्वपूर्ण मुद्दे को शामिल करने का भी आग्रह किया गया।

कहा गया कि महिला कार्यकर्ताओं और ग्राम नेताओं के नेतृत्व में बोकारो में 134 बाल विवाह को रोकने में सक्षम हुए हैं। हालाँकि, पूरे देश में शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाने की तत्काल आवश्यकता है। सहयोगिनी के समन्वयक ने कहा कि सरकार से राज्य में बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए आग्रह किया जायेगा।

कहा गया कि एनजीओ ने सभी राजनीतिक दलों से आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस महत्वपूर्ण मुद्दे को शामिल करने का भी आग्रह किया है। गठबंधन ने अपने सक्रिय हस्तक्षेप के माध्यम से पिछले छह महीनों में देश में होने वाले कुल बाल विवाह में से 5 प्रतिशत को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

देश भर के विभिन्न क्षेत्रों के उदाहरणों का हवाला देते हुए महिला साक्षरता दर और बाल विवाह की व्यापकता के बीच विपरीत संबंध पर प्रकाश डालता है। उदाहरण के लिए, केरल में जहां महिला साक्षरता दर 96 प्रतिशत तक है। वहां बाल विवाह का प्रचलन राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत के मुकाबले मात्र 6 प्रतिशत है। मिजोरम में महिला साक्षरता दर 93 प्रतिशत है। वहां बाल विवाह का प्रचलन 8 प्रतिशत अपेक्षाकृत कम है।

इसके विपरीत बिहार व् झारखंड जैसे राज्यों में जहां महिलाओं की साक्षरता दर 61 प्रतिशत है, वहीं बाल विवाह दर आश्चर्यजनक रूप से 41 प्रतिशत है। कहा गया कि पश्चिम बंगाल में जहां महिला साक्षरता दर 77 प्रतिशत अधिक है, वहां 42 प्रतिशत बाल विवाह का उच्च प्रसार दिखता है। इसी तरह, त्रिपुरा में जहां महिलाओं के बीच साक्षरता दर 82 प्रतिशत है, वहीं बाल विवाह का प्रचलन 40 प्रतिशत है। असम, जिसकी साक्षरता दर 78.2 प्रतिशत है, में बाल विवाह का प्रचलन 31.8 प्रतिशत है।

कहा गया कि, इन अपवादों से पता चलता है कि जहां महिला साक्षरता दर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, वहीं अन्य सामाजिक-आर्थिक कारक और सांस्कृतिक प्रथाएं भी इन क्षेत्रों में बाल विवाह के प्रसार को प्रभावित कर सकती हैं।

कार्यक्रम के दौरान सहयोगिनी के सूर्यमनी देवी, कल्याणी सागर, रोहित ठाकुर, मंजू देवी, सोनी कुमारी, अंजू देवी, पुष्पा देवी, मिंटी कुमारी सिंहा, विकास कुमार, रवि कुमार राय, अनंत कुमार सिंहा, अशोक कुमार महतो, राज किशोर शर्मा, मोहम्मद हुसैन, पायल कुमारी, पूर्णिमा देवी, अभय कुमार सिंह, सरस्वती कुमारी, रीता देवी आदि उपस्थित थे।

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