जीबीएस की चपेट में मासूम नियोमी

मुश्ताक खान/ मुंबई। जीबीएस नामक खतरनाक बीमारी का दूसरा मरीज मुंबई के कालीना में मिला है। महज ढाई साल की नियोमी जिग्नेश सोनी इस खतरनाक बीमारी की चपेट में आ गई है। जिसके कारण हंसती खेलती चंचल स्वभाव की नियोमी अब  खुद से चल नहीं सकती। फिलहाल नियोमी का इलाज कुर्ला पश्चिम के फिजियोक्योर सेंटर में डॉ. मेराज अहमद कर रहे हैं। इससे पहले मुंबई में मोहम्मद रफ्फान दयान इस बीमारी का शिकार हुआ था, उसका इलाज भी डॉ. मेराज अहमद ने किया था। अब रफ्फान ठीक है और स्कूल जाता है और फुटबॉल भी खेलता है।

मिली जानकारी के अनुसार जिग्नेश जयंतीलाल सोनी की ढाई साल की लाडली बेटी नियोमी अपने मां पिता के साथ अक्टूबर 2018 में गुजरात, कछ जिला में स्थित अंजार गई थी। अंजार में बच्चों के साथ खेल कूद के दौरान वह जीबीएस नामक खतरनाक बीमारी का शिकार हो गई। बच्ची की हालत को देख उसके परिजन वापस मुंबई आ गए। ताकि नियोमी का बेहतर इलाज कराया जा सके। जिग्नेश परिवार के लोगों ने मुंबई के विभिन्न हॉस्पिटल और डॉक्टरों से संपर्क किया।

लेकिन कहीं भी उनके जिगर के टुकड़े का सही इलाज नहीं हो पाया। इलाज के दौरान अधिकांश डॉक्टरों ने उन्हें फिजियो थेरेपी की सलाह दी। इसके बाद जिग्नेश सोनी ने इंटरनेट का सहारा लेकर कुर्ला पश्चिम के फिजियोक्योर सेंटर में डॉ. मेराज अहमद से संपर्क किया। यहां डॉ. मेराज अहमद ने उन्हें बताया कि इस तरह का एक और मरीज मेरे पास आया था, जो इलाज के बाद ठीक हो गया। डॉ. मेराज अहमद ने उन्हें अश्वासन दिया कि थोड़ा समय लगेगा लेकिन बच्ची ठीक हो जाएगी। इसके बाद नियोमी का इलाज शुरू हुआ। करीब दो माह से चल रहे फिजियोथेरेपी का लाभ अब दिखाई देने लगा है।

यानी नियोमी अब कमो-बेस किसी का सहारा लेकर खड़ी होने लगी है। कुछ ऐसी ही स्थिति करीब चार साल के मोहम्मद रफ्फान दयान का भी था। रफ्फान के पिता ने बताया कि उनका बेटा साधारण बच्चों की तरह भाग दौड़ खेल कूद किया करता था। लेकिन अचानक जीबीएस (Guillain-Barre Syndrome) गुलियन बैरे सिंड्रोम नामक खतरनाक बीमारी की चपेट में आने से उसकी सारी एक्टिविटी बंद हो गई।

उसकी हालत को देखते हुए हमने कई डॉक्टरों से संपर्क किया लेकिन कोई खास सुधार न होता देख मैं वाडीया हॉस्पिटल में डॉ. सुधा राव से संपर्क किया। उन्होंने मुझे सलाह दी की फिजियो थेरेपी ही इसका बेहतर इलाज है। हालांकि उन्होंने दूसरे सुझाव के तौर पर इंजेक्शन आदि की बात भी कही, जो काफी महंगा था। फिलहाल रफ्फान तो नॉरमल हो गया लेकिन नियोमी का इलाज चल रहा है।

गौरतलब है जीबीएस नामक खतरनाक बीमारी मुंबई के डॉक्टरों के चैलेंज के रूप में देखा जा रहा है। गुलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) एक ऐसा विकार है, जिसमें रोगी के शरीर में पहले सिहरन या दर्द होने लगता है, इसके बाद उसकी मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। इसे लकवा (Paralysis) से जोड़ कर देखा जा रहा है।




 1,042 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *