सरकार मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा व् कांशीराम को दे भारत रत्न-विजय शंकर नायक

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा एवं कांशीराम को भारत रत्न देने का कार्य करे।

उपरोक्त बातें 10 फरवरी को संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व् झारखंड, छत्तीसगढ़ प्रभारी विजय शंकर नायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ईमेल पत्र भेजकर उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि 3 जनवरी 1903 को जन्मे मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा भारतीय आदिवासियों और झारखंड आंदोलन के सर्वोच्च नेता थे।

साथ ही साथ वे जाने माने राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक, संपादक, शिक्षाविद और 1925 में ऑक्सफोर्ड ब्लू का खिताब पाने वाले हॉकी के एकमात्र पहले भारतीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी थे।

नायक ने बताया कि जयपाल सिंह मुंडा की कप्तानी में 1928 के ओलंपिक में भारत ने पहला स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। दिवंगत मुंडा औपनिवेशिक भारत में सर्वोच्च सरकारी पद पर थे। कहा कि मुंडा ने आदिवासियों की बदतर स्थिति को देखकर आईसीएस की नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में आने का फैसला किया।

सन् 1938 के जनवरी माह में उन्होंने आदिवासी महासभा की अध्यक्षता ग्रहण की, जिसने बिहार से एक अलग झारखंड राज्य की स्थापना की मांग की थी। देश में आदिवासियों के अधिकारों के आवाज बने और वे संविधान सभा के सदस्य भी बने।

संविधान सभा में आदिवासियों के सवालों को मजबूती से उनके हक और अधिकार को उठाने का कार्य किया। उन्होंने झारखंड पार्टी का गठन किया जो 1952-57 और 1962 में बिहार विधानसभा के चुनाव में भाग लिया और अच्छा प्रदर्शन भी किया।

उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लिए जीवन भर संघर्ष करने वाले इस महान आदिवासी नेता को भारत रत्न दिया जाना चाहिए और उनके किए गए कार्यों को भारत सरकार द्वारा भारत रत्न देकर सम्मान किया जाना चाहिए।

नायक ने पीएम को भेजे गये पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री जी इसी तरह कांशीराम भी भारतीय राजनीतिक और सच्चे समाज सुधारक थे, जिनका जन्म पंजाब में 15 मार्च 1934 को हुआ था। वे पुणे में विस्फोटक अनुसंधान कार्यालय में कार्यरत थे।

वे जातिगत भेदभाव को खत्म करने के लिए 1964 में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के दर्शन से प्रभावित होकर दलित कार्यकर्ता बनकर कार्य करने लगे और 1971 में अखिल भारतीय एससी-एसटी ओबीसी और अल्पसंख्यक कर्मचारी संघ की स्थापना की, जो बाद में चलकर बामसेफ बना।

इसके बाद कांशीराम ने 1981 में एक और सामाजिक संगठन बनाया जिसे दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (डीएसएसएस) या बीएसफोर के नाम से जाना जाता है। उन्होंने दलित वोट को इकट्ठा करने की अपनी कोशिश शुरू की और 1984 में बहुजन समाज पार्टी के स्थापना की।

उनका जीवन दलित शोषित समाज के लिए समर्पित रहा। ऐसे में उनके समाज सुधार जैसे कार्यों को देखते हुए भारत सरकार द्वारा उन्हें भारत रत्न देकर उनके किए गए कार्यों को सम्मान किया जाना चाहिए।

 80 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *