एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान के समीप स्थित कालिदास रंगालय में बीते 2 फ़रवरी से पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव के जबरदस्त आगाज के बाद दूसरे दिन 3 फरवरी को नुक्कड़ मंच पर जम्मू कश्मीर के लक्की जी गुप्ता द्वारा लिखित निर्देशित एवं अभिनीत नाटक मां मुझे टैगोर बना दो एवं आशा रिप्रेटरी पटना की प्रस्तुति ओक्का बोक्का नाटक का मंचन किया गया।
यहां मुख्य मंच पर खैरागढ़ छत्तीसगढ़ के योगेंद्र चौबे तथा लखनऊ उत्तर प्रदेश के अनिल कुमार रस्तोगी को पाटलिपुत्र अवार्ड से सम्मानित किया गया। उक्त जानकारी देते हुए महोत्सव के मीडिया प्रभारी मनीष महीवाल ने बताया कि पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव में 3 फरवरी को दो नाटकों की प्रस्तुति हुई, जिसमें पहली प्रस्तुति द फैक्ट आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी बेगूसराय (बिहार) की प्रस्तुति नाटककार सुधांशु फिरदौस, परिकल्पना व निर्देशन प्रवीण कुमार गुजन द्वारा किया गया।
महीवाल के अनुसार नाटक माँ मुझे भी टैगोर बना दो के कथासार के अनुसार जबसे मनुष्य का इतिहास है, कथा का इतिहास है। मानव सभ्यता के आरंभ से ही कथा सुनने-सुनाने पर बहुत जोर रहा है। इस देश में कथा सुनाने वालों की एक लंबी परम्परा रही है, जो घूम-घूम कर कथा बाँच कर ही अपना जीवन चलाते रहे हैं।
नाटक कथा ऐसे ही कथावाचकों की बातचीत से सम्भव हुई। कथा की व्यथा है, जिसमें काधिक लोचन व गुडिया की कहानी के माध्यम से प्रेम और पानी को बचाने की बात कहते हैं। काथिकों को लगता है कि संसार बचाने के लिये प्रेम व पानी को बचाने की जरूरत है। आज हर तरफ प्रेम और पानी दोनों का अकाल पड़ गया है।
नाटक, सभ्यता की शुरुआत की किसी बड़ी घटना से रोजमर्रा की किसी साधारण घटना को एक सूत्र में जोड़ कर अपनी बात को रखने का प्रयास करता है। नाटक अपने कथा सूत्र में बार-बार इस बात को सामने लाती है कि जो कोमल है, जो भी नाजुक है, उसे समय की क्रूरता या तो मार देगी। अगर वह बचा रहा तो कम से कम अपनी ही तरह क्रूर अवश्य बना देगी।
महीवाल के अनुसार मंच पर प्रिया कुमारी, आयशा सिंह यादव, यैमय कुमार, चन्दन कुमार वत्स, अंकित शर्मा, देवानंद सिंह, कमलेश ओझा, चन्दन कुमार, मो. रहमान, जीतेन्द्र कुमार, दीपक कुमार, जबकि नेपथ्य में मंच परिकल्पना कुमार अभिजीत, प्रकाश परिकल्पना चिंटू कुमार, बस्त्र विन्यास पूजा कुमारी तथा रिमझिम कुमारी, ध्वनि खुशबू कुमारी, संगीत निर्देशन अमरेश कुमार व् दीपक कुमार, संगीत गायन व् वाद्य यंत्र दीपक कुमार, रावेकांत कुमार, लाल बाबू कुमार, रूप सज्जा नंदन कुमार सिंह, मंच प्रबंधन प्रभात कुमार की है।
दूसरी प्रस्तुति भाव राग ताल नाट्य अकादेमी, पिथौरागढ़ उत्तराखण्ड की माधो सिंह भण्डारी (हिन्दी), नाटककार डॉ अनिल कार्की, परिकल्पना व निर्देशन कैलाश कुमार द्वारा प्रस्तुत किया गया। नाटक ओक्का बोक्का के कथासार के अनुसार दुश्मन राजा के सेनापति को मार गिराने की चर्चा चारों ओर फैली हुई है। चबूतरे पर बैठे मार्गो को ग्रामीण घेर लेते हैं। ग्रामीण आपस में उसकी वीरता की बातें करते हैं तथा एक साथ सिंह माधो सिंह के नारे लगाते हैं।
माधो सिंह को मलेथा के सूखे, प्यासे होने का दुख बताकर चला जाता है। माधो सिंह की मामी भी माधो को मलेथा का दुःख बताती है। तत्पश्चात माधो उस बुजुर्ग व्यक्ति व मामी की बातों से दुखी होकर राजा से पानी माँगने दिहरी चल देता है, जहाँ राजा का मंत्री व राजा माधो की खिल्ली उडाते हैं। उसकी बातों को अनसुना कर देते हैं। तब सभी ग्रामीण उसका साथ देते हैं और पहाड़ खोदने सब एकजुट होकर चल पड़ते हैं।
इसी बीच माधो सिंह अपने बेटे को खो देता है। ग्रामीणों के हौसले टूट जाते हैं पर माधो सिंह दृढ संकल्प के साथ आगे बढ़ता है। सभी ग्रामीण उसके साथ एक बार फिर आगे बढ़ते हैं। आखिरकार मेहनत रंग लाती है और सूखे मलेथा में पानी लाने का संकल्प पूरा हो जाता है। उत्तराखण्ड में वीर माधो सिंह भड़ (भण्डारी) ने अपनी वीरता से गढ़वाल से कत्युरों तक अपनी वीरता का परचम लहराया था।
उन्होंने युद्ध कर कत्युर राजाओं को हराया था। वे सोहलवीं सदी के इंजीनियर माने जाते हैं, जिन्होंने बिना किसी संसाधन के गांव वालों को एकत्रित कर पहाड खोदकर नदी चंद्रभागा के पानी को अपने गांव तक मूल (नहर) के रूप में पहुंचाया। माधो सिंह भण्डारी ने अपने वीर पुत्र गजे सिंह का बलिदान देकर नदी चंद्रभागा के पानी को गाँव तक पहुंचाया था।
पुत्र के बलिदान व उसके साहसिक कार्य से नाधो सिंह आज तक वहां के रहिवासियों के मन में बसे हुए है। माधो सिंह के समर्पण के कारण आज भी गढ़वाल के मलेथा गांव में उनके नाम पर एगास (मेला) लगता है और उत्सव मनाया जाता है।
महीवाल के अनुसार प्रस्तुत नाटक के मंच पर माधोसिंह रोहित यादव, सूत्रधार चीरज कुमार, उददीन सपना, भाभी प्रीति रावत, मंत्री दीपक गडल, चौतू जितेंद्र घागी, डिगर राम् ग्रामीण सिमरन, आरती है।
जबकि नेपथ्य में संगीत चीरज कुमार, हरमोनियम दिनेश कुमार, ढोलक शुभम कुमार, परकशन कैलाश कुमार, बांसुरी रविशकर द्वारा प्रस्तुत किया गया है। महीवाल ने बताया कि गीत संगीत एवं नाटक के साथ यह महोत्सव आगामी 6 फरवरी तक जारी रहेगा।
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